बीजिंग/नई दिल्ली. चीन में कोरोनोवायरस से मरने वालों की संख्या शनिवार को 722 होगई। यह आंकड़ा दो दशक पहले चीन और हॉन्गकॉन्ग में सिवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (सार्स) से मरने वालों से भी ज्यादा हो गया है। नोवेल कोरोनावायरस और सार्स एक ही श्रेणी के वायरस हैं। 2002-2003 में चीन और हॉन्गकॉन्ग में सार्स से लगभग 650 लोगों की मौत हुई थी। दुनियाभर में 120 से ज्यादा लोग मारे गए थे।
चीन के स्वास्थ्य आयोग के अनुसार, कोरोनावायरस से शनिवार को 86 लोगों की मौत हो गई। 3399 नए मामले दर्ज किए गए। चीन में 34,500 मामलों की पुष्टि हो गई है। चीन के हुबेई प्रांत में दिसंबर में कोरोना का पहला मामला सामने आया था। उसके बाद से अब तक चीन के 30 से ज्यादा शहरों को लॉकडाउन किया जा चुका है। हुबेई के वुहान शहर में करीब 5.6 करोड़ लोगों की आवाजाही पर रोक है।
कोरोना का सबसे पहले खुलासा करने वाले डॉक्टर की मौत
सबसे पहले कोरोनावायरस का खुलासा करने वाले 34 साल के वुहान के डॉक्टर की भी इसकी चपेट में आने से मौत हो गई। यह महामारी करीब 27 से ज्यादा देशों में फैल चुकी है। जापान के एक जहाज पर सवार करीब 61 लोगों में कोरोना की पुष्टि हो चुकी है। जहाज पर लगभग 3700 यात्री हैं। सभी की जहाज पर ही निगरानी रखी जा रही है।
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