Saturday, December 26, 2020
इलिनॉय के स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में शूटर ने खुलेआम गोलियां बरसाईं, 3 लोगों की जान गई December 26, 2020 at 06:40PM
अमेरिका के इलिनॉय के स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स में शनिवार को एक शूटर ने खुलेआम गोलियां बरसाईं। इसमें 3 लोगों की मौत हो गई और 3 अन्य लोग घायल हो गए। रॉकफोर्ड पुलिस के प्रमुख डैन ओ शिया के हवाले से न्यूज एजेंसी रायटर्स ने बताया कि एक संदिग्ध व्यक्ति को हिरासत में लिया गया है। हालांकि उन्होंने उसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी।
इलाके से दूर रहने की अपील की
पुलिस ने सोशल मीडिया पर लोगों से अपील की कि डॉन कार्टर लेन्स बॉलिंग एली के पास के इलाके से दूर रहें। वहां के हालात अभी सामान्य नहीं हैं और ऑफिसर्स मौके पर हालात को संभालने में जुटे हुए हैं। मामले की जांच की जा रही है।
अक्टूबर में रोचेस्टर में हुई थी फायरिंग
इससे पहले रोचेस्टर शहर में अक्टूबर में एक पार्टी में गोलीबारी हुई थी। इसमें दो लोगों की मौत हो गई थी और 14 अन्य घायल हो गए थे। पुलिस प्रमुख मार्क सिमंस ने बताया था कि शूटिंग के दौरान 18 से 22 साल के बीच के एक युवक और एक महिला की मौत हो गई थी।
2019 में मास शूटिंग में 211 की मौत
जानकारों के मुताबिक, अमेरिका में 2019 में अन्य वर्षों की तुलना में सबसे ज्यादा मास शूटिंग की घटनाएं हुईं। मास शूटिंग वैसी घटनाओं को कहा गया है कि जिनमें चार या ज्यादा लोगों की जान गई हो। एसोसिएटेड प्रेस (एपी), यूएसए टुडे और नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी के मुताबिक, 2019 में 41 मास शूटिंग की घटनाएं हुईं, जिनमें कुल 211 लोगों की मौत हुई है।
दुनिया की कुल सिविलियन गन में 48% अमेरिकियों के पास
अमेरिका में करीब 31 करोड़ हथियार हैं, 66% लोगों के पास एक से ज्यादा बंदूक हैं। दुनियाभर की कुल सिविलियन गन में से 48% सिर्फ अमेरिकियों के पास है। 89% अमेरिकी लोग अपने पास बंदूक रखते हैं। इनमें से 66% लोग एक से ज्यादा बंदूक रखते हैं। अमेरिका में बंदूक बनाने वाली इंडस्ट्री का सालाना रेवेन्यू 91 हजार करोड़ रुपए का है। 2.65 लाख लोग इस कारोबार से जुड़े हुए हैं।
अमेरिकी इकोनॉमी में हथियार की बिक्री से 90 हजार करोड़ रुपए आते हैं। अमेरिका में हर साल एक करोड़ से ज्यादा बंदूकें यहां बनती हैं।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
WHO बोला- ये आखिरी महामारी नहीं; अब कनाडा और स्वीडन में भी म्यूटेशन वाला वायरस मिला December 26, 2020 at 05:41PM
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने कहा है कि कोरोना वायरस दुनिया में आने वाली आखिरी महामारी नहीं है। जलवायु परिवर्तन और पशु कल्याण से निपटे बिना ह्यूमन हेल्थ में सुधार की कोशिशें सफल नहीं हो सकती हैं। WHO चीफ टेड्रोस गेब्रयेसस ने कहा कि कोरोना के खिलाफ लड़ाई में सिर्फ पैसा बहाने से ही कुछ नहीं होगा। हमें भविष्य के लिए भी तैयारी करनी होगी।
उन्होंने कहा कि हम एक आपदा से निपटने के लिए पैसों का इस्तेमाल करते हैं और जब वह आपदा खत्म हो जाती है, तो हम उसे भूला देते हैं। भविष्य में ऐसी समस्याओं से बचने के लिए हम कदम उठाना बंद कर देते हैं।
वहीं, ब्रिटेन में मिले कोरोना वायरस के नए स्ट्रेन से संक्रमित मरीज दूसरे देशों में भी सामने आने लगे हैं। जापान और फ्रांस के बाद स्पेन, कनाडा और स्वीडन में भी इसके मामले मिले हैं। शनिवार को स्वीडन में इस नए स्ट्रेन का एक और कनाडा में दो मामले सामने आए। स्वीडन की हेल्थ एजेंसी ने बताया कि ब्रिटेन से लौटे एक पैसेंजर के बीमार पड़ने के बाद उसकी जांच कराई गई। जांच में कोरोना के नए रूप की पुष्टि हुई। वहीं, कनाडा में मिले दोनों मरीज हाल ही में ब्रिटेन से लौटे थे।
दुनिया में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 8.07 करोड़ के ज्यादा हो गया। 5 करोड़ 68 लाख से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं। अब तक 17 लाख 64 हजार से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं।
फिलिपिंस दो हफ्ते के लिए UK की फ्लाइट्स रोकीं
कोरोना के नए स्ट्रेन के बढ़ते मामले के मद्देनजर फिलिपींस ने ब्रिटेन से आने वाली फ्लाइट्स पर दो हफ्ते की रोक लगा दी। यह रोक जनवरी के मध्य तक लागू रहेगी। राष्ट्रपति रॉड्रिगो ड्यूटर्टे ने ब्रिटेन से आने वाले यात्रियों के लिए 24 दिन के क्वारैंटाइन के आदेश जारी किए। इसमें वे सभी पैसेंजर्स शामिल हैं, जो पिछले दिनों जापान, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर और हॉन्गकॉन्ग जैसे देशों आएं हैं, जहां कोरोना के नए रूप के मामले मिले हैं।
बाइडेन बोले- पेडिंग कोविड-19 रिलीफ फंड पर साइन करें ट्रम्प
अमेरिका के प्रसिडेंट इलेक्टेड जो बाइडेन ने शनिवार को कहा कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प पेंडिंग कोविड-19 रिलीफ फंड पर जल्द साइन करें। उन्होंने कहा कि क्रिसमस बीत चुका है और करोड़ो परिवारों को अब जक नहीं पता कि उनकी मदद की भी जाएगी या नहीं। इसका कारण यह है कि ट्रम्प कांग्रेस द्वारा बहुमत से पास किए 2.3 ट्रिलियन के पैकेज (1694 अरब रुपए) पर हस्ताक्षर नहीं कर रहे हैं।
ब्रिटेन में दवा पर रिसर्च
ब्रिटेन के साइंटिस्ट्स एक नई दवा पर काम कर रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि इस दवा के इस्तेमाल से कोरोना संक्रमण को रोका जा सकेगा। हालांकि, ‘द हेल्थ’ मैगजीन ने अपनी एक अलग रिपोर्ट में कहा है कि इस ड्रग यानी दवा का इस्तेमाल संक्रमित व्यक्ति को ठीक करने में किया जाएगा। ब्रिटेन सरकार या हेल्थ डिपार्टमेंट ने फिलहाल तस्वीर साफ नहीं की है। माना जा रहा है कि ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक इस नए ड्रग पर रिसर्च कर रहे हैं।
कोरोना प्रभावित टॉप-10 देशों में हालात
देश |
संक्रमित | मौतें | ठीक हुए |
अमेरिका | 19,433,847 | 339,921 | 11,410,501 |
भारत | 10,188,392 | 147,659 | 9,760,848 |
ब्राजील | 7,465,806 | 190,815 | 6,475,466 |
रूस | 3,021,964 | 54,226 | 2,426,439 |
फ्रांस | 2,550,864 | 62,573 | 189,718 |
यूके | 2,256,005 | 70,405 | N/A |
तुर्की | 2,133,373 | 19,624 | 1,994,034 |
इटली | 2,038,759 | 71,620 | 1,386,198 |
स्पेन | 1,869,610 | 49,824 | N/A |
जर्मनी | 1,643,169 | 30,157 | 1,223,700 |
(आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं)
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
ट्रम्प बोले- मेलानिया सबसे खूबसूरत महिला, पर मैगजीन के कवर पर नहीं आईं; मिशेल 8 साल में 12 मैगजीन पर छपी थीं December 26, 2020 at 05:33PM
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने फर्स्ट लेडी मेलानिया ट्रम्प को नजरअंदाज करने के लिए मीडिया पर अपनी भड़ास निकाली। ट्रम्प ने कहा- मेलानिया ट्रम्प अमेरिका के इतिहास की सबसे खूबसूरत फर्स्ट लेडी हैं। फिर भी पिछले 4 साल में उन्हें कभी किसी बड़ी मैगजीन ने अपने कवर पेज पर जगह नहीं दी। जबकि, बराक ओबामा के कार्यकाल में उनकी पत्नी मिशेल ओबामा को 8 साल में 12 बड़ी मैगजीन ने कई बार अपने कवर पेज पर प्रकाशित किया था।
ट्रम्प ने सोशल मीडिया पर कहा- यह अमेरिकी मीडिया का भेदभाव पूर्ण रवैया है। मेरे कार्यकाल में उन्हें किसी भी मैगजीन ने कवर पेज पर नहीं रखा और न किसी प्रकार का मौका दिया। लेकिन जब उनका कार्यकाल खत्म हो रहा है, तब मीडिया मेलानिया ट्रम्प को महान बता रहा है।
कई मैगजीनों में ट्रम्प के आरोपों को बेबुनियाद बताया
ट्रम्प के इस आरोप को लेकर कुछ मैगजीन की तरफ से कहा गया कि उनके आरोप बेबुनियाद हैं। हालांकि, ट्रम्प समर्थकों ने ट्रम्प की हां में हां मिलाई। लोगों ने सोशल मीडिया पर लिखा- मेलानिया वाकई बेहद खूबसूरत हैं। लेकिन मीडिया जानबूझकर उन्हें जगह नहीं देता। मीडिया ट्रम्प के बारे में फेक न्यूज फैलाने में माहिर है। ऐसे मीडिया का बायकॉट कर देना चाहिए।
रिपोर्ट के मुताबिक, डोनाल्ड ट्रम्प से शादी से पहले मेलानिया एक मॉडल रह चुकी हैं। ट्रम्प से शादी के बाद मेलानिया को क्रिश्चियन डायर वेडिंग ड्रेस में वोग के कवर पेज पर जगह मिली थी। वहीं, 56 साल की मिशेल ओबामा व्हाइट हाउस में अपने कार्यकाल के 8 वर्षों के दौरान 12 कवर पर नजर आईं। जबकि 50 साल की मेलानिया अपने पति के चार साल के कार्यकाल में किसी भी मैगजीन के कवर पर नहीं दिखीं।
उधर, महामारी के बीच राष्ट्रपति ट्रम्प ने फ्लोरिडा में क्रिसमस का दिन गोल्फ खेलकर बिताया। इस दौरान ट्रम्प के करीबी सहयोगी और दक्षिण कैरोलिना के सीनेटर लिंडसे ग्राहम भी मौजूद थे। परिवार के साथ छुट्टियां बिताने के लिए ट्रम्प पाम बीच के अपने मार-ए-लेगो क्लब में ठहरे हुए हैं।
ट्रम्प ने कोरोना वैक्सीन को क्रिसमस का चमत्कार बताया
क्रिसमस के मौके पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ट्रम्प और फर्स्ट लेडी मेलानिया ने कोरोना वैक्सीन को क्रिसमस का चमत्कार बताया। उन्होंने एक वीडियो जारी कर लोगों को क्रिसमस की शुभकामनाएं दीं। राष्ट्रपति ने कहा- हम सभी वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, कर्मचारियों और सर्विस मेंबर्स के आभारी हैं, जो मुश्किल काम को संभव बनाने में लगे हैं। यह वास्तव में क्रिसमस का एक चमत्कार है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
नेपाल में भारत के 7 करोड़ से ज्यादा रुपए रद्दी में पड़े हुए हैं, केंद्र ने रकम वापस लेने से इनकार किया December 26, 2020 at 05:21PM
नेपाल के बैंकों में इस वक्त भारत के करीब 7 करोड़ रुपए से अधिक रद्दी में पड़े हुए हैं। इसके अलावा नेपाली नागरिकों के पास भी काफी रकम ऐसे ही पड़ी है। भारत सरकार को इसकी पूरी जानकारी है। लेकिन, कमाल की बात है कि केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने इतनी बड़ी रकम को अब तक नेपाल से वापस नहीं लिया है।
नई दिल्ली में नेपाली दूतावास के प्रवक्ता हरि प्रसाद ओडारी ने इसकी पुष्टि की। उनके मुताबिक, नेपाली बैंकों और वहां के नागरिकों के पास पड़ी यह भारतीय मुद्रा भारत में नोटबंदी लागू होने से पहले की है। ये पुराने यानी 500 और 1000 के वे नोट हैं, जिन्हें मोदी सरकार ने 8 नवंबर 2016 को चलन से बाहर कर दिया था। भारत को ये रुपए वापस लेकर नए नोट देने थे। लेकिन दोनों देशों के बीच कई दौर की बातचीत के बावजूद, अब तक इन नोटों को वापस लेने पर कोई सहमति नहीं बन सकी है।
इस समस्या का अब तक समाधान क्यों नहीं हुआ?
सूत्र बताते हैं कि नेपाल सरकार चाहती है कि उसके नागरिकों के पास मौजूद बंद हो चुकी भारतीय मुद्रा भी बदली जाए। लेकिन, नेपाल के पास अभी ऐसा कोई सिस्टम नहीं है, जिससे वैध और अवैध मुद्रा की पहचान हो सके। इस वजह से आशंका है कि दोनों देशों के बीच खुली सीमा, व्यापार आदि की आड़ में बची हुई अवैध भारतीय मुद्रा नेपाल के रास्ते भारत आ सकती है।
नवंबर 2018 से ही लगातार मशक्कत जारी
नेपाल सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी बताते हैं कि अब तक दोनों देशों के बीच आधिकारिक स्तर पर चार दौर की बात हो चुकी है। इनमें भारतीय रिजर्व बैंक, नेपाल राष्ट्र बैंक और तकनीकी टीमों के सदस्यों ने हिस्सा लिया। इसके अलावा, जब भारत में नोटबंदी हुई थी, तब नेपाल के तत्कालीन प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड ने अपने PM नरेंद्र मोदी से बात की थी। उन्होंने मोदी से नेपाली नागरिकों की मदद का आग्रह किया था। 2018 में नेपाल के मौजूदा प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली भारत दौरे पर आए थे। तब उन्होंने भी इस मुद्दे का हल निकालने के लिए मोदी से बातचीत की थी।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
कोरोना पर काबू पाने के लिए 70% आबादी को वैक्सीन लगानी होगी; इसके लिए 10 अरब डोज चाहिए December 26, 2020 at 05:18PM
बिल-मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के प्रमुख बिल गेट्स का अनुमान है कि कोरोनावायरस पर काबू पाने के लिए दुनिया की 70% आबादी को वैक्सीन लगानी जरूरी है। हर व्यक्ति को दो डोज के हिसाब से दस अरब डोज की जरूरत पड़ेगी। इतनी वैक्सीन का निर्माण आसान नहीं है। दुनियाभर में वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां हर साल अलग-अलग बीमारियों की करीब छह अरब डोज बनाती हैं।
गेट्स ने कहा- उत्पादन बढ़ाने का एक ही रास्ता है कि दूसरे स्रोतों से वैक्सीन के लिए करार किए जाएं। वैक्सीन का विकास करने वाली कंपनियां दूसरी दवा कंपनियों से समझौते कर सकती हैं। इस तरह का समझौता वैक्सीन बनाने वाली विश्व की सबसे बड़ी कंपनी भारत की सीरम इंस्टीट्यूट से हुआ है। यह कंपनी एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन का बड़े पैमाने पर उत्पादन कर रही है।
फाउंडेशन के वार्षिक पत्र में माइक्रोसॉफ्ट के पूर्व फाउंडर गेट्स ने कहा कि सीरम ने वैक्सीन का उत्पादन शुरू कर दिया है। यदि एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन को मंजूरी मिल गई, तो गरीब और मध्यम आय वर्ग के देशों में इसका डिस्ट्रीब्यूशन हो सकेगा। अगर वैक्सीन को मंजूरी नहीं मिली, तब भी सीरम इंस्टीट्यूट को पूरा नुकसान नहींं उठाना पड़ेगा। हमारे फाउंडेशन ने भी इसमें पैसे का जोखिम उठाया है।
फाउंडेशन का सालाना पत्र हर वर्ष जनवरी में जारी होता है, लेकिन इस बार इसे दिसंबर में जारी किया गया है। पत्र में गेट्स ने कहा- बड़ी संख्या में वैक्सीन बनाने के लिए दूसरे विश्व युद्ध जैसी व्यवस्था सही होगी। उस समय बड़े पैमाने पर उत्पादन में माहिर ऑटोमोबाइल कंपनियों ने टैंक और अन्य सैनिक हथियार बनाए थे। गेट्स लिखते हैं, वैक्सीन के वितरण में मुश्किल आ सकती है। कुछ प्लांट में दस अरब वैक्सीन बनाना एक बात है, लेकिन उसे अरबों लोगों को लगाना बहुत बड़ा काम है।
गेट्स फाउंडेशन वैक्सीन के व्यापक और समान वितरण के लिए 16 दवा कंपनियों और अलग-अलग देशों की सरकारों के सहयोग से काम कर रहा है। वे लिखते हैं, 2020 में हुई वैज्ञानिक खोजें अनोखी हैं। इन खोजों से 2020 की तुलना में 2021 बेहतर होगा। इंसान ने किसी दूसरी बीमारी के मामले में इतना महत्वपूर्ण काम एक साल में पहले कभी नहीं किया, जैसा इस साल कोविड-19 के संबंध में किया गया है।
पत्र में कहा गया है, महामारी के खिलाफ अभी हमने पूरी तरह जीत हासिल नहीं की है। लेकिन हम इसके अंत के नजदीक पहुंच गए हैं। महामारी की शुरुआत में गेट्स ने अपने ब्लॉग में लिखा था, यह विश्व युद्ध के समान है। इस मामले में केवल यह बात अलग है कि हम सब एक तरफ हैं। जब इंसान पर भारी मुसीबत आती है, तो हम हमेशा बेहतर नहीं कर पाते हैं। लेकिन, अधिकतर मौकों पर शोधकर्ताओं, निर्माताओं और जनता ने आगे बढ़कर चुनौती का मुकाबला किया है। ऐसा लगता है, हम इस विश्व युद्ध को जल्दी जीत लेंगे।
वैक्सीन की टेक्नोलॉजी पर 2014 से रिसर्च
वैक्सीन बनाने की तेज गति के लिए गेट्स फाउंडेशन थोड़ा श्रेय ले सकता है। फाउंडेशन 2014 से एमआरएनए (mRNA) टेक्नोलॉजी की रिसर्च के लिए पैसा दे रहा है। मॉडर्ना और फाइजर-बायोएनटेक की वैक्सीन इसी टेक्नोलॉजी पर आधारित हैं। यह टेक्नोलॉजी प्रभावी होने के साथ वैक्सीन के जल्द निर्माण में सहायक है। mRNA वैक्सीन लगने के बाद शरीर स्वयं ऐसी प्रोटीन बनाने लगता है, जिससे एंटीबॉडी बनने की प्रक्रिया तेज होती है।
युवा आबादी के कारण अफ्रीका में असर कम
गेट्स का कहना है, कोरोनावायरस का इलाज पहले की तुलना में आसान हुआ है। महामारी की शुरुआत में ढेरों दवाइयां आजमाई गईं थी, लेकिन बाद में कुछ दवाइयां ज्यादा असरकारी पाई गई। बीमारी की पहचान भी पहले के मुकाबले आसान हुई है। खुशी की बात है कि किसी भी महामारी के समय सबसे अधिक प्रभावित होने वाले अफ्रीका में तुलनात्मक रूप से संक्रमण और मृत्युदर कम है।
अधिकतर गैर अफ्रीकी देशों की तुलना में अफ्रीका की आबादी युवा है। युवाओं पर इस बीमारी का कम असर पड़ा है। महाद्वीप में ग्रामीण इलाके अधिक हैं। इस कारण लोग इमारतों और बंद स्थानों के अंदर कम समय बिताते हैं। भीड़ के लिए एक जैसी हवा में सांस लेने के कम अवसर होते हैं।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
China sending team to Nepal to prevent ruling party split December 26, 2020 at 03:55PM
बायोएनटेक के सीईओ बोले- कम से कम 10 साल तक वायरस हमारे बीच रहेगा December 26, 2020 at 06:21AM
दुनियाभर में कोरोना के नए और ज्यादा खतरनाक स्ट्रेन को लेकर चिंता जताई जा रही है। इस बीच फाइजर के साथ कोरोना वैक्सीन बनाने वाली कंपनी बायोएनटेक के सीईओ उगर साहिन ने कहा है कि वायरस कम से कम दस साल तक खत्म नहीं होगा।
एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में साहिन से पूछा गया था कि वायरस कब खत्म होगा और लोगों की जिंदगी कब तक वापस पटरी पर लौट सकेगी? इस पर उन्होंने कहा- हमें नॉर्मल की नई परिभाषा समझने की जरूरत है। यह वायरस अगले 10 साल तक हमारे साथ ही रहेगा।
नए स्ट्रेन के लिए 6 हफ्ते में बन सकती है वैक्सीन
साहिन ने कहा कि ब्रिटेन में मिले वायरस के नए स्ट्रेन के हिसाब से वैक्सीन में 6 हफ्ते में बदलाव किया जा सकता है। उन्होंने कहा- मैसेंजर तकनीक की खासियत यही है कि हम नए म्यूटेशन के हिसाब से वैक्सीन की वैसी ही इंजीनियरिंग कर सकते हैं। तकनीकी तौर पर हम 6 हफ्ते में नई वैक्सीन तैयार कर सकते हैं।
नए स्ट्रेन से वैक्सीन का असर कम नहीं होगा
फाइजर के साथ मिलकर बनाई गई बायोएनटेक की कोरोना वैक्सीन को अमेरिका और ब्रिटेन समेत 45 से ज्यादा देशों में इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी मिल चुकी है। उन्होंने भरोसा जताया कि UK में सामने आए कोरोना के नए स्ट्रेन से वैक्सीन के असरदार होने पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
वायरस का नया स्ट्रेन 70% ज्यादा संक्रामक
ब्रिटेन में वायरस के एक के बाद एक दो नए स्ट्रेन सामने आने के बाद दुनियाभर में चिंता जताई जा रही है। ब्रिटेन में नए स्ट्रेन के बाद अप्रैल के बाद एक हफ्ते में सबसे ज्यादा मौतें दर्ज की गई हैं। PM बोरिस जॉनसन ने 19 दिसंबर को पहला स्ट्रेन मिलने की जानकारी दी थी। इसे कोरोना के मौजूदा वायरस से 70% ज्यादा तेजी से फैलने वाला बताया जा रहा है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today