Saturday, November 21, 2020
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ट्रम्प ने G20 समिट का सेशन छोड़ा, कुछ देर बाद अपने रिसॉर्ट में गोल्फ खेलते नजर आए November 21, 2020 at 05:58PM
राष्ट्रपति चुनाव हार चुके डोनाल्ड ट्रम्प ने शनिवार को फिर गैरजिम्मेदाराना रवैया अपनाया। G20 समिट के एक सेशन में महामारी पर चर्चा हो रही थी। ट्रम्प सिर्फ 13 मिनट रुके और कुछ देर बाद अपने गोल्फ क्लब में नजर आए। महामारी से दुनिया का हर देश परेशान है और संघर्ष कर रहा है। अमेरिका में सबसे ज्यादा मामले और मौतें सामने आ रही हैं। इसके बावजूद ट्रम्प इसे गंभीरता से लेने तैयार नहीं हैं। शनिवार को फिर उन्होंने महमारी से पर चर्चा से ज्यादा जरूरी गोल्फ खेलना समझा।
13 मिनट ही रुके
सीएनएन की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रम्प व्हाइट हाउस के सिचुएशन रूम से वर्चुअल समिट में जुड़े। कुल 13 मिनट वे एक्टिव दिखे। इसके बाद उनके राष्ट्रपति चुनाव में धांधली से संबंधित उनके आरोपों वाले ट्वीट्स नजर आने लगे। ट्रम्प का यह बर्ताव इसलिए भी हैरान करने वाला था, क्योंकि दुनियाभर के करीब 24 नेता इस समिट में शिरकत कर रहे थे। सभी ने महामारी पर सहयोग की बात कही।
खुद के रिसॉर्ट पहुंचे
ट्रम्प के गोल्फ खेलने वाली तस्वीरें भी सामने आईं। हालांकि, उन्होंने खुद इस बारे में कोई ट्वीट नहीं किया। जबकि वे दूसरे मुद्दों पर लगातार ट्वीट कर रहे थे। ट्रम्प ने जब समिट छोड़ी उस वक्त फ्रांस के राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों, जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल और साउथ कोरिया के राष्ट्रपति मून जे इन समेत बाकी नेता महामारी से मुकाबले पर चर्चा कर रहे थे। ट्रम्प ने इसमें हिस्सा नहीं लिया।
आज हिस्सा ले सकते हैं
रविवार को G20 समिट का दूसरा और आखिरी दिन है। इसमें तीन सेशन होंगे। व्हाइट हाउस द्वारा जारी शेड्यूल के मुताबिक, ट्रम्प को इसमें हिस्सा लेना है। हालांकि, शनिवार को जिस तरह का रवैया उन्होंने अपनाया, उससे लगता है कि वे शायद ही इसमें शामिल हैं। व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैली मैक्केनी ने ट्रम्प का बचाव किया। कहा- राष्ट्रपति ने इकोनॉमिक ग्रोथ समेत तमाम मुद्दों पर अपनी बात रखी।
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मॉडर्ना वैक्सीन के एक डोज की कीमत 1800 रुपए से 2700 रुपए के बीच होगी; US में फिर 2 लाख केस November 21, 2020 at 05:36PM
दुनिया में कोरोना मरीजों का आंकड़ा शुक्रवार को 5.84 करोड़ के पार हो गया। 4 करोड़ 46 लाख से ज्यादा लोग ठीक हो चुके हैं। अब तक 13 लाख 86 हजार से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। मॉडर्ना वैक्सीन कंपनी ने पहली बार अपनी वैक्सीन की कीमत के बारे में जानकारी दी है। उधर, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा है कि कोविड-19 सिर्फ अमेरिका नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में खतरनाक ढंग से फैल रहा है। दूसरी तरफ इटली में भी संक्रमण के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं।
मॉडर्ना वैक्सीन के एक डोज की कीमत 25 डॉलर से 37 डॉलर (करीब 1800 रु से 2700 रु) के बीच होगी। कीमत इस बात पर भी निर्भर होगी कि कितना ऑर्डर मिला है। कंपनी के चीफ एग्जीक्यूटिव स्टीफन बेंसेल ने इस बात की जानकारी दी। 16 नवंबर को यूरोपीय कमीशन के एक अफसर ने कहा था कि हमने मॉडर्ना की लाखों डोज के लिए कंपनी से डील की है। एक डोज की कीमत 25 डॉलर से कम होगी। इस पर बेंसेल ने कहा कि ऐसी कोई डील नहीं हुई है, हां इसकी तैयारी जरूर है। हम यूरोप में वैक्सीन भेजना चाहते हैं और इसके लिए बातचीत जारी है। हाल ही में मॉडर्ना ने कहा था कि टेस्टिंग में उनकी वैक्सीन 94.5% कामयाब रही।
अमेरिका में फिर दो लाख मामले
अमेरिका में शनिवार को एक ही दिन में 2 लाख से ज्यादा संक्रमण के मामले सामने आए। इसके पहले भी यही आंकड़ा सामने आ चुका है। इस बीच लंबे वक्त बाद ट्रम्प ने कोविड-19 पर प्रतिक्रिया दी। ट्रम्प ने कहा- कोरोनावायरस सिर्फ अमेरिका में ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में खतरनाक ढंग से फैल रहा है। राष्ट्रपति चुनाव के दौरान जो बाइडेन ने हर मंच से कहा था कि ट्रम्प एडमिनिस्ट्रेशन ने कोरोना से निपटने में सतर्क होकर काम नहीं किया और इसका खामियाजा पूरे देश को उठाना पड़ा।
इटली में संक्रमण बढ़ा
मई के बाद इटली में हालात फिर चिंताजनक होते जा रहे हैं। हालांकि, यूरोप के लगभग सभी देशों में संक्रमितों की संख्या बढ़ती जा रही है। लेकिन, इटली में मामला गंभीर होता जा रहा है। शनिवार को यहां 25 हजार नए मामले सामने आए थे। यहां एक हफ्ते से हर दिन औसतन 22 हजार नए मामले सामने आ रहे हैं।
क्रूज पर सफर न करें
अमेरिका में सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल ने एक एडवाइजरी जारी की। इसमें कहा गया कि लोग क्रूज शिप में सफर करने से बचें क्योंकि इसमें संक्रमण का खतरा बहुत ज्यादा है। एडवाइजरी में कहा गया है कि अगर क्रूज में सफर करना इतना ही जरूरी है तो हर हाल में सफर के तीन से पांच दिन पहले टेस्ट रिपोर्ट निगेटिव होनी चाहिए। सफर से लौटने के बाद भी कम से कम सात दिन घर में ही रहना जरूरी है।
सीडीसी ने हाल ही में एक जांच के दौरान पाया कि क्रूज में यात्रा करने वालों को संक्रमण का खतरा आम लोगों से ज्यादा है। 1 मार्च से 28 सितंबर के बीच कुल 3689 ऐसे यात्री पाए गए जिन्होंने क्रूज में सफर किया और उन्हें संक्रमित पाया गया।
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बाइडेन को अब भी नहीं मिल रही इंटेलिजेंस ब्रीफिंग, खतरे में पड़ सकती है अमेरिकी सुरक्षा November 21, 2020 at 02:42PM
राष्ट्रपति चुनाव के नतीजे आए दो हफ्ते से ज्यादा हो गए हैं। लेकिन, डोनाल्ड ट्रम्प हार मानने तैयार नहीं हैं। जो बाइडेन को 306 इलेक्टोरल वोट मिल चुके हैं। 2016 में ट्रम्प को जब इतने ही वोट मिले थे तो उन्होंने इसे भारी बहुमत बताया था। अब वे नतीजों को खारिज ही नहीं कर रहे हैं, बल्कि अमेरिकी सुरक्षा हितों को भी खतरे में डाल रहे हैं। सत्ता हस्तांतरण करने को तैयार नहीं हैं। बाइडेन और कमला हैरिस को इंटेलिजेंस ब्रीफिंग नहीं दी जा रही। कुल मिलाकर ट्रम्प अपनी जिद से जो माहौल बना रहे हैं वो अमेरिका के लिए अच्छा संकेत नहीं है।
परंपरा तोड़ चुके हैं
CNN ने इस मामले पर एक रिपोर्ट जारी की है। रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका में सत्ता हस्तांतरण चुनाव नतीजों के फौरन बाद शुरू हो जाता है। बाइडेन तो टीम बना चुके हैं। लेकिन, ट्रम्प के आदेश से मजबूर अफसर उन तक जानकारियां नहीं भेज पा रहे। राष्ट्रपति ही मिलिट्री का कमांडर इन चीफ होता है। उसको व्हाइट हाउस के ओवल ऑफिस में बैठने से पहले बेहद संवेदनशील मामलों की गहराई से जानकारी करीब दो महीने पहले ही दी जाने लगती है। ऐसे में बाइडेन को अब तक इंटेलिजेंस ब्रीफिंग न मिलना कहीं न कहीं अमेरिका के सुरक्षा हितों से खिलवाड़ जैसा है।
इंटेलिजेंस ब्रीफिंग पर कमेटी
आमतौर पर इंटेलिजेंस एजेंसियां सीनेट की एक कमेटी को जानकारी देती हैं। हालांकि, बेहद गोपनीय और अति संवेदनशील इंटेलिजेंस ब्रीफिंग राष्ट्रपति और कुछ खास लोगों तक ही पहुंचती है। अब तक डायरेक्टर ऑफ नेशनल इंटेलिजेंस को ट्रम्प ने आदेश नहीं दिया कि वे बाइडेन को खुफिया मामलों की जानकारी दें। इससे खतरा ये है कि जब बाइडेन राष्ट्रपति बनेंगे शायद वे फौरन फैसले न ले पाएं। बिल क्लिंटन और जॉर्ज बुश के दौर में सीआईए की कमान संभाल चुके डेविड कहते हैं- ये खतरनाक स्थिति है। इसका खामियाजा देश को भुगतना पड़ सकता है।
सिर्फ एक अच्छी बात
बाइडेन खुद 8 साल उप राष्ट्रपति रह चुके हैं। लिहाजा, वो एडमिनिस्ट्रेशन और इंटेलिजेंस ब्रीफिंग की बारीकियों को गंभीरता से समझते हैं। एक अच्छी बात यह है कि कमला हैरिस सीनेट की इंटेलिजेंस कमेटी की मेंबर हैं। बाइडेन ने कहा- मेरे लिए अच्छी बात यह है कि मेरी सहयोगी कमला हैरिस के पास इंटेलिजेंस ब्रीफिंग होती है। बहुत मुमकिन है कि इसी हफ्ते जनरल एडमिनिस्ट्रेशन ट्रांजिशन शुरू करे और तब कानूनी तौर पर इंटेलिजेंस अफसर बाइडेन को इंटेलिजेंस ब्रीफिंग के लिए मजबूर होंगे। बाइडेन के एक एडवाइजर ने कहा- देश और उसकी सुरक्षा हर तरह की सियासत से ऊपर है। ट्रम्प को यह समझना होगा।
अपने ही सांसदों की बात नहीं सुन रहे ट्रम्प
रिपब्लिकन पार्टी के सीनियर सीनेटर और ट्रम्प की सहयोगी रहीं लिंडसे ग्राहम ने कहा- मैं साफ तौर पर यह मानती हूं कि बाइडेन को हर हाल में और पूरी इंटेलिजेंस ब्रीफिंग मिलनी चाहिए। मेसन यूनिवर्सिटी ऑफ नेशनल सिक्युरिटी के डायरेक्टर और बुश के दौर में उनके एडवाइजर रहे एन जेफर कहते हैं- ट्रम्प बहुत गलत कर रहे हैं। हालांकि, ये होना नहीं चाहिए। सब बातें छोड़ भी दें तो नेशनल सिक्युरिटी सबसे ऊपर होती है। पॉलिटिक्स अपनी जगह है लेकिन, मैं अपने कॅरियर में पहली बार इस तरह के हालात देख रहा हूं, और बहुत चिंतित हूं। लेकिन, अफसर भी जानते हैं कि क्या चल रहा है और उन्हें क्या करना है, भरोसा रखिए।
9/11 से सबक लें ट्रम्प
2001 में अमेरिका में 9/11 हमला हुआ। इसकी जांच के लिए जो कमेटी बनी, उसने एडमिनिस्ट्रेशन की कुछ खामियों की भी जानकारी दी। कमेटी के मुताबिक, साल 2000 में ट्रांजिशन में हुई देरी भी हमले की वजह थी। इस कमेटी की सिफारिशों की वजह से ही बाद में ये तय हुआ कि चुनाव के फौरन बाद ही सत्ता हस्तांतरण से जुड़े काम शुरू किए जाएंगे। हालांकि, ट्रम्प इसको भी मानने तैयार नहीं हैं। नियुक्तियों के लिए भी एफबीआई क्लियरेंस जरूरी होगा। उसमें पहले ही देरी हो चुकी है।
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PM बोले- दूसरे विश्व युद्ध के बाद कोरोना दुनिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती November 21, 2020 at 08:28AM
कोविड-19 महामारी दूसरे विश्व युद्ध के बाद से दुनिया के सामने सबसे बड़ी चुनौती है। यह मानवता के इतिहास में एक अहम मोड़ है। वर्क फ्रॉम एनी व्हेयर अब न्यू नॉर्मल है। यह बातें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को G20 समिट में कहीं। उन्होंने G-20 का वर्चुअल सेक्रेटेरिएट बनाने का भी सुझाव दिया है। भारत 2022 में G-20 समिट की मेजबानी करने वाला है।
नए ग्लोबल इंडेक्स के लिए 4 मंत्र दिए
प्रधानमंत्री ने कोरोना के बाद वाली दुनिया के लिए एक नया ग्लोबल इंडेक्स तैयार करने का भी सुझाव दिया। इसमें चार चीजें शामिल हैं। पहला- बड़ा टेलेंट पूल तैयार करना। दूसरा- ये तय करना कि तकनीक समाज के सभी वर्गों तक पहुंचे। तीसरा- गवर्नेंस सिस्टम में पारदर्शिता और चौथा- अपनी पृथ्वी के साथ भरोसे की भावना से व्यवहार करना।
उन्होंने कहा कि 4 चीजों के आधार पर G20 एक नई दुनिया की नींव रख सकता है। मोदी ने G-20 के कामकाज के लिए डिजिटल सुविधाओं को और बेहतर करने के लिए भारत की आईटी की महारत का इस्तेमाल करने की पेशकश की। सऊदी अरब के किंग सलमान ने इस समिट की शुरुआत की। समिट कोरोना के कारण ऑनलाइन की गई।
साझा कोशिशें मुसीबत से बाहर निकालेंगी
प्रधानमंत्री मोदी ने ट्वीट किया कि G-20 नेताओं के साथ बहुत ही सार्थक चर्चा हुई। दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की मिली-जुली कोशिशों से दुनिया इस महामारी से तेजी से बाहर निकलेगी। हमारे कामकाज में पारदर्शिता हमारे समाज को मिलकर और यकीन के साथ मुसीबत से लड़ने के लिए प्रेरित करने में मदद करती है। धरती के लिए भरोसे की भावना हमें सेहतमंद और समग्र जीवन शैली के लिए प्रेरणा देगी।
20 सबसे अमीर देशों के नेता शामिल
दुनिया के 20 सबसे अमीर देशों के संगठन G-20 की बैठक शनिवार से शुरू हो गई। इस बार यह आयोजन सऊदी अरब कर रहा है। यह पहली बार है कि आयोजन का जिम्मा किसी अरब देश को मिला है। 2 दिन चलने वाली यह समिट ऑनलाइन की जा रही है। कोरोना के कारण तबाह हुई दुनिया की इकॉनॉमी, कई देशों के बीच चल रहे तनाव और अमेरिका में सत्ता बदलने के कारण यह बैठक बहुत चुनौती भरे दौर में हो रही है।
क्लाइमेट चेंज का मुद्दा इसके केंद्र में रह सकता है। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और जर्मन चांसलर एंजेला मार्केल भी इसमें शामिल हो रही हैं।
बड़े नेताओं के साथ ट्रम्प की आखिरी बैठक
व्हाइट हाउस ने इस बात की पुष्टि की है कि ट्रम्प दोनों दिन समिट में शामिल रहेंगे। राष्ट्रपति चुनाव में जो बाइडेन से हार मिलने के कारण यह समिट ट्रम्प के लिए दुनिया के बड़े नेताओं के साथ बातचीत का आखिरी मौका है। अगल साल 20 जनवरी को उन्हें व्हाइट हाउस छोड़ना है।
क्या है G-20
G-20 की स्थापना 1999 में की गई थी। इसका हेडक्वॉर्टर पेरिस में है। इस संगठन में अमेरिका, रूस, भारत, चीन, ब्रिटेन, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कनाडा, चीन, यूरोपीय संघ, फ्रांस, जर्मनी, इंडोनेशिया, इटली, जापान, मैक्सिको, सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, दक्षिण कोरिया और तुर्की शामिल हैं। स्पेन स्थायी मेहमान सदस्य है। उसे हर साल बुलावा दिया जाता है।
इन देशों के प्रतिनिधि हर साल फाइनेंशल और सोशल मुद्दों पर चर्चा के लिए जुटते हैं। ये देश वर्ल्ड इकॉनमी में 80 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा कवर करते हैं। पूरी दुनिया की कुल आबादी की दो तिहाई इन देशों में रहती है। इंटरनेशनल ट्रेड का तीन चौथाई हिस्सा इन्हीं से होता है। G20 के लीडर्स की पहली समिट 2008 में वॉशिंगटन में हुई थी।
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