सीमा पार से खबर आई है कि भारत के करोड़ों सिख श्रद्धालुओं की आस्था का सम्मान देते हुए पाकिस्तान को जोड़कर बना करतारपुर कॉरिडोर जल्द ही एक बार फिर खुल सकता है। हालांकि अभी कोरोना की महामारी के थोड़ा नियंत्रण में आने का इंतजार किया जा रहा है। यह पुष्टि शनिवार को पाकिस्तानी मीडिया के हवाले से हुई है। पाक मीडिया के मुताबिक कहा जा रहा है कि एक बार जब कोविड-19 की स्थिति में थोड़ा सुधार आ जाएगा तो उसके बाद श्रद्धालुओं के लिए करतारपुर गलियारा खोल दिया जाएगा। एख बार स्थिति में सुधार आने के बाद श्रद्धालु दर्शन कर सकेंगे।
दरअसल, भारत में कोरोनावायरस के खतरे को देखते हुए 15 मार्च को करतारपुर कॉरिडोर को बंद करने का फैसला लिया गया था। पहले इसे 31 मार्च तक बंद किया गया था, लेकिन बाद में अनिश्चितकाल के लिए बंद रखने का फैसला किया गया। हालांकि 29 जून को शेर-ए-हिंदुस्तान महाराजा रणजीत सिंह की पुण्यतिथि पर पाकिस्तान की तरफ से कॉरिडोर को खोलने की बात कही गई थी। उस वक्त भारत सरकार ने इसे छलावा करार देते हुए सिरे से खारिज कर दिया था।
तीन महीने पहले इस बिनाह पर खारिज हुआ था पाकिस्तान का दावा
दरअसल, करीब तीन महीने पहले करतारपुर कॉरिडोर को खोलने की बात करके पाकिस्तान खुद को दोस्ती और अमन का पैरोकार साबित करने की साजिश रच रहा था। 27 जून को करतारपुर कॉरिडोर खोलने का ऐलान करता है। इसके लिए सिर्फ दो दिन का वक्त देता है, जबकि दोनों देशों के बीच समझौते के तहत यह तय है कि किसी भी यात्रा के लिए कम से कम 7 दिन पहले एक-दूसरे को जानकारी देनी होगी। समझौते के तहत पाकिस्तान को अपनी तरफ बहने वाली रावी नदी पर ब्रिज बनाना था, लेकिन उसने नहीं बनाया।
गुरु नानक देव से जुड़ा करतारपुर गुरुद्वारे का इतिहास
पाकिस्तान के नारोवाल जिले में रावी नदी के पास स्थित गुरुद्वारा करतारपुर साहिब का इतिहास करीब 500 साल से भी पुराना है। मान्यता है कि 1522 में सिखों के गुरु नानक देव ने इसकी स्थापना की थी। उन्होंने अपने जीवन के आखिरी साल यहीं बिताए थे। लाहौर से करतारपुर साहिब की दूरी 120 किलोमीटर है तो गुरदासपुर इलाके में भारतीय सीमा से यह लगभग 7 किलोमीटर दूर है।
दोनों देशों की सरकारों के प्रयासों से बना था कॉरिडोर
भारत और पाकिस्तान की सरकारों ने गुरदासपुर के डेरा बाबा नानक और पाकिस्तान के करतारपुर में स्थित पवित्र गुरुद्वारे को जोड़ने के लिए कॉरिडोर बनाने का फैसला लिया था। करतारपुर कॉरिडोर की नींव 2018 में रखी गई थी। भारत में 26 नवंबर को और पाकिस्तान में 28 नवंबर को शिलान्यास किया गया था। इसके बाद गुरुनानक देव जी के प्रकाशोत्सव पर 9 नवंबर 2019 को इसे जनता को समर्पित कर दिया गया था।
"Jill and I send our thoughts to President Trump and First Lady Melania Trump for a swift recovery. We will continue to pray for the health and safety of the president and his family," Biden tweeted on Friday. "Michelle and I hope that the President, First Lady, and all those affected by the coronavirus around the country are getting the care they need and are on the path to a speedy recovery,” he said.
The Cardinals confirmed Gibson's death shortly after losing to San Diego 4-0 in the NL playoffs. Gibson had long been ill with pancreatic cancer in his hometown of Omaha, Nebraska. Gibson's death came on the 52nd anniversary of perhaps his most overpowering performance, when he struck out a World Series record 17 batters in Game 1 of the 1968 World Series against Detroit.
As examples, Guterres has expressed deep concern at the escalating disputes between the Trump administration and China. Relations between the US and Russia are at a low point. Nuclear-armed India and Pakistan are feuding over Kashmir, and India just had a border skirmish with China. And North Korea boasts about its nuclear weapons.
Ashraf, 22, is not an archetypal Egyptian rebel. She comes from an apolitical family that lives in a gated community in eastern Cairo — a place of manicured lawns and hushed streets lined with luxury vehicles where support for Egypt’s authoritarian leader, President Abdel-Fattah el-Sissi, runs relatively high.
Marie Curie, Mother Teresa and Malala are among the just five percent of women Nobel laureates. But women are also heavily underrepresented in the institutions that select the prizewinners each year.
इमरान खान ने कहा है कि अगर करगिल जंग के दौरान वे प्रधानमंत्री होते, और आर्मी चीफ ने बिना उन्हें बताए युद्ध शुरू किया होता तो वे फौरन उन्हें बर्खास्त कर देते। इमरान ने कहा- अगर आईएसआई का कोई चीफ उनसे आकर इस्तीफा देने को कहता है तो वे बिना वक्त गंवाए उसे हटा देंगे।
वहीं, फौज से उनकी पार्टी की नजदीकियों का आलम ये है कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) में इमरान की पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के पोस्टरों में उनके साथ जनरल बाजवा और दूसरे फौजी अफसर नजर आ रहे हैं।
आर्मी और आईएसआई चीफ पर बयान क्यों
इमरान ने एक इंटरव्यू में करगिल और आर्मी चीफ का जिक्र किया। इसके अलावा आईएसआई प्रमुख पर भी बात की। इसकी एक खास वजह है। दरअसल, पिछले कुछ महीनों से विपक्ष एकजुट है। नवाज शरीफ समेत विपक्ष के तमाम नेता इमरान को फौज की मेहरबानी से बना प्रधानमंत्री बता रहे हैं। उन्हें इलेक्टेड के बजाए सिलेक्टेड पीएम कहा जा रहा है। नवाज के पिछले दिनों दो बयान आए। एक में करगिल का जिक्र था। दूसरे में आईएसआई चीफ का। यहां जानते हैं कि नवाज के बयान पर इमरान ने क्या जवाब दिया।
करगिल जंग
1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच करगिल में जंग हुई। पाकिस्तान बुरी तरह हारा। इस दौरान नवाज शरीफ पीएम और जनरल मुशर्रफ आर्मी चीफ थे। नवाज कई बार कह चुके हैं कि मुशर्रफ ने उनकी इजाजत के बगैर करगिल में जंग छेड़ी थी और उन्होंने बमुश्किल अमेरिका की मदद से इसे रुकवाया और पाकिस्तान को बचाया।
इमरान इसे नवाज की कमजोरी बताते हैं। वे कहते हैं- अगर मैं पीएम होता। और आर्मी चीफ ने मुझे बताए बिना करगिल जंग छेड़ी होती तो मैं उन्हें बर्खास्त कर देता।
आईएसआई चीफ पर क्या और क्यों बोले
नवाज ने कहा था- 2014 में आईएसआई चीफ जहीर उल इस्लाम ने आधी रात को मेरे पास एक व्यक्ति के जरिए मैसेज भेजा। उन्होंने मुझसे फौरन इस्तीफा देने को कहा था। मैंने इनकार कर दिया था।
इमरान ने नवाज के इस बयान पर कहा- अगर मेरे पास आईएसआई चीफ या उनका इस तरह का मैसेज आया होता तो मैं उन्हें पद से हटाने में जरा भी देरी नहीं करता।
इमरान के पार्टी पोस्टरों में आर्मी चीफ
फौज को लेकर पाकिस्तान में चल रही सियासत के बीच एक और खबर आई। ‘द डॉन’ के मुताबिक, पीओके में इमरान की पार्टी पीटीआई के कई पोस्टर और बैनर लगाए गए हैं। इनमें इमरान के साथ आर्मी चीफ जनरल बाजवा और दूसरे फौजी अफसर नजर आ रहे हैं। कुछ लोगों ने इसकी शिकायत चुनाव आयोग से की। आयोग ने इन्हें हटाने को कहा है।
कुछ दिन पहले ही आर्मी चीफ जनरल बाजवा ने विपक्षी नेताओं की एक मीटिंग बुलाई थी। इसमें उन्होंने कहा था कि सियासत से आर्मी को दूर रखा जाए। आर्मी को यह मंजूर नहीं कि उसको मुल्क की अंदरूनी राजनीति में घसीटा जाए।
US President Donald Trump remains “fatigued but in good spirits” his physician said on Friday, a day after the president and the first-lady tested positive for Covid-19, forcing them to quarantine inside the White House.
The vice presidential debate between Mike Pence and Kamala Harris next week will go on as scheduled after President Donald Trump tested positive for the coronavirus on Friday. An official with the Commission on Presidential Debates confirmed that no changes are anticipated to the Wednesday night debate in Salt Lake City. Both Pence and Harris underwent tests for the coronavirus on Friday and tested negative.
North Korean leader Kim Jong-un on Saturday sent a message of sympathy to President Donald Trump and his wife Melania, wishing they would recover from the Covid-19 illness, state media reported.
On Friday, Armenian Prime Minister Nikol Pashinyan told French newspaper Le Figaro that Turkey had "transported thousands of mercenaries and terrorists" to Azerbaijan from northern Syria.
Francis will journey to Assisi, the birthplace of his namesake saint, where he will sign his new encyclical -- a document laying out the pope's views on key issues -- called "Fratelli tutti", on the importance of fraternity, particularly in these Covid-19 times.
दुनिया में संक्रमितों का आंकड़ा 3.48 करोड़ से ज्यादा हो गया है। ठीक होने वाले मरीजों की संख्या 2 करोड़ 58 लाख 89 हजार 759 से ज्यादा हो चुकी है। मरने वालों का आंकड़ा 10.33 लाख के पार हो चुका है। ये आंकड़े https://ift.tt/2VnYLis के मुताबिक हैं। फ्रांस में तमाम कोशिशों के बावजूद संक्रमण की दूसरी लहर का खतरा कम नहीं हो रहा है। यहां शुक्रवार को फिर 12 हजार से ज्यादा नए मामले सामने आए।
फ्रांस: बेकाबू संक्रमण
फ्रांस में सरकार ने विरोध के बावजूद कई नए प्रतिबंध लगाए हैं। लेकिन, इनका असर अब तक देखने नहीं मिला है। कम से कम आंकड़े तो यही बताते हैं कि दूसरी लहर पर काबू पाने में कामयाबी नहीं मिली है। शुक्रवार को यहां कुल 12 हजार 148 मामले सामने आए। गुरुवार को 13 हजार 970 केस सामने आए थे। बीते दो हफ्ते में यहां कुल मिलाकर दो लाख से ज्यादा नए केस सामने आ चुके हैं। सरकार ने रविवार से राजधानी पेरिस के बार और रेस्टोरेंट्स बंद करने का फैसला किया है। हालांकि, इसकी आधिकारिक घोषणा फिलहाल नहीं की गई है। टूरिस्ट प्लेस को लेकर आज नई गाइडलाइन जारी की जा सकती है। कुछ बॉर्डर को सील किया जा सकता है।
कोलंबिया : राजधानी में खतरा ज्यादा
कोलंबिया की राजधानी बोगाटा में संक्रमण की दूसरी लहर का खतरा बाकी शहरों के मुकाबले ज्यादा घातक साबित हो सकता है। हालांकि, राजधानी की मेयर क्लाउडिया लोपेज मानती हैं कि प्रशासन ने इससे निपटने की तैयारी की है और इसलिए इस पर काबू पाने में कामयाबी हासिल होगी। क्लाउडिया ने कहा- हम मानते हैं कि दूसरी लहर नवंबर या दिसंबर या इसके पहले भी राजधानी को गिरफ्त में ले सकता है। लेकिन, हमने तैयारियां की हैं। उम्मीद है कि यह पहली लहर की तरह खतरनाक साबित नहीं होगी।
कोलंबिया में पांच महीने से लॉकडाउन है। हालांकि, प्रतिबंधों में काफी हद तक ढील दी जा चुकी है। सितंबर से कुछ रेस्टोरेंट्स भी खोले गए हैं। सरकार का कहना है कि छोटे शहरों और स्लम एरिया में संक्रमण का खतरा टला नहीं है।
चीन : 10 नए केस
चीन में शुक्रवार को 10 नए मामले सामने आए। गुरुवार को भी इतने ही केस सामने आए थे। नेशनल हेल्थ कमिशन ने एक बयान में कहा- जिन लोगों को संक्रमित पाया गया है, वे सभी दूसरे देशों से चीन आए थे। स्थानीय संक्रमण के कोई संकेत या सबूत नहीं मिले हैं। देश में फिलहाल, 189 एक्टिव केस हैं। इनमें से कुछ मरीजों की हालत गंभीर है। इसके अलावा चार मामलों की रिपोर्ट आनी बाकी है। चीन में अब तक कुल 85,434 मामले सामने आए हैं। मरने वालों की संख्या 4,634 हो चुकी है।
स्पेन : मैड्रिड लॉकडाउन के लिए तैयार
स्पेन की राजधानी मैड्रिड में सरकार ने कुछ हॉटस्पॉट्स की पहचान की है। सरकार का कहना है कि यहां लॉकडाउन लगाए बिना संक्रमण रोकना आसान नहीं है। लेकिन, स्थानीय प्रशासन और लोग केंद्र के इस फैसले का विरोध कर रहे हैं। परेशानी की बात यह है कि दो हफ्ते में यहां एक लाख 33 हजार से ज्यादा मामले सामने आए हैं और सरकार की फिक्र का सबब भी यही आंकड़ा है। हेल्थ मिनिस्टर साल्वाडोर इले ने कहा- मैड्रिड की हेल्थ ही स्पेन की हेल्थ भी है। हमने नियमों की नई सूची तैयार कर ली है और इसे जल्द लागू करेंगे। मैड्रिड में 9 उपनगरीय इलाके हैं। यहां करीब 30 लाख लोग रहते हैं। फिलहाल, बाहर से आने वालों पर बैन लगाया गया है।
कोरोना पॉजिटिव होने के बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को मेरीलैंड के वॉल्टर रीड हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया है। उन्हें हल्का बुखार, सर्दी और सांस लेने में कुछ परेशानी बताई गई है। आज ट्रम्प के कुछ और टेस्ट किए जाएंगे। उन्हें कुछ दिन हॉस्पिटल में रहना होगा।
ट्रम्प की गैरमौजूदगी में चुनाव प्रचार की जिम्मेदारी उप राष्ट्रपति माइक पेन्स और सीनेट स्पीकर नैंसी पेलोसी संभालेंगे। हालांकि, बतौर राष्ट्रपति ट्रम्प अपना काम हॉस्पिटल से ही करेंगे। शुक्रवार को हॉस्पिटल पहुंचने के बाद ट्रम्प ने 18 सेकंड के वीडियो मैसेज में कहा- मैं ठीक हूं, और सावधानी के तौर पर हॉस्पिटल आया हूं। मेलानिया भी ठीक हैं।
कमजोर नजर आए ट्रम्प
शुक्रवार को जब ट्रम्प मैरीन वन हेलिकॉप्टर से हॉस्पिटल पहुंचे तो उन्हें देखकर साफ तौर पर कहा जा सकता था कि वे चलने में तकलीफ महसूस कर रहे हैं। इस दौरान उन्होंने नीले रंग का मास्क लगाया था, जो आमतौर पर वे नहीं लगाते। मीडिया की तरफ उन्हें थम्सअप का विक्ट्री साइन दिखाया।
राष्ट्रपति के करीबियों की मानें तो वे फिलहाल, उपराष्ट्रपति को पावर ट्रांसफर नहीं करेंगे। व्हाइट हाउस के प्रवक्ता जूड डीर ने कहा- राष्ट्रपति का चार्ज उन्हीं के पास है। सूत्रों के मुताबिक, चुनाव प्रचार की कमान अब उप राष्ट्रपति माइक पेन्स के पास रहेगी। नैंसी पेलोसी उनकी मदद करेंगी। हालांकि, रिपब्लिकन पार्टी ने अब तक आधिकारिक तौर पर इस बारे में कुछ नहीं कहा है।
मास्क पहनते तो संक्रमित न होते
ट्रम्प पिछले कुछ महीनों से लगातार डेमोक्रेटिक कैंडिडेट जो बाइडेन के हर वक्त मास्क पहनने का मजाक उड़ाते रहे। सिर्फ दो मौकों पर उन्होंने मास्क पहना। वे इसे गैरजरूरी और तकलीफदेह बताने से भी नहीं चूके। संक्रमित होने के बाद हॉस्पिटल पहुंचे तो मास्क चेहरे पर था। पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी के एक्सपर्ट डॉक्टर डेविड नेस ने कहा- अगर ट्रम्प ने मास्क लगाया होता तो वे संक्रमित नहीं होते। जो लोग मास्क नहीं लगा रहे हैं, उनको संक्रमण का खतरा बहुत ज्यादा है।
राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और पत्नी मेलानिया कोरोना पॉजिटिव पाए जा चुके हैं। चुनाव में पांच हफ्ते से भी कम वक्त बचा है। लिहाजा, ट्रम्प के लिए यह मुश्किल दौर है। सवाल ये है कि क्या वे संक्रमण से उबरने के बाद भी कैम्पेन में हिस्सा ले पाएंगे। अगर वे कामकाज नहीं कर पाए तो फिलहाल उनकी जिम्मेदारी उप राष्ट्रपति माइक पेन्स निभाएंगे। अगर पेन्स भी पॉजिटिव हो जाते हैं तो सीनेट स्पीकर नैंसी पेलोसी यह जिम्मेदारी निभाएंगी।
लापरवाह रवैये का खामियाजा
ट्रम्प कई महीनों या कहें महामारी की शुरुआत से ही इसकी गंभीरता को नजरअंदाज करते दिखे। इसे मामूली फ्लू बताते रहे। मास्क को भी गंभीरता से नहीं लिया। जबकि, अमेरिका में मौतों का आंकड़ा 2 लाख से ज्यादा हो गया है। वे कहते रहे- वायरस जल्द ही गायब हो जाएगा, इस पर काबू पा लिया गया है। वैज्ञानिकों का मजाक भी उड़ाया। जिस दिन राष्ट्रपति चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया। 1 हजार लोगों को साथ ले गए। रैलियों में हजारों लोग जुटे। न राष्ट्रपति ने मास्क लगाया और न समर्थकों ने।
मेडिकल एडवाइज भी नहीं मानी
ट्रम्प जिंदगी के 80वें दशक में हैं। रिसर्च बताते हैं कि 65 साल से ज्यादा उम्र के लोगों को संक्रमण का खतरा बहुत ज्यादा है। अमेरिका में जिन लोगों की संक्रमण से मौत हुई, उनमें हर 10 में से 8 व्यक्ति 65 साल या इससे ज्यादा उम्र के थे। ट्रम्प अपनी सेहत के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं देते। नवंबर में वे वॉशिंगटन के मिलिट्री मेडिकल सेंटर गए थे। तब कुछ कयास लगाए गए थे। उनकी लंबाई 1.9 मीटर (6.2 फीट) है। लेकिन, इसके लिहाज से वजन (110.2 किलोग्राम) ज्यादा है। हाई कोलेस्ट्रॉल की दिक्कत है। लेकिन, उनके डॉक्टर राष्ट्रपति की सेहत ‘बेहतरीन’ बताते हैं।
व्हाइट हाउस ने क्या किया
व्हाइट हाउस का ज्यादातर स्टाफ वर्क फ्रॉम होम है। जो ऑफिस आ रहे हैं, उन्हें मास्क लगाना और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होता है। ट्रम्प और पेन्स के अलावा जो उनके संपर्क में रोज आते हैं, उनका भी डेली बेसिस पर टेस्ट किया जाता है। लेकिन, पिछले कुछ दिनों से व्हाइट हाउस का ज्यादातर स्टाफ मास्क नहीं लगा रहा। कम से कम जब राष्ट्रपति मौजूद हैं तो वे मास्क बिल्कुल नहीं लगाते, क्योंकि ट्रम्प खुद भी यही करते हैं। अब अगर, ट्रम्प में संक्रमण के लक्षण पाए जाते हैं या वे ज्यादा बीमार होते हैं तो हालात खराब हो जाएंगे।
संविधान क्या कहता है
अमेरिकी संविधान के 25वें संशोधन के मुताबिक, अगर राष्ट्रपति की सेहत ठीक न हो और इस वजह से वे काम न कर पा रहे हैं तो अस्थायी तौर पर उनके पावर्स यानी शक्तियां वाइस प्रेसिडेंट को ट्रांसफर हो जाती हैं। पहली बार यह कानून 1967 में बना। 1985 में राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन की सर्जरी हुई। उन्होंने कुछ वक्त के लिए अपने पावर्स तब के उप राष्ट्रपति जॉर्ज डब्ल्यू बुश को सौंप दिए। जब बुश राष्ट्रपति बने तो 2002 और 2007 में दो बार उन्होंने अपनी शक्तियां उप राष्ट्रपति डिक चेनी को सौंपीं।
व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैली मैकेनी के मुताबिक, हम राष्ट्रपति और उप राष्ट्रपति दोनों को स्वस्थ रखेंगे। फिलहाल, वे स्वस्थ ही हैं और ऐसे ही रहेंगे। अमेरिकी इतिहास में सिर्फ दो राष्ट्रपति पद पर रहते हुए गंभीर रूप से बीमार हुए। पहले थे- जॉर्ज वॉशिंगटन। उन्हें इन्फ्लूएंजा हुआ था। दूसरे वुडरो विल्स। उन्हें भी यही बीमारी हुई थी।
चार राष्ट्रपति मारे गए
अमेरिकी इतिहास में चार राष्ट्रपति ऐसे हुए, जिनका निधन पद पर रहते हुए और प्राकृतिक कारणों से हुआ। ये थे- विलिमय हेनरी हैरिसन, जेचेरी टेलर, वॉरेन जी. हार्डिंग और फ्रेंकलिन डी. रूजवेल्ट। अब्राहम लिंकन, जेम्स ए. गारफील्ड, विलियम मैक्केनले और जॉन एफ कैनेडी की कार्यकाल के दौरान हत्या कर दी गई थी। हालांकि, रीगन (1981) के बाद ट्रम्प पहले ऐसे राष्ट्रपति हैं जो पद पर रहते हुए इतनी गंभीर बीमारी से पीड़ित हुए।
कोरोना के चलते 2 अक्टूबर को भारत में मौतों का आंकड़ा 1 लाख को पार कर गया। अमेरिका और ब्राजील के बाद अब भारत कोरोना से होने वाली मौतों के मामले में दुनिया में तीसरे नंबर पर है। भारत में कोरोना से होने वाली पहली मौत के 204 दिनों के बाद यह संख्या 1 लाख मौतों तक पहुंची है। वहीं, ब्राजील में यह आंकड़ा 158 दिनों में ही पहुंच चुका था, जबकि अमेरिका में शुरुआती 1 लाख मौतें 83 दिनों में हुई थीं।
भारत में कोरोना का पहला केस 30 जनवरी को, पहली मौत 12 मार्च को
भारत में कोरोनावायरस का पहला केस 30 जनवरी को केरल में सामने आया था। चीन के वुहान से लौटे एक छात्र में कोरोना वायरस के लक्षण पाए गए थे। जबकि भारत में कोरोना वायरस से पहली मौत 12 मार्च को कर्नाटक के कलबुर्गी में 76 साल के एक शख्स की हुई थी जो सऊदी अरब से लौटा था। जब भारत में कोरोना से पहली मौत हुई उस वक्त देश में महज 75 केस सामने आए थे।
अब जब भारत में मौतों का आंकड़ा एक लाख पार हो चुका है और भारत में कुल केसों की संख्या 64 लाख से ज्यादा है। वहीं वर्तमान में देश में कोरोना से होने वाली मौतों का औसत डेथ रेट 2 प्रतिशत है। भारत में कोरोना से पहली मौत 12 मार्च को हुई। इसके 48 दिनों बाद इन मौतों का आंकड़ा 1000 पहुंच गया।
वहीं अगले 78 दिनों में मौतों की यह संख्या 10 गुना बढ़कर 10 हजार पहुंच गई। फिर अगले 31 दिनों में मौतों का आंकड़ा 50 हजार के पार पहुंच गया। अगले 48 दिनों में यह आंकड़ा 1 लाख मौतों तक पहुंच चुका है।
कोरोना से होने वाली मौतों में अमेरिका सबसे आगे, भारत तीसरे नंबर पर
दुनिया में अब तक कोरोना से 3 करोड़ 46 लाख से ज्यादा केस हो चुके हैं और 10 लाख से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। कोरोना से होने वाली मौतों का औसत डेथ रेट 4% है। कोरोना से होने वाली सबसे ज्यादा मौतों वाले टॉप- 10 देशों की सूची में अमेरिका, ब्राजील और भारत के अलावा मेक्सिको, यूके, इटली, पेरू, फ्रांस, स्पेन और ईरान जैसे देश शामिल हैं।
अमेरिका में अब तक 2.12 लाख मौतें
अमेरिका में कोराेनावायरस के चलते 2.12 लाख से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। यहां कोरोना का पहला मामला 15 फरवरी को आया था और 29 फरवरी को इस वायरस से पहली मौत हुई थी। वहीं मौतों के मामले में दूसरे नंबर आने वाले देश ब्राजील में अब तक 1.44 लाख से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। यहां पहला मामला 25 फरवरी का आया और पहली मौत 17 मार्च को हुई।
इटली में शुरुआती दो महीनाें में हुईं 24 हजार से ज्यादा मौतें
इटली में शुरुआती दिनों में मौतों का आंकड़ा काफी तेजी से बढ़ा था। यहां पहली मौत 21 फरवरी को हुई और इसके एक महीने के अंदर ही 4,841 मौतें हो गईं। वहीं 60 दिनों में यह आंकड़ा 24,710 मौतों तक पहुंच चुका था। मई के बाद यहां मौतों की संख्या में कमी आना शुरू हुई। पहले केस के 242 दिन बाद और पहली मौत के 224 दिनों के बाद यहां अब 35,941 मौतें हो चुकी हैं। फिलहाल काेरोना से होने वाली मौतों के मामले में इटली छठवें स्थान पर है।
फ्रांस में सबसे ज्यादा डेथ रेट, भारत में सबसे कम
कोरोना से होने वाली मौतों में शामिल टॉप-10 देशों में फ्रांस ऐसा देश है, जहां डेथ रेट 25 प्रतिशत है। यहां कोरोना का पहला केस मिलने के 251 दिनों में 31 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। डेथ रेट के मामले में लिस्ट में दूसरे नंबर पर इटली और तीसरे नंबर पर मेक्सिको है। टॉप-10 देशों में सबसे कम डेथ रेट भारत का है, यहां 2 प्रतिशत डेथ रेट है।
जनसंख्या के लिहाज से डेथ रेट के मामलों में पेरू सबसे आगे
जनसंख्या के लिहाज से डेथ रेट के मामलों में टॉप-10 देशों में पेरू सबसे आगे है। यहां हर दस लाख लोगों में से 983 लोगों की मौतें हो रही हैं। वहीं भारत में हर दस लाख लोगों में से 73 मौतें हो रही हैं।
मौतों और संक्रमण को लेकर 6 फैक्ट्स
1. अमेरिका की रिसर्च - अंग्रेजी नहीं बोलने वाले अमेरिकन को कोरोना का खतरा ज्यादा
कोरोना संक्रमण के बीच अमेरिकी वैज्ञानिकों ने कोरोना और भाषा के बीच भी कनेक्शन ढूंढ निकाला है। यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन स्कूल ऑफ मेडिसिन ने अपनी रिसर्च में दावा किया है कि जो अमेरिकन अंग्रेजी नहीं बोलते उन्हें कोरोना होने का खतरा ज्यादा है। अमेरिका के ऐसे लोग जिनकी पहली भाषा स्पेनिश या कम्बोडियन है, उनमें कोरोना का संक्रमण होने का खतरा 5 गुना ज्यादा है। रिसर्च के लिए 300 मोबाइल क्लीनिक और 3 हॉस्पिटल्स में आए कोरोना मरीजों की जांच के आंकड़े जुटाए गए थे।
2.ब्रिटेन की रिसर्च - यहां अश्वेत-अल्पसंख्यक ज्यादा संक्रमित हुए
नेशनल हेल्थ सर्विसेज के अस्पतालों के मई के आंकड़े बताते हैं कि ब्रिटेन में कोरोनावायरस का संक्रमण और इससे मौतों का सबसे ज्यादा खतरा अश्वेत, एशियाई और अल्पसंख्यकों को है। अस्पतालों से जारी आंकड़ों के मुताबिक, गोरों के मुकाबले अश्वेतों में संक्रमण के बाद मौत का आंकड़ा दोगुना है। अश्वेत, एशियाई और अल्पसंख्यकों को यहां बेम (BAME) कहते हैं जिसका मतलब है- ब्लैक, एशियन एंड माइनॉरिटी एथनिक।
'द टाइम्स' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एनएचएस के अस्पतालों ने जो आंकड़ा जारी किया है उसके मुताबिक, 1 हजार लोगों पर 23 ब्रिटिश, 27 एशियन और 43 अश्वेत लोगों की मौत हुई। एक हजार लोगों में 69 मौतों के साथ सबसे ज्यादा खतरा कैरेबियाई लोगों को था, वहीं सबसे कम खतरा बांग्लादेशियों (22) को था।
3. स्पेन की रिसर्च - जिंक की कमी से जूझने वाले को मौत का खतरा दो गुना
स्पेन के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि ऐसे लोग जो जिंक की कमी से जूझ रहे हैं उन्हें कोरोना का संक्रमण होता है तो मौत का खतरा दो गुना से अधिक है। कोरोना के जिन मरीजों में जिंक की कमी होती है, उनमें सूजन के मामले बढ़ते हैं। यह मौत का खतरा बढ़ाता है।
बार्सिलोना के टर्शियरी यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के रिसर्चर ने 15 मार्च से 30 अप्रैल 2020 तक कोरोना के मरीजों पर रिसर्च की। रिसर्च में कोरोना के ऐसे मरीजों को शामिल किया गया है जिनकी हालत बेहद नाजुक थी। उनकी सेहत, लोकेशन से जुड़े आंकड़ों, पहले से हुई बीमारियों को रिकॉर्ड किया गया।
4.चीन की रिसर्च - चश्मा न लगाने वालों में संक्रमण का खतरा
मेडिकल जर्नल ऑफ वायरोलॉजी में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक, कोरोना वायरस आंखों के जरिए भी शरीर में पहुंच सकता है। रिसर्च करने वाले चीन की शुझाउ झेंगडू हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं का कहना है, जो लोग दिन में 8 घंटे से अधिक चश्मा लगाते हैं उनमें कोरोना का संक्रमण होने का खतरा कम है।
रिसर्चर्स का कहना है, हवा में मौजूद कोरोना के कण सबसे ज्यादा नाक के जरिए शरीर में पहुंचते हैं। नाक और आंख में एक ही तरह की मेम्ब्रेन लाइनिंग होती है। अगर कोरोना दोनों में किसी भी हिस्से की म्यूकस मेम्ब्रेन तक पहुंचता है तो यह आसानी से संक्रमित कर सकता है। इसलिए आंखों में कोरोना का संक्रमण होने पर मरीजों में कंजेक्टिवाइटिस जैसे लक्षण दिखते हैं।
वहीं अगर आप चश्मा पहनते हैं तो यह बैरियर की तरह काम करता है और संक्रमित ड्रॉपलेंट्स को आंखों में पहुंचने से रोकता है। इसलिए ऐसे चश्मे लगाना ज्यादा बेहतर है जो चारों तरफ से आंखों को सुरक्षा देते हैं।
5. ऑस्ट्रेलिया की रिसर्च - O+ ब्लड ग्रुप वालों को कम होता है संक्रमण
ऑस्ट्रेलिया में करीब 10 लाख लोगों के डीएनए पर हुई एक रिसर्च में पाया गया कि O+ ब्लड ग्रुप वालों पर वायरस का असर कम होता है। इससे पहले हार्वर्ड से भी रिपोर्ट आयी थी, लेकिन उसमें कहा गया था कि O+ वाले लोग कोरोना पॉजिटिव कम हैं, लेकिन सीवियरिटी और डेथ रेट में बाकियों की तुलना में कोई फर्क नहीं है।
6. सीडीसी के निदेशक का दावा : वैक्सीन से 70% और मास्क से 80-85% तक सुरक्षा
जब तक कोरोना की दवा नहीं आती, तब तक लोगों को मास्क का प्रयोग करने की सलाह दी जा रही है। मास्क को ही लेकर सीडीसी, अमेरिका के निदेशक रॉबर्ट रेडफील्ड ने कहा कि मास्क वैक्सीन से भी ज्यादा प्रभावी है। रॉबर्ट ने यह बात पूरी दुनिया में मास्क पर हुए बहुत सारी स्टडीज़ के आधार पर कही है। अगर दो लोग आमने-सामने बैठे हुए हैं और मास्क लगाए हैं, सुरक्षित दूरी बनाए हैं, तो सुरक्षा कई गुना बढ़ जाती है।
लेकिन, जरूरी है कि मास्क सही से लगाया गया हो, मुंह और नाक अच्छी तरह से ढका हुआ है। वायरस से प्रोटेक्शन के लिए एंटीबॉडी होते हैं, जो वैक्सीन देने के बाद लोगों के शरीर में करीब 70 प्रतिशत ही बन पाते हैं, जबकि मास्क से 80-85 प्रतिशत तक सुरक्षा मिलती है।
यूएई में महात्मा गांधी की 151वीं जयंती पर उन्हें याद किया गया। शुक्रवार रात बुर्ज खलीफा पर लाइटों के जरिए उनकी तस्वीर और संदेश प्रदर्शित किए गए। कई मौकों पर बुर्ज खलीफा पर लाइटों के जरिए शो आयोजित किया जाता रहा है।
शुक्रवार को लगभग 10 बजे महात्मा गांधी की तस्वीरों को उनके संदेशों के साथ बुर्ज खलीफा में दिखाया गया। इसका वीडियो दुबई में भारतीय वाणिज्य दूतावास के सोशल मीडिया पेज पर जारी किया गया। भारतीय दूतावास ने इसके लिए एम्मार प्रॉपर्टीज को धन्यवाद भी किया। गांधी जी का जन्म 2 अक्टूबर 1869 को हुआ था। इस दिन को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है।
अफगानिस्तान के भारतीय दूतावास में गांधी जयंती
अफगानिस्तान के भारतीय दूतावास में गांधी जयंती पर उनके जीवन और कार्यों पर डॉक्यूमेंट्री दिखाई गई। इस मौके पर राजदूत रुद्रेंद्र टंडन ने गांधीवादी आदर्शों की प्रासंगिकता पर जोर दिया और स्वच्छ भारत अभियान को हमारे दैनिक जीवन में अपनाने की अपील की।
नासा ने भारतीय मूल की पहली महिला अंतरिक्ष यात्री कल्पना चावला के नाम वाले सिग्नस स्पेसशिप की लॉन्चिंग शुक्रवार को दूसरी बार टाल दी। अमेरिकन एयरोस्पेस कंपनी नार्थरोप ग्रुमैन के इस कार्गो स्पेसशिप को शुक्रवार को लॉन्च किया जाना था। हालांकि, लॉन्चिंग से सिर्फ 2 मिनट 40 सेकंड पहले इसके ग्राउंड सपोर्ट इक्विपमेंट में खराबी आने के वजह से ऐसा नहीं हो सका। नासा ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी। इससे पहले 29 सितंबर को खराब मौसम की वजह से इसे लॉन्च नहीं किया जा सका था।
नार्थरोप ग्रुमैन ने सितंबर में अपने इस स्पेसशिप का नाम कल्पना चावला के नाम पर रखने का ऐलान किया था। कंपनी ने कहा था- कल्पना चावला के नाम पर अपने अगले एनजी-14 सिग्नस स्पेसक्राफ्ट का नाम रखते हुए हमें गर्व हो रहा है।
वर्जीनिया स्थित स्पेस सेंटर से लॉन्च होगा स्पेसशिप
लॉन्चिंग वर्जीनिया स्थित नासा के स्पेस सेंटर से होगी। इस मिशन का नाम एनजी-14 रखा गया है। इसे कंपनी के एंटारेस रॉकेट की मदद से लॉन्च किया जाएगा। यह दो दिन के बाद इंटरनेशनल स्पेस स्टेशन (आईएसएस) पहुंच जाएगा।
एस एस कल्पना चावला एक री-सप्लाई शिप है
नार्थरोप ग्रुमैन कंपनी की परंपरा है हर सिग्नस स्पेसक्राफ्ट का नाम एक ऐसे शख्स के नाम पर रखा जाता है जिसने ह्यूमन स्पेस फ्लाइट में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हो। कल्पना चावला को इस सम्मान के लिए इसलिए चुना गया क्योंकि उन्होंने भारतीय मूल की पहली अंतरिक्ष यात्री के रूप में इतिहास रचा था। एस एस कल्पना चावला एक री-सप्लाई शिप है। इसकी मदद से आईएसएस पर 3629 किग्रा सामान पहुंचाया जाएगा।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प कोरोना संक्रमित मिले हैं। अमेरिका में महामारी के पहले मामले से इसके पीक पर पहुंचने के 197 दिनों के दौरान कम से कम 16 मौके ऐसे रहे, जब उन्होंने इसको लेकर बेफिक्री दिखाई। संक्रमण के शुरुआती दिनों में उन्होंने कई बार दावा किया कि यह बीमारी अमेरिका में नहीं फैलेगी।
मास्क को लेकर भी ट्रम्प का नजरिया स्पष्ट नहीं रहा। पहले तो वे बिना मास्क के नजर आए और कई बार मास्क पहनने से इनकार किया। हालांकि,जब अमेरिका संक्रमण के मामले में पहले नंबर पर पहुंच गया तो कहा कि इसे पहनना देशभक्ति है। आइए एक नजर डालते हैं उनके ऐसे बयानों पर...
22 जनवरी:
सीएनबीसी के रिपोर्टर के महामारी को लेकर चिंताओं के बारे में पूछे जाने पर ट्रम्प ने कहा- नहीं, कोई चिंता नहीं है। हमने इसे पूरी तरह से काबू में कर लिया है। संक्रमण चीन से पहुंचे सिर्फ एक व्यक्ति में था और अब यह काबू में है। सब कुछ ठीक होने जा रहा है।
30 जनवरी:
वारेन के मिच में ट्रम्प ने कहा- इस देश में फिलहाल हमारे लिए थोड़ी समस्या है। पांच लोग संक्रमित हैं। यह सभी लोग सफल ढंग से स्वस्थ हो रहे हैं।
14 फरवरी:
नेशनल बॉर्डर पैट्रोल काउंसिल को संबोधित करते हुए ट्रम्प ने कहा- एक थ्योरी है कि अप्रैल में जब गर्मी बहुत ज्यादा बढ़ जाती है, इससे वायरस मरने लगते हैं। हालांकि, हम अब तक इसके बारे में नहीं जानते। इसे लेकर अब तक हम श्योर नहीं हैं।
24 फरवरी:
ट्रम्प ने ट्वीट किया- कोरोनावायरस अमेरिका में बहुत हद तक काबू में हैं। हम सभी लोगों और इससे प्रभावित देशों के संपर्क में हैं। सीडीसी और वर्ल्ड हेल्थ काफी स्मार्ट और मेहनत से काम कर रहे हैं। मुझे लगता है कि स्टॉक मार्केट भी जल्द अच्छा नजर आएगा।
26 फरवरी:
व्हाइट हाउस के न्यूज कॉन्फ्रेंस में देश के पहले कुछ मामलों के बारे में बताते हुए ट्रम्प ने कहा- सिर्फ पांच लोगों के साथ हम बहुत जल्द ठीक होने वाले हैं। अगले कुछ समय में हमारे यहां सिर्फ एक या दो लोग ही संक्रमित होंगे। हमें इसके लिए गुड लक।
26 फरवरी
कई सरकारी एजेंसियों और हेल्थ डिपार्टमेंट के टॉप ऑफिशियल्स से घिरे ट्रम्प बोले- अमेरिकन लोगों में संक्रमण का खतरा काफी कम है। हमारे पास यहां वाकई दुनिया के बड़े एक्सपर्ट मौजूद हैं।
27 फरवरी:
व्हाइट हाउस की मीटिंग में ट्रम्प ने कहा- एक दिन यह (कोरोनावायरस) गायब होने वाला है। यह किसी चमत्कार की तरह है- यह गायब हो जाएगा।
3 मार्च:
रिपोर्टर्स से बात करते हुए ट्रम्प ने कहा- देश में केवल एक हॉट स्पॉट है और वह भी सिर्फ एक घर (होम) में है। जैसा कि आप जानते हैं कि यह एक नर्सिंग होम में है।
7 मार्च:
मार-ए-लागो में ट्रम्प से पूछा गया कि क्या वह वायरस वॉशिंगटन और व्हाइट हाउस के करीब आने को लेकर चिंतित हैं तो उन्होंने कहा- नहीं, मैं बिल्कुल चिंतित नहीं हूं। नहीं, हमने बहुत अच्छा काम किया है।
16 मार्च:
व्हाइट हाउस की ब्रीफिंग रूम में ट्रम्प ने कहा- मैंने उस समय को देखते हुए कहा था कि हाथ धोइए, यह(वायरस) धुल जाएगा। कुछ लोगों को मेरा यह कहना पसंद नहीं आया कि यह धुल जाएगा।
30 मार्च:
ट्रम्प से पूछा गया कि क्या मास्क पहनना संक्रमण रोक सकता है तो उन्होंने कहा- हमने अभी इसके बारे में चर्चा नहीं की है, लेकिन कर सकते हैं। हम यह पता कर रहे हैं कि आपको कितने मास्क की जरूरत होगी।
3 अप्रैल:
व्हाइट हाउस में ट्रम्प ने कहा- सीडीसी ने नॉन मेडिकल कपड़े के मास्क से मुंह ढकने का सुझाव दिया है। यह हर किसी के लिए स्वैच्छिक होगा। उन्होंने कुछ समय के लिए ऐसा करने का सुझाव दिया है। आप ऐसा कर भी सकते हैं और नहीं भी। मैं ऐसा नहीं करूंगा। यह अच्छा रहेगा। मैं सोचता हूं कि मैं ऐसा नहीं करने जा रहा।
मैं बस ऐसा नहीं करना चाहता। मैं राष्ट्रपतियों, प्रधानमंत्रियों, तानाशाहों, राजाओं और रानियों से मिलता हूं। ऐसे में मास्क पहनना, मुझे नहीं लगता कि यह ठीक होगा। मैं इसे पहनने के सुझाव को अपने लिए नहीं मानता।
21 मई:
फोर्ड प्लांट का दौरा करने के बाद ट्रम्प ने कहा- मैंने प्लांट के पीछे मास्क पहना था। मैं मीडिया को इस बात की खुशी नहीं देना चाहता कि वे मुझे मास्क पहने देख सकें।
19 जुलाई:
ट्रम्प ने फॉक्स न्यूज के होस्ट क्रिस वैलेस से कहा- मैं इस बात को नहीं मानता कि अगर सब लोग मास्क पहनें तो सबकुछ गायब हो जाएगा।
13 अगस्त:
व्हाइट हाउस में ट्रम्प ने कहा- मेरे एडमिनिस्ट्रेशन का नजरिया अलग है, हमने अमेरिकन लोगों से मास्क पहनने का अनुरोध किया है। मैं इस बात पर जोर देता हूं कि ऐसा करना देशभक्ति होगी।
7 सितंबर:
ट्रम्प ने खुद से सवाल पूछ रहे एक रिपोर्टर से मास्क हटाने को कहा। उन्होंने कहा- अगर आप मास्क नहीं उतारते हैं तो आपकी आवाज काफी दबी हुई सुनाई देगी।
कोरोना के चलते 1 अक्टूबर को भारत में मौतों का आंकड़ा 1 लाख को पार कर गया। अमेरिका और ब्राजील के बाद अब भारत कोरोना से होने वाली मौतों में विश्व में तीसरे नंबर पर है। भारत में कोरोना से होने वाली पहली मौत के 203 दिनों बाद यह संख्या 1 लाख मौतों तक पहुंची है। वहीं ब्राजील में यह आंकड़ा 158 दिनों में ही पहुंचा था, जबकि अमेरिका में शुरुआती 1 लाख मौतें 83 दिनों में हुई थीं।
भारत में कोरोना का पहला केस 30 जनवरी को, पहली मौत 12 मार्च को
भारत में कोरोनावायरस का पहला केस 30 जनवरी को केरल में सामने आया था। चीन के वुहान विश्वविद्यालय से लौटे एक छात्र में कोरोना वायरस के लक्षण पाए गए थे। जबकि भारत में कोरोना वायरस से पहली मौत 12 मार्च को कर्नाटक के कलबुर्गी में 76 साल के एक शख्स की हुई थी जो सऊदी अरब से लौटा था। जब भारत में कोरोना से पहली मौत हुई उस वक्त देश में महज 75 केस सामने आए थे।
अब जब भारत में मौतों का आंकड़ा एक लाख पार हो चुका है और भारत में कुल केसों की संख्या 63 लाख से ज्यादा है। वहीं वर्तमान में देश में कोरोना से होने वाली मौतों का औसत डेथ रेट 2 प्रतिशत है। भारत में कोरोना से पहली मौत 12 मार्च को हुई। इसके 47 दिनों बाद इन मौतों का आंकड़ा 1000 पहुंच गया। वहीं अगले 78 दिनों में मौतों की यह संख्या 10 गुना बढ़कर 10 हजार पहुंच गई। फिर अगले 31 दिनों में मौतों का आंकड़ा 50 हजार के पार पहुंच गया। अगले 47 दिनों में यह आंकड़ा 1 लाख मौतों तक पहुंच चुका है।
कोरोना से होने वाली मौतों में अमेरिका सबसे आगे, भारत तीसरे नंबर पर
पूरे विश्व में अब तक कोरोना से 3 करोड़ 41 लाख से ज्यादा केस हो चुके हैं और 10 लाख से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। विश्व में कोरोना से होने वाली मौतों का औसत डेथ रेट 4 प्रतिशत है। कोरोना से होने वाली सबसे ज्यादा मौतों वाले टॉप- 10 देशों की सूची में अमेरिका, ब्राजील और भारत के अलावा मेक्सिको, यूके, इटली, पेरू, फ्रांस, स्पेन और ईरान जैसे देश शामिल हैं।
अमेरिका में अब तक 2.11 लाख मौतें
अमेरिका में कोराेनावायरस के चलते 2 लाख से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। यहां कोरोना का पहला मामला 15 फरवरी को आया था और 29 फरवरी को इस वायरस से पहली मौत हुई थी। वहीं मौतों के मामले में दूसरे नंबर आने वाले देश ब्राजील में अब तक 2.11 लाख से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। यहां पहला मामला 25 फरवरी का आया और पहली मौत 17 मार्च को हुई।
इटली में शुरुआती दो महीनाें में हुईं 24 हजार से ज्यादा मौतें
इटली में शुरुआती दिनों में मौतों का आंकड़ा काफी तेजी से बढ़ा था। यहां पहली मौत 21 फरवरी को हुई और इसके एक महीने के अंदर ही 4,841 मौतें हो गईं। वहीं 60 दिनों में यह आंकड़ा 24,710 मौतों तक पहुंच चुका था। मई के बाद यहां मौतों की संख्या में कमी आना शुरू हुई। पहले केस के 242 दिन बाद और पहली मौत के 223 दिनों के बाद यहां अब 35,894 मौतें हो चुकी हैं। फिलहाल काेरोना से होने वाली मौतों के मामले में इटली छठवें स्थान पर है।
फ्रांस में सबसे ज्यादा डेथ रेट , भारत में सबसे कम
कोरोना से होने वाली मौतों में शामिल टॉप-10 देशों में फ्रांस ऐसा देश है जहां डेथ रेट 25 प्रतिशत है। यहां कोरोना का पहला केस मिलने के 251 दिनों में 31 हजार से ज्यादा मौतें हो चुकी हैं। डेथ रेट के मामले में लिस्ट में दूसरे नंबर पर इटली और तीसरे नंबर पर मेक्सिको है। टॉप-10 देशों में सबसे कम डेथ रेट भारत का है, यहां 2 प्रतिशत डेथ रेट है।
जनसंख्या के लिहाज से डेथ रेट के मामलों में पेरू सबसे आगे
जनसंख्या के लिहाज से डेथ रेट के मामलों में टॉप-10 देशों में पेरू सबसे आगे है। यहां हर दस लाख लोगों में से 981 लोगों की मौतें हो रही हैं। वहीं भारत में हर दस लाख लोगों में से 71 मौतें हो रही हैं।
दुनियाभर में कोरोना से हुई मौतों और संक्रमण को लेकर 06 इंटरेस्टिंग फैक्ट्स
फैक्ट - 1
अमेरिका की रिसर्च : अंग्रेजी नहीं बोलने वाले अमेरिकन को कोरोना का खतरा ज्यादा
कोरोना संक्रमण के बीच अमेरिकी वैज्ञानिकों ने कोरोना और भाषा के बीच भी कनेक्शन ढूंढ निकाला है। यूनिवर्सिटी ऑफ वॉशिंगटन स्कूल ऑफ मेडिसिन ने अपनी रिसर्च में दावा किया है कि जो अमेरिकन अंग्रेजी नहीं बोलते उन्हें कोरोना होने का खतरा ज्यादा है। अमेरिका के ऐसे लोग जिनकी पहली भाषा स्पेनिश या कम्बोडियन है, उनमें कोरोना का संक्रमण होने का खतरा 5 गुना ज्यादा है। रिसर्च के लिए 300 मोबाइल क्लीनिक और 3 हॉस्पिटल्स में आए कोरोना मरीजों की जांच के आंकड़े जुटाए गए थे।
फैक्ट - 2
ब्रिटेन की रिसर्च : यहां अश्वेत-अल्पसंख्यक ज्यादा संक्रमित हुए
नेशनल हेल्थ सर्विसेज (एनएचएस) के अस्पतालों के मई के आंकड़े बताते हैं कि ब्रिटेन में कोरोनावायरस का संक्रमण और इससे मौतों का सबसे ज्यादा खतरा अश्वेत, एशियाई और अल्पसंख्यकों को है। अस्पतालों से जारी आंकड़ों के मुताबिक, गोरों के मुकाबले अश्वेतों में संक्रमण के बाद मौत का आंकड़ा दोगुना है। अश्वेत, एशियाई और अल्पसंख्यकों को यहां बेम (BAME) कहते हैं जिसका मतलब है- ब्लैक, एशियन एंड माइनॉरिटी एथनिक। 'द टाइम्स' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, एनएचएस के अस्पतालों ने जो आंकड़ा जारी किया है उसके मुताबिक, 1 हजार लोगों पर 23 ब्रिटिश, 27 एशियन और 43 अश्वेत लोगों की मौत हुई। एक हजार लोगों में 69 मौतों के साथ सबसे ज्यादा खतरा कैरेबियाई लोगों को था, वहीं सबसे कम खतरा बांग्लादेशियों (22) को था।
फैक्ट - 3
स्पेन की रिसर्च : जिंक की कमी से जूझने वाले को मौत का खतरा दो गुना
स्पेन के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि ऐसे लोग जो जिंक की कमी से जूझ रहे हैं उन्हें कोरोना का संक्रमण होता है तो मौत का खतरा दो गुना से अधिक है। कोरोना के जिन मरीजों में जिंक की कमी होती है उनमें सूजन के मामले बढ़ते हैं। यह मौत का खतरा बढ़ाता है। बार्सिलोना के टर्शियरी यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल के रिसर्चर ने 15 मार्च से 30 अप्रैल 2020 तक कोरोना के मरीजों पर रिसर्च की। रिसर्च में कोरोना के ऐसे मरीजों को शामिल किया गया है जिनकी हालत बेहद नाजुक थी। उनकी सेहत, लोकेशन से जुड़े आंकड़ों, पहले से हुई बीमारियों को रिकॉर्ड किया गया।
फैक्ट : 4
चीन की रिसर्च : चीनी वैज्ञानिकों का दावा; चश्मा न लगाने वालों में संक्रमण का खतरा
मेडिकल जर्नल ऑफ वायरोलॉजी में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक, कोरोना वायरस आंखों के जरिए भी शरीर में पहुंच सकता है। रिसर्च करने वाले चीन की शुझाउ झेंगडू हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं का कहना है, जो लोग दिन में 8 घंटे से अधिक चश्मा लगाते हैं उनमें कोरोना का संक्रमण होने का खतरा कम है।
रिसर्चर्स का कहना है, हवा में मौजूद कोरोना के कण सबसे ज्यादा नाक के जरिए शरीर में पहुंचते हैं। नाक और आंख में एक ही तरह की मेम्ब्रेन लाइनिंग होती है। अगर कोरोना दोनों में किसी भी हिस्से की म्यूकस मेम्ब्रेन तक पहुंचता है तो यह आसानी से संक्रमित कर सकता है। इसलिए आंखों में कोरोना का संक्रमण होने पर मरीजों में कंजेक्टिवाइटिस जैसे लक्षण दिखते हैं। वहीं अगर आप चश्मा पहनते हैं तो यह बैरियर की तरह काम करता है और संक्रमित ड्रॉपलेंट्स को आंखों में पहुंचने से रोकता है। इसलिए ऐसे चश्मे लगाना ज्यादा बेहतर है जो चारों तरफ से आंखों को सुरक्षा देते हैं।
फैक्ट : 5
ऑस्ट्रेलिया की रिसर्च : O+ ब्लड ग्रुप वालों को कम होता है कोरोना संक्रमण
ऑस्ट्रेलिया में करीब 10 लाख लोगों के डीएनए पर हुई एक रिसर्च में पाया गया कि O+ ब्लड ग्रुप वालों पर वायरस का असर कम होता है। इससे पहले हार्वर्ड से भी रिपोर्ट आयी थी, लेकिन उसमें कहा गया था कि O+ वाले लोग कोरोना पॉजिटिव कम हैं, लेकिन सीवियरिटी और डेथ रेट में बाकियों की तुलना में कोई फर्क नहीं है।
फैक्ट : 6
सीडीसी के निदेशक का दावा : वैक्सीन से 70% और मास्क से 80-85% तक सुरक्षा
जब तक कोरोना की दवा नहीं आती, तब तक लोगों को मास्क का प्रयोग करने की सलाह दी जा रही है। मास्क को ही लेकर सीडीसी, अमेरिका के निदेशक रॉबर्ट रेडफील्ड ने कहा कि मास्क वैक्सीन से भी ज्यादा प्रभावी है। रॉबर्ट ने यह बात पूरी दुनिया में मास्क पर हुए बहुत सारी स्टडीज़ के आधार पर कही है। अगर दो लोग आमने-सामने बैठे हुए हैं और मास्क लगाए हैं, सुरक्षित दूरी बनाए हैं, तो सुरक्षा कई गुना बढ़ जाती है। लेकिन जरूरी है कि मास्क सही से लगाया गया हो, मुंह और नाक अच्छी तरह से ढका हुआ है। वायरस से प्रोटेक्शन के लिए एंटीबॉडी होते हैं, जो वैक्सीन देने के बाद लोगों के शरीर में करीब 70 प्रतिशत ही बन पाते हैं, जबकि मास्क से 80-85 प्रतिशत तक सुरक्षा मिलती है।
A British zoo has had to separate five foul-mouthed parrots who keepers say were encouraging each other to swear. "We are quite used to parrots swearing, but we've never had five at the same time,'' said the zoo's chief executive, Steve Nichols. "Most parrots clam up outside, but for some reason, these five relish it.''