वॉशिंगटन. भारत दौरे पर आए अमेजन के फाउंडर जेफ बेजोस प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नहीं मिल पाएं।मीडिया रिपोर्ट्स में इसकी वजह यह बताई जा रही है कि बेजोस का अखबार वॉशिंगटन पोस्ट कई मौकों पर मोदी और उनकी सरकार कीआलोचना करता रहा है। जब मोदी दूसरी बार भारी बहुमत से सत्ता में आए थे, तब भी अखबार ने दावा किया था कि वे अब अपने कट्टर हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ा सकते हैं।
अमेरिकी अखबार में पिछले साल 23 मई को रिपोर्ट आई थी कि मोदी को दूसरी बार भारी बहुमत मिला। उन्हें वोट करने वाले मतदाताओं में कट्टर हिंदुओं की संख्या ज्यादा थी। इसलिए वे पॉपुलिज्म की तरफ कदम बढ़ा सकते हैं। उनकी नीतियों में भी हिंदुत्व की झलक देखने को मिल सकती है। मोदी ने अपने पिछले कार्यकाल में हर साल एक करोड़ रोजगार देने का वादा किया, लेकिन असलीयत इसके बिल्कुल उलटी है। 45 सालों में बेरोजगारी दर सबसे ज्यादा बढ़ी। यह भी आरोप लगाया गया था कि उनके पिछले कार्यकाल में विकास दर सुस्त पड़ गई।
‘गैर-उदारवाद के एजेंडे को आगे बढ़ाया’
अखबार के मुताबिक, मोदी ने गैर-उदारवाद के एजेंडे को आगे बढ़ाया। प्रधानमंत्री रहते हुए मोदी ने औपचारिक तौर पर एक भी प्रेस कॉन्फ्रेंस नहीं किया। उन पर सबसे बड़ा आरोप यह लगा कि उन्होंने अपनी आलोचना करने वाले पत्रकारों पर हमेशा दबाव बनाए रखा। उन्होंने और उनकी पार्टी ने देश के 18 करोड़ मुसलमानों की चिंता नहीं की। राम मंदिर का निर्माण हमेशा से उनकी पार्टी के एजेंडे में रहा। अखबार ने यह भी लिखा कि उनके दूसरे कार्यकाल में उनकी पार्टी में एक ऐसी सांसद (साध्वी प्रज्ञा) चुनी गईं, जिस पर आतंकी घटना को अंजाम देने का आरोप है। घटना में कई बेगुनाह मुसलमान मारे गए थे।
‘धर्मनिरपेक्ष देश को हिंदू राष्ट्र में बदलने का प्रयास कर रहे’
नागरिकता कानून को लेकर भी अखबार ने मोदी की आलोचना की थी। वॉशिंगटन पोस्ट ने कहा था कि भारत ने मुस्लिम शरणार्थियों को अलग रखते हुए विवादित नागरिकता बिल को पारित कर दिया है। मोदी ने इस कानून से भारत के मुसलमानों को सावधान किया है। भारत के 130 करोड़ वाली जनसंख्या में करीब 18 करोड़ मुसलमान हैं। उन्हें डर है कि मोदी धर्मनिरपेक्ष भारत को एक हिंदू राष्ट्र में बदलने का प्रयास कर रहे हैं। देश में अब मुसलमानों को द्वितीय श्रेणी का माना जाएगा।
अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर अखबार ने इसे असंवैधानिक बताया था
जम्मू-कश्मीर से 5 अगस्त को अनुच्छेद 370 खत्म कर दिया गया। 6 अगस्त को वॉशिंगटन पोस्ट ने साउथ एशियन हिस्ट्री के असिस्टेंट प्रोफेसर कंजवाल की एक लेख प्रकाशित की। लेख के मुताबिक, मोदी सरकार के इस फैसले को असंवैधानिक बताया गया था। इस असंवैधानिक फैसले की वजह से जम्मू-कश्मीर में कोलोनियल प्रोजेक्ट की शुरुआत होगी। क्योंकि अब दूसरे राज्य के लोग कश्मीर में जमीन खरीद सकेंगे और स्थानीय लोगों को वहां से हटा सकेंगे। वहां पहले से ही करीब पांच लाख भारतीय सैनिक तैनात हैं। मोदी सरकार वहां अपने लॉन्ग टर्म प्लान लागू करने की योजना बना रही है। मोदी सरकार वहां भारी संख्या में हिंदुओं की आबादी बढ़ाना चाहती है। सरकार की मंशा वहां की मुस्लिम जनसंख्या को कम करने और हिंदुओं की जनसंख्या बढ़ाने की है।
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