पाकिस्तान में गैर इस्लामिक धर्मावलंबियों के साथ दुर्व्यहार और उन्हें प्रताड़ित करने के मामले पहले भी आते रहे हैं। सोमवार को अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग(यूएससीआईआरएफ ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि कोरोना संकट के दौरान पाकिस्तान में गैर इस्लामिक लोगों को परेशान किया गया है।
आयोग की कमिश्नर अनुरीमा भार्गव ने कहा, ‘‘हिंदुओं और ईसाइयों को जरूरी खाद्य सामग्री भी नहीं दी जा रही है। ये समुदाय भूख से लड़ रहे हैं। पाकिस्तान सरकार अल्पसंख्यकों की मदद सुनिश्चित करे। किसी व्यक्ति के धार्मिक विश्वास के चलते उसे भूखा रखा जाए यह निंदनीय है।’’
अल्पसंख्यकों को न छोड़े पाकिस्तान
पाकिस्तान में हिंदू समुदाय वैसे भी आबादी का बहुत छोटा हिस्सा है। वह भी बड़े पैमाने पर भेदभाव का शिकार है। कई बार उसे बुनियादी मानवाधिकारों से भी उसे वंचित रखा जाता है। यूएससीआईआरएफ ने कराची से मिली रिपोर्ट के हवाले से कहा कि वहां सेलानी वेलफेयर इंटरनेशनल ट्रस्ट नाम का गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) ने हिंदुओं और ईसाइयों को खाद्य सहायता देने से यह कहते हुुए इन्कार कर दिया कि वह सिर्फ मुस्लिमों के लिए आरक्षित है।
अल्पसंख्यकों को न छोड़े पाकिस्तान
यूएससीआईआरएफ के कमिश्नर जॉनी मूर ने कहा, ‘‘हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को संबोधित किया था। इसमें कोरोनावायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के दौरान विकासशील देशों की सरकारों के सामने भूखे लोगों को मरने से बचाने को सबसे बड़ी चुनौती माना गया था। यह समस्या कई देशों के सामने हैं। प्रधानमंत्री इमरान खान के लिए तो यह एक मौके की तरह है। उन्हें अपने अल्पसंख्यक समुदाय को साथ लेकर चलना चाहिए। वे उन्हें संकट की घड़ी में दरकिनार नहीं सकते हैं। यदि वे अपने अल्पसंख्यकों को छोड़ देते हैं तो धार्मिक भेदभाव बढ़ जाएगा और लोगों के बीच सांप्रदायिक संघर्ष शुरू हो जाएंगे।
पाकिस्तान में पिछले साल अल्पसंख्यकों को खूब उत्पीड़न हुआ
यूएससीआईआरएफ ने 2019 की रिपोर्ट के हवाले से कहा कि पाकिस्तान में हिंदू और ईसाईयों को धमकियां दी गईं। वे असुरक्षित महसूस करते हैं। प्रशासनिक स्तर पर कई जगहों पर उनका उत्पीड़न हुआ। उन्हें अक्सर सामाजिक बहिष्कार का भी डर बना रहा। यूएससीआईआरएफ ने अपनी 2019 की वार्षिक रिपोर्ट में उल्लेख किया था कि पाकिस्तान में हिंदू और ईसाई अपनी सुरक्षा के लिए खतरा बने हुए हैं और उत्पीड़न और सामाजिक बहिष्कार के विभिन्न रूपों के अधीन हैं। पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों की ऐसी स्थिति को लेकर कई बार अंतरराष्ट्रीय स्तर उसकी आलोचना भी हुई। पाकिस्तान में कोरोनावायरस 5,537 मामले हैं, जबकि यहां मरने वालों की संख्या 96 है।
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