वॉशिंगटन. अमेरिका के द वाशिंगटन डीसी हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने हैरान कर देने वाला 3 डी वीडियो जारी किया है। यह वीडियो 59 साल के एक कोरोना संक्रमित मरीज के फेफड़ों की है। डॉक्टरों नेइसके जरिए यह समझाने की कोशिश की है कि कैसे कोरोनावायरस इंसान के फेफड़ों को नुकसान पहुंचाता है। इसे पता करने के लिए सीटी इमेजिंग टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया गया। अभी तक यह टेक्नोलॉजी केवल कैंसर की जांच या फिर ऑपरेशन के समय प्रयोग में लाई जाती थी।पहली बार किसी कोरोना संक्रमित मरीज की इससे जांच हुईहै।द वाशिंगटन डीसी हॉस्पिटल के डॉक्टरकीथ मॉर्टमैन बताते हैं कि जिस मरीज की यह वीडियो जारी की गई हैकुछ दिन पहले बिल्कुल ठीक था।संक्रमित होने के बादउसकी हालत काफी गंभीर है। आईसीयू में इलाज चल रहा है। वायरस ने उसकेदोनों फेफड़ों को पूरी तरह से जकड़ लिया है। वीडियो में दिख रहा पीला धब्बा इसका खुलासा कर रहा है। इसके चलते फेफड़े सही से काम करना बंद कर देते हैं।
हाई ब्लड प्रेशर के अलावा कोई बीमारी नहीं थी
डॉ. मॉर्टमैन बताते हैं कि''59 साल का यह संक्रमित मरीजपहले बिल्कुल ठीक था। उसे केवल हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत थी। लेकिन संक्रमित होते हीउसके दोनों फेफड़ों ने काम करना बंद कर दिया।उसे हाई सेटिंग वाले वेंटिलेटर पर रखा गया। लेकिन यह पर्याप्त नहीं था। फिर एक अन्य मशीन का प्रयोग किया गया जो उसके शरीर में रक्त संचार करने में मदद करती है।''डॉ. मॉर्टमैन कहते हैं आगे कहते हैं कि"यह कोई70 या 80 साल का बीमार व्यक्ति नहीं था। इसेमधुमेह भीनहीं था। इसके बावजूद वायरस ने इसके पूरे शरीर को काफी कमजोर बना दिया।अगर एक सप्ताह बाद फिर से इनके फेफड़ों का 360VR इमेज निकाला जाए तो हो सकता है इससे कहीं ज्यादा बदतर हालात मिले।''
काफी तेजी और आक्रमक तरीके से फैलता है वायरस
डॉ. मॉर्टमैन कहते हैं कि,''वीडियो में फेफड़ों पर पीले रंग का धब्बा संक्रमणऔर सूजन की स्थिति स्पष्ट कर रहे हैं।3 डी इमेज से यह स्पष्ट है कि संक्रमण केवल एक ही हिस्से में नहीं रूका बल्कि उसने दोनों फेफड़ों को पूरी तरह से जकड़ लिया। यह बताता है किइंसान के शरीर में संक्रमण कितनी तेजी से और आक्रामक रूप से फैलता है। जब वायरस शरीर में पहुंचता है तो इंसान कीरोग प्रतिरोधक शक्ति (Imunity) उससे डटकर मुकाबला करती है। इसके चलते शरीर के अंग में सूजन आ जाती है।अगर इम्यूनिटी सिस्टम कमजोर हुआ तो वायरस हावी होने लगता है। फेफड़ों में भी इसी वजह से सूजन आ जाता है।यह ब्लड और ऑक्सीजन को फेफड़ों तकपहुंचने में रूकावट बन जाती है। फेफड़े से कार्बन डाइऑक्साइड को निकलने से भी रोकती है। मतलब फेफड़ा का काम करना बंद हो जाता है।''
केवल 2-4 प्रतिशत मरीजों ही हो पाएंगे रिकवर
डॉक्टर मॉर्टन ने अमेरिका के सीएनएन न्यूज चैनल को ई-मेल के जरिए इसके बारे में विस्तृत जानकारी दी है। बताया है कि जिन मरीजों के फेफड़ों पर इस तरह के असर पड़ेंगेउन्हें सही होने में काफी समय लगेगा। इनमें से केवल 2-4 प्रतिशत मरीज ही रिकवर हो पाते हैं।
सेल्फ डिस्टेंसिंग की इससे बचने का एकमात्र उपाय
डॉ. मॉर्टन कहते हैं कि '' 3 डी ईमेज कोरोना के लक्षण को स्पष्टकरने के लिए काफी है। खांसी और सांस की तकलीफ होनाचिंता की बात है।'' डॉ. मॉर्टन कहते हैं कि ''इससे बचने का अभी केवल एकमात्र उपाय सोशल डिस्टेंसिंग है। इसलिए मैं चाहता हूं कि लोग इसे देखें और समझें कि वायरस क्या कर सकता है। लोगों को इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है।"
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