बोस्टन.स्टीव जॉब्स और स्टीव वोजनियाक ने 1976 में एपल कंपनी की स्थापना कैलिफोर्निया में की थी। इसी साल जॉब्स और वोजनियाक ने पहला रेयर फुली फंक्शनल एपल-1 कम्प्यूटर बनाया था। यह अब इस हफ्ते बोस्टन में होने वाली निलामी के लिए रखा गया है। नीलामी के लिए शुरुआती कीमत 3 करोड़ 39 लाख रुपए (458,711 डॉलर) रखी गई है। यह पहला उत्पाद था जिसे कंपनी ने एपल नाम के साथ विकसित किया था। यह कंपनी के थिंक डिफरेंट (अलग सोचो) अभियान का हिस्सा था।
नीलामी में डिजाइन इंजीनियर जेरी मैनॉक के जीवनकाल के संग्रह की बिक्री भी होगी। इस नीलामी में एपल के लाइफटाइम कलेक्शन प्रोडक्ट को रखा गया है। इनमें स्टीव जॉब्स द्वारा दस्खत की गई पावरबुक, कीमत- 9 लाख ($12,671) 37 हजार रुपए और निऑन एपल लोगो 1 लाख 41 हजार रुपए की सबसे ऊंची बोली पर खरीदा गया।
एपल-1 की 200 यूनिट में 175 बिकी थी
आरआर ऑक्शन के एक्जीक्यूटिव वीपी बॉबी लिविंगस्टन के मुताबिक, ‘‘शुरुआत में इस कंप्यूटर की 200 यूनिट डिजाइन की गई थी, जिनमें 175 यूनिट वोजयानिक ने बेची थी और 25 बचे हुए थे। एपल-1 की डिजाइनिंग में कंपनी के को-फाउंडर स्टीव वोजनियाक का भी अहम योगदान था। इसी वजह से एपल-1 वोज नाम से भी जाना जाता है। इस कम्प्यूटर को 1976 में बनाया गया था और उस वक्त इसकी कीमत 666.66 डॉलर थी, जो आज के हिसाब से 46 हजार रुपए होती है। इस कम्प्यूटर सिस्टम को पश्चिमी मिशिगन कंप्यूटर स्टोर सॉफ्टवेअरहाउस ने 1980 के दशक में खरीदा था।’’
पहले भी नीलाम हुआ
- मैसेचुएट्स के बोस्टन में दो साल हुई नीलामी में एपल-1 को अमेरिकी बिजनेसमैन ने 3,75,00 डॉलर (2 करोड़ 72 लाख से ज्यादा) में खरीदा था। तब कंपनी ने इसकी बेस प्राइस 3 लाख डॉलर (करीब 2 करोड़ रुपए) रखी थी। हालांकि, इसे खरीदने वाले की पहचान जाहिर नहीं की गई थी।
- इससे पहले दिसम्बर 2014 में यह न्यूयॉर्क में नीलाम हुआ। तब एपल-1 को 36.5 लाख डॉलर (करीब 22 करोड़) रुपए में अमेरिका के एक व्यक्ति ने खरीदा था। इस कंप्यूटर को नीलामी में दुनिया के 50 दुर्लभ कंप्यूटर की कैटेगरी में रखा गया था।
पिछले साल 8 घंटे तक चलाया गया था
पिछले साल एपल-1 विशेषज्ञ कोरी कोहेन ने कैलिफोर्निया में 2019 विंटेज कंप्यूटर फेस्टिवल वेस्ट में प्रदर्शित किया गया था। इसे बिना किसी परेशानी के आठ घंटे तक चलाया गया था। इस कम्प्यूटर में 1979 में कैसेट इंटरफेस की सुविधा आई गई थी जिससे कि डेटा स्टोरेज किया जा सकता था। यह इंटरफेस अपने समय में क्रांतिकारी था। इसमें परंपरागत 50-100 के बजाय केवल छह इंटीग्रेटेड सर्किट (आईसी) लगे थे, जो उस समय के कंप्यूटर की तुलना में लगभग चार गुना तेजी से चलता था।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
No comments:
Post a Comment