कुआलालंपुर. मलेशिया के पूर्व गृह मंत्री मुहिद्दीन यासीन रविवार को देश के आठवें प्रधानमंत्री बनें। उन्होंने राष्ट्रीय महल में मलेशिया के राजा सुल्तान अहमद शाह की मौजूदगी में शपथ ली। यासीन ने देश और जनता की सेवा करने का संकल्प लिया। शपथ ग्रहण समारोह में यासीन के राजनीतिक सहयोगी भी मौजूद थे। यासीन को प्रधानमंत्री बनाने पर पूर्व प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने नाराजगी जाहिर कीऔर इसे गैर कानूनी बताया। महातिर ने राजा पर लोकतांत्रिक ढंग से चुनी गई सरकार को गिराने का आरोप लगाया है।
2018 में हुए आम चुनाव में जीत हासिल कर 94 साल के महातिर मोहम्मद मलेशिया के प्रधानमंत्री बने थे। 24 फरवरी को अचानक उन्होंने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद राजा ने शनिवार को मुहिद्दीन यासीन को प्रधानमंत्री बनाने का फैसला लिया था।
यासीन2009 से 2015 के बीचउपप्रधानमंत्री थे
यासीन ने 2009 से 2015 के बीच पूर्व प्रधानमंत्री नजीब रजाक के साथ उपप्रधानमंत्री के तौर पर सेवाएं दी थीं। बाद में उन्होंने महातिर के साथ मिलकर पेरिबू बेरसाटू मलेशिया (पीपीबीएम) पार्टी की स्थापना की थी। यासीन महातिर के मंत्रीमंडल में गृह मंत्री भी रहे थे। तीन दिन पहले ही यासीन ने महातिर की जगह खुद को पार्टी प्रेसिडेंट घोषित कर दिया था। देश की कई विपक्षी पार्टियों ने भी उनका समर्थन किया था। इसके बाद प्रधानमंत्री पद के लिए उनका दावा मजबूत हो गया था।
मलेशिया में प्रधानमंत्री की नियुक्ति राजा करते हैं
राजा की ओर से शनिवारको यासीन को प्रधानमंत्री चुनने पर महातिर के सहयोगियों ने हैरानी जताई थी। मलेशिया में राजा ही प्रधानमंत्री की नियुक्ति करते हैं। इस पद के लिए ऐसे व्यक्ति को चुना जाता है जो सबसे ज्यादा सांसदों का समर्थन जुटाने में सक्षम हो। शुक्रवार को महातिर ने बयान जारी कर कहा थाकि उनके पास संसद और पार्टी दोनों जगह बहुमत है। वो दोनों के मुखिया बने रहेंगे। लेकिन, राजमहल ने उनके दावे पर ध्यान नहीं दिया और सांसदों से चर्चा के बाद यासीन को प्रधानमंत्री घोषित कर दिया। इसके पहले यासीन खुद को पार्टी प्रेसिडेंट घोषित कर चुके थे। पार्टी अध्यक्ष ही आमतौर पर प्रधानमंत्री बनता है।
महातिर की चाल
जब महातिर को लगा कि वेफिर पार्टी अध्यक्ष और प्रधानमंत्री नहीं बन पाएंगे तो उन्होंने एक सियासी दांव खेला। अपने घोर विरोधी और विपक्षी पीपुल्स जस्टिस पार्टी के नेता अनवर इब्राहिम को समर्थन देने का ऐलान किया। हालांकि, राजमहल ने इसे भी खारिज कर दिया। खास बात ये है कि यासीन 2008 में नजीब रज्जाक सरकार में उपप्रधानमंत्री थे। इसी साल हुए चुनाव में नजीब की पार्टी हारी और महातिर प्रधानमंत्री बने। यासीन महातिर के साथ आ गए।
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