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बीजिंग. एडवांसेज इन एटमॉस्फेरिक साइंसेज जर्नल में सोमवार को प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक, पिछले 25 साल में 3.6 अरब परमाणु बम से उत्पन्न हीट जितनी ऊष्मा (गर्मी) महासागरों में घुल गई है। पानी में हर सेकंड 5 (हिरोशिमा पर गिराए गए) परमाणु बम गिराए जाने जितनी ऊष्मा घुल रही है। इस ऊष्मा से समुद्र गर्म हो रहे हैं। 14 वैज्ञानिकों की एक टीम 1950 के दशक से समुद्रों के तापमान का अध्ययन कर रही है। टीम ने 2000 मीटर की गहराई तक तापमान की बढ़ोतरी का अध्ययन किया है।
शोध के मुताबिक, 2019 में समुद्रों ने 90% ऐसी ऊष्मा को अवशोषित किया जो कि ग्रीन हाउस गैसों, पेट्रोलियम पदार्थों के जलने और जंगल में लगी आग से निकली थी। इससे समुद्रों का तापमान रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। शोध में बीते 10 सालों को गर्म साल माना गया। इनमें 5 साल समुद्रों के अब तक के सबसे गर्म सालों में दर्ज किए गए। यह ऊष्मा धरती के प्रत्येक व्यक्ति द्वारा दिन-रात 100 माइक्रोवेव अवन के चलाने जितनी भी कही जा सकती है।
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इतनी ऊष्मा समुद्रों में घुली
चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेज में इंटरनेशनल सेंटर फॉर क्लाइमेट एंड एन्वॉयर्मेंट साइंसेस के प्रमुख लेखक प्रोफेसर लीजिंग चेंग ने कहा, ‘‘1981 से 2010 के बीच महासागर का तापमान 0.075 डिग्री सेल्सियस था। हीरोशिमा पर एटम बम के गिरने से 63,000,000,000,000 (63 ट्रिलियन) जूल्स एनर्जी उत्पन्न हुई थी। अब तक समुद्रों में 228,000,000,000,000,000,000,000(228 सेक्स्टिलियन) जूल्स ऊष्मा घुल चुकी है।
तापमान में बढ़ोतरी की दर 450% अधिक
नेशनल सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक रिसर्च की जलवायु परिवर्ततन एनालिसिस सेक्शन की वैज्ञानिक केविन ट्रेनबर्थ ने कहा, समुद्रों के तापमान में हो रही बढ़ोतरी का कारण मानव के क्रिया-कलाप हैं। रिसर्च के मुताबिक, 1955 से 1986 के बीच समुद्री तापमान की धीरे-धीरे बढ़ोतरी हुई। बाद के दशक में ऊष्मा की यह गर्माहट बढ़ती गई। 1987 से लेकर 2019 के बीच तापमान की बढ़ोतरी पिछली के दशकों के मुकाबले 450% से अधिक देखी गई।
समुद्रों के गर्म होने से यह होता है
रिसर्च के मुताबिक, गर्म हो रहे समुद्र बड़े तुफानों को तैयार करते हैं। इससे जल चक्र भी प्रभावित होता है। इसका असर धरती पर सूखा, बाढ़ और जंगलों की आग के रूप में दिखता है। इस सबके अलावा, यह समुद्री जीवन के लिए भी घातक है।
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