बीजिंग.गरीबी से जूझ रहे दुनियाभर के देशाें काे चीन के एक प्रांत ने चाैंका दिया है। जिआंग्सू प्रांत ने दावा किया है कि उसकी 8 कराेड़ की आबादी में अब महज 17 लाेग गरीब बचे हैं। इस दावे पर कई लाेगाें ने सवाल उठाए हैं। साेशल मीडिया पर भी बहस छिड़ी है, लेकिन सरकार का दावा है कि प्रांत के 2.54 करोड़ गरीब लोगों में से 99.9% को गरीबी से निकाल लिया गया है।
दूसरी तरफ करीब इतनी ही आबादी (7.33 करोड़) वाले मध्य प्रदेश में नीति आयोग की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक करीब ढाई करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन कर रहे हैं, तो 6.9 करोड़ आबादी वाले गुजरात में राज्य सरकार के मुताबिक 1.5 करोड़ लोग गरीबी रेखा के नीचे हैं।
दरअसल, जिआंग्सू चीन के सबसे समृद्ध प्रांताें में से एक है और दक्षिण चीन के गुआंगडाेंग के बाद बड़ी आबादी वाला दूसरा प्रांत है। यहां सालाना 6000 युआन (61 हजार रुपए) से कम कमाई काे अत्यंत गरीबी माना गया है। सरकार ने कहा है कि यह विश्व बैंक की गरीबी की परिभाषा 1.90 डाॅलर (134 रुपए) प्रतिदिन से अधिक है। वर्ष 2020 के आखिर तक देश से गरीबी हटाने के लक्ष्य पर काम रहे चीन ने कई कदम उठाए हैं।
आंकड़ों की मानें, तो 6 साल पहले चीन में 9.89 करोड़ गरीब थे। पिछले वर्ष ये 1.66 करोड़ रह गए। सरकार का दावा है कि पूर्वी चीन के नौ प्रांतों में राष्ट्रीय मानक के हिसाब से कोई गरीब नहीं है। आंकड़े बताते हैं कि 1949 में पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना की स्थापना के बाद से वैश्विक गरीबी में 70% से अधिक का प्रतिनिधित्व करने वाले 80 करोड़ लोगों को गरीबी से उबार लिया है।
गरीबी हटाने के ये प्रयास काबिलेतारीफ
- पंचवर्षीय याेजना बनाई।
- गरीबाें काे खाद्य सुरक्षा, कपड़े, अनिवार्य शिक्षा, बुनियादी स्वास्थ्य देखभाल, घर उपलब्ध कराया।
- दूरदराज, साधनहीन इलाकाें काे देश से जाेड़ने के लिए आधारभूत संरचना में बड़ा निवेश किया।
- सेवाओं, बाजाराें और अन्य विकल्पाें तक बेहतर पहुंच बनाई।
- 2019 में 1278 कराेड़ रु. (18 बिलियन डाॅलर) निवेश किए।
- 2017 तक 7.75 लाख सिविल सर्वेंट काे गांवाें में भेजा। इन्हाेंने जीवनस्तर उठाने में मदद की।
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