पाकिस्तान सरकार हायर एजुकेशन के लिए जिन स्टूडेंट्स को स्कॉलरिप देकर विदेश भेजती है, उनमें से ज्यादातर देश नहीं लौटते। पब्लिक अकाउंट्स कमेटी (पीएसी) की एक सब कमेटी ने हायर एजुकेशन कमीशन (एचईसी) द्वारा जारी फंडिंग की जांच की है। इसमें सामने आया कि स्कॉलरशिप के जरिए विदेश गए 132 पाकिस्तानी देश नहीं लौटे। इतना ही नहीं 106 स्टूडेंट्स ऐसे भी मिले जिनका रिसर्च वर्क 14 साल में भी पूरा नहीं हो सका।
अब कमेटी ने रिकॉर्ड तलब किया
सब कमेटी की जांच के बारे में ‘द ट्रिब्यून’ ने रिपोर्ट पब्लिश की है। इसके मुताबिक, कमेटी ने एचईसी से छात्रों के अधूरे रिसर्च का रिकॉर्ड तलब किया है। कमेटी के चेयरमैन आलम खान ने कहा- इस बेहद अहम मसले पर हमारे सवालों के जवाब देने के लिए एचईसी के चेयरमैन तारिक बनूरी हाजिर क्यों नहीं हुए। अब इसके डायरेक्टर को बुलाया गया है।
कैसा रिसर्च हो रहा है...
एचईसी की ऑडिट रिपोर्ट के कुछ तथ्य चौंकाने वाले हैं। कुल 583 प्रोजेक्ट्स पर रिसर्च की मंजूरी दी गई थी। इनकी फंडिंग भी की गई। लेकिन, 106 स्टूडेंट्स के प्रोजेक्ट्स ऐसे हैं जो 14 साल से चल रहे हैं, और अब तक पूरे नहीं हुए। अब तक यह साफ नहीं हो पाया कि ये रिसर्च प्रोजेक्ट्स किसने मंजूर किए और अब तक पूरे क्यों नहीं हुए।
132 छात्र देश ही नहीं लौटे
जांच में एक और चौंकाने वाली जानकारी सामने आई। सरकार ने कुछ छात्रों (संख्या सार्वजनिक नहीं) को पीएचडी के लिए दूसरे देशों में जाने के लिए स्कॉलरशिप दी। इनमें 132 ऐसे हैं जो अब तक पाकिस्तान नहीं लौटे। इतना ही नहीं इनकी ट्रैनिंग का खर्च भी सरकार ने उठाया था। इस मामले में एक केस भी कोर्ट में है। एचईसी अब छात्रों से पैसा वापस लेना चाहता है।
कमेटी ने कहा है कि स्कॉलरशिप सिर्फ उन स्टूडेंट्स को दी जानी चाहिए, जो वास्तव में जरूरतमंद हैं। अमीर घरों के स्टूडेंट्स को स्कॉलरशिप देने का कोई मतलब नहीं है।
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