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अमेरिका में फिलहाल 6.3 करोड़ लोग गरीब के तौर पर रजिस्टर्ड हैं। इनमें से 3.4 करोड़ ऐसे हैं जो चुनाव में वोट करने नहीं जाते। मौजूदा वक्त में रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक दोनों ही पार्टियां गरीब वोटरों पर ध्यान नहीं दे रही हैं। हालांकि, इनका वोट देश के अगले राष्ट्रपति चुनाव के लिए अहम हो सकता है। इन गरीबों का साथ किसी भी पार्टी को जीत को दिलाने के लिए काफी होगा। अमेरिका के पुअर पीपुल्स कैंपेन ने अपनी रिपोर्ट में इस बात का दावा किया है।
पुअर पीपुल्स कैंपेन अमेरिका के एक्टिविस्ट, यूनियन और रिलीजियस लीडर्स लोगों द्वारा मिलकर बनाई गई संस्था है। यह गरीबों के हकों से जुड़े मुद्दों के लिए काम करती है। इसने इस साल देश के 13 राज्यों में कम कमाई वाले लोगों को वोटिंग में शामिल कराने की मुहिम शुरू की है।
10 राज्यों में वोटों पर्सेंटेज पर असर डाल सकते हैं गरीब वोटर
रिपोर्ट तैयार करने वाले और कोलंबिया स्कूल ऑफ सोशल वर्क के प्रोफेसर डॉ राॅबर्ट पॉल हर्टले के मुताबिक, गरीब वोटर देश के 10 राज्यों के वोट पर्सेंटेज पर असर डाल सकते हैं। इनमें से पांच राज्य ऐसे हैं जहां पर पहले रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार जीते थे। वहीं, 5 राज्य ऐसे हैं जहां पर डेमोक्रेट्स को जीत मिली थी। अगर यह वोटिंग में शामिल होते हैं तो मिशीगन, फ्लोरिडा, न्यू हैंपशायर, विस्कॉन्सिन और पेन्सिलवानिया में वोट पर्सेंटेज 4 से 7 प्रतिशत तक बढ़ सकता है। लेकिन, ज्यादातर कम कमाई वाले लोगों ने वोटिंग के लिए रजिस्ट्रेशन ही नहीं करवाया है। ऐसे में वोटिंग प्रोसेस में इनकी हिस्सेदारी बढ़ाना चुनौती है।
राष्ट्रपति चुनाव में अहम होगा गरीबी और बेरोजगारी का मुद्दा
अमेरिका में 3 नवम्बर को राष्ट्रपति चुनाव होने वाला है। इसमें गरीबी और बेरोजगारी का मुद्दा अहम होगा। देश में महामारी फैलने की वजह से अब तक 3 करोड़ से ज्यादा लोगों ने बेरोजगारी भत्ते के लिए रजिस्ट्रेशन करवाया है।अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बेरोजगारों को हर हफ्ते 600 अमेरिकी डॉलर (करीब 45 हजार रु.) देने का एक्जीक्यूटिव ऑर्डर जारी किया है। देश की विपक्षी डेमोक्रेटिक पार्टी इस मुद्दे को लेकर सरकार पर लगातार सवाल उठा रही है।
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