ढाका की एक अदालत ने मंगलवार को बांग्लादेश के पहले हिंदू चीफ जस्टिस सुरेंद्र कुमार सिन्हा और 10 अन्य लोगों को 4 करोड़ टका (करीब 3.5 करोड़ रुपए) के गबन का दोषी पाया है। 69 साल के सिन्हा जनवरी 2015 से नवंबर 2017 तक बांग्लादेश के 21 वें मुख्य न्यायाधीश रहे हैं।
सिन्हा अब अमेरिका में रहते हैं। बांग्लादेश के एंटी करप्शन कमीशन (एसीसी) ने उन्हें भगोड़ा घोषित किया है। हाल ही में ढाका की एक कोर्ट ने सुरेंद्र के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया था।
अगली सुनवाई 18 अगस्त को
ढाका की अभियोजन पक्ष के वकील ने कहा, "आज अदालत ने फार्मर्स बैंक घोटाले में एसके सिन्हा और 10 अन्य पर आरोप तय किए।" उन्होंने कहा मामले में छह आरोपी बैंक के पूर्व अधिकारी थे, जबकि बाकी सिन्हा के सहयोगी थे। ट्रायल के दौरान केवल तीन लोग ही मौजूद रहे। अगली तारीख 18 अगस्त को है।
क्या है मामला?
एंटी करप्शन कमीशन ने सिन्हा और 10 अन्य के खिलाफ आरोप दायर किया था। एसीसी ने कहा कि 2016 में दो बिजनेस मैन ने फर्जी कागजों के जरिए फार्मर्स बैंक से 4 करोड़ टका का उधार लिया था। यह रकम एसके सिन्हा के खाते में जमा हुई थी। सिन्हा अब अमेरिका में रहते हैं। कहा जाता है कि उन्होंने वहां शरण मांगी थी।
आत्मकथा में लगाए सरकार पर आरोप
सरकार के साथ विवाद होने के बाद 2017 में सिन्हा ने अपना पद छोड़ दिया था। इसके बाद उन्होंने अपनी आत्मकथा 'ए ब्रोकेन ड्रीम: रूल आफ लॉ, ह्यूमन राइट्स एंड डेमोक्रेसी’ लिखी। इसमें उन्होंने शेख हसीना सरकार पर कई आरोप लगाए। सिन्हा ने भारत से भी शेख हसीना सरकार का समर्थन नहीं करने की अपील की थी। उन्होंने वॉशिंगटन में कहा था कि भारत सरकार निरंकुश आवामी लीग सरकार का समर्थन करके लोगों की उपेक्षा न करे। पीएम शेख हसीना ने इस पर तीखी प्रतिक्रिया दी थी। इसके बाद सिन्हा पर गबन का केस दर्ज हुआ था।
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