इजराइल में बेंजामिन नेतन्याहू और उनके विपक्षी बेनी गांत्ज में गठबंधन सरकार बनाने को लेकर पिछले हफ्ते हुए समझौते के खिलाफ हजारों लोग सड़कों पर उतर आए हैं। लोगों का कहना है कि इस समझौते से भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू सत्ता में बने रहेंगे। उनके खिलाफ कार्रवाई नहीं हो पाएगी।
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि गठबंधन सरकार को लेकर बनी सहमति लोकतंत्र को कुचलने वाली है। गठबंधन सरकार में नेतन्याहू सत्ता में बने रहेंगे और न्यायाधीशों की नियुक्ति में दखल दे सकेंगे। इसके चलते न्यायाधीश एवं अधिकारी नेतन्याहू को भ्रष्टाचार के आरोपों से बाहर निकलने में मदद कर सकते हैं। नेतन्याहू पर धोखाधड़ी, विश्वासघात और रिश्वत लेने के आरोप हैं। हालांकि, उन्होंने आरोपों से इनकार किया है।
प्रदर्शन में सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखा
प्रदर्शनकारी तेव अलीव के राबिन चौक पर इकट्ठा हुए। इस प्रदर्शन को ‘ब्लैक फ्लैग प्रोटेस्ट’ नाम दिया गया है।प्रदर्शनकारियों ने कोरोनावायरस को फैलने से रोकने के लिए लागू सोशल डिस्टेंसिंग के नियमों का पालन किया। वे एक-दूसरे से दूरी बनाकर खड़े थे और मास्क भी लगाया हुआ था। उन्होंने नेतन्याहू से पद छोड़ने की मांग की।
इजराइल में एक साल में तीन बार चुनाव हो चुके हैं।
इजराइल में एक साल के भीतर तीन बार आम चुनाव हो चुके हैं। इन चुनावों में न तो नेतन्याहू की लिकुड पार्टी के गठबंधन और न ही बेनी गांत्ज की ब्लू एंड व्हाइट पार्टी के गठबंधन को बहुमत मिला है। अब बेंजामिन नेतन्याहू और उनके विपक्षी बेनी गांत्ज में मिलीजुली सरकार बनाने को लेकर सहमति बन गई है। इसके साथ ही यहां चौथे चुनाव का संकट टल गया है।
नेतन्याहू बहुमत पाने से तीन सीट से चूक गए थे
2 मार्च को हुए तीसरी बार चुनाव में लिकुड पार्टी को 36 सीटें और उसकी (लिकुड पार्टी) अगुआई वाले राइट विंग संगठन को 58 सीटें मिली थीं। मुख्य विपक्षी बेनी गांत्ज की ब्लू एंड व्हाइट पार्टी को 33 सीटें और उसकी (ब्लू एंड व्हाइट) अगुआई वाले वामपंथी गुट को 55 सीटें मिली थीं। 120 सीट वाली इजराइल की संसद में बहुमत के लिए 61 सीटों की जरूरत होती है। चुनाव में इन मुख्य पार्टियों के अलावा अन्य छोटी पार्टियों ने 15 सीटें हासिल की थीं। इस चुनाव में नेतन्याहू बहुमत पाने से तीन सीट चूक से गए थे।
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