Thursday, March 5, 2020

तालिबान-अमेरिका समझौते के बाद 5 दिन में 26 अफगान सैनिक मारे गए; ट्रम्प के विशेष दूत तालिबान सरगना से मिले March 04, 2020 at 09:54PM

वॉशिंगटन/काबुल. अमेरिका और आतंकी संगठन तालिबान के बीच अफगानिस्तान में शांति बहाली को लेकर हुआ समझौता खतरे में नजर आ रहा है। यह समझौता 29 फरवरी को दोहा में हुआ था। पांच दिन के भीतर ही तालिबानियों के हमले में 26 अफगान सैनिक मारे गए। इससे समझौते की सफलता पर सवाल उठने लगे हैं। अब अमेरिका के विशेष दूत जालमई खालिजाद ने तालिबान चीफ मुल्ला अब्दुल गनी बरदार से बातचीत की है। इसके पहले मंगलवार रात अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी बरदार से बातचीत की थी।

10 मार्च से तालिबान और अफगान सरकार की बातचीत होगी। इस पर दुनिया की निगाहें होंगी। अगर इस बातचीत में तालिबान और अशरफ गनी सरकार किसी समझौते पर पहुंचती है तो अफगानिस्तान में

वास्तविक शांति स्थापित हो सकती है।

बरदार से मिले खालिजाद
29 फरवरी को अमेरिका-तालिबान समझौते के बाद भी तालिबान ने अफगानिस्तान में हमले जारी रखे। इनमें 26 अफगान सैनिक और पुलिसकर्मी मारे गए। हालात बिगड़ते देख अमेरिका के विशेष दूत जालमई खालिजाद ने बुधवार देर रात तालिबान प्रमुख मुल्ला बरदार से मुलाकात की। इसकी जानकारी खालिजाद ने ट्विटर पर दी। कहा, “हम सब इस बात पर सहमत हैं कि समझौते से अफगानिस्तान में शांति का रास्ता खुलेगा। अगर हिंसा बढ़ती है तो समझौता खतरे में पड़ जाएगा। लिहाजा, वक्त रहते हिंसा रोकनी होगी। इन बातों के अलावा हमने कैदियों की रिहाई पर भी चर्चा की है। ##

आखिर हमले क्यों हो रहे हैं?
दरअसल, 29 फरवरी को हुए समझौते में सिर्फ दो पक्ष हैं। तालिबान और अमेरिका। अफगानिस्तान सरकार इसमें शामिल नहीं है। 10 मार्च से ओस्लो में तालिबान और अफगान सरकार बातचीत करेंगी। बातचीत से पहले एक मुद्दा मुश्किल नजर आ रहा है। दरअसल, तालिबान चाहता है कि अफगान सरकार जेल में बंद 5 हजार आतंकियों को रिहा करे। जबकि, अशरफ गनी सरकार ने साफ कर दिया है कि वो किसी तालिबानी को रिहा नहीं करेगी। तालिबान ने ये भी कहा था कि उसके कब्जे में एक हजार बंधक हैं, अगर अफगान सरकार उसके लोगों को रिहा करेगी तो वो भी बंधकों को छोड़ देगा।



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29 फरवरी को दोहा में समझौते के दौरान अमेरिका के विशेष दूत जालमई खालिजाद (बाएं) और तालिबान नेता मुल्ला बरदार।

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