कुआलालंपुर. मलेशिया के प्रधानमंत्री महातिर मोहम्मद ने कहा है कि ईरान पर अमेरिकी कार्रवाई के बाद मुस्लिम देशों को एकजुट हो जाना चाहिए। हालांकि, उन्होंने अमेरिका का नाम नहीं लिया। महातिर के मुताबिक, ईरानी सैन्य कमांडर कासिम सुलेमानी पर ड्रोन हमला अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन है। बता दें कि हाल ही में मोहम्मद ने मुस्लिम देशों का नया संगठन बनाने की कोशिश की थी। पाकिस्तान को इसकी अगुवाई करनी थी। लेकिन, सऊदी अरब के दबाव में पाकिस्तान पीछे हट गया और इमरान खान ने कुआलालंपुर सम्मेलन में शिरकत ही नहीं की।
दुनिया अब सुरक्षित नहीं
94 साल के महातिर दुनिया के सबसे उम्रदराज राष्ट्राध्यक्ष हैं। एक महीने में दूसरी बार उन्होंने मुस्लिम देशों से एकजुट होने की अपील की है। अमेरिकी ड्रोन हमले में ईरानी सैन्य कमांडर के मारे जाने के बाद उन्होंने पहली प्रतिक्रिया दी। मलेशियाई प्रधानमंत्री ने कहा, “मैं सच बोलने से नहीं डरता। दुनिया अब महफूज नहीं रह गई है। अगर एक व्यक्ति की बात किसी को पसंद नहीं आती तो क्या वो ड्रोन भेज देगा। कल शायद वो मुझे भी गोली मार दे। ये सही वक्त है जब मुस्लिम देशों को एकजुट हो जाना चाहिए। ड्रोन हमला अंतरराष्ट्रीय कानून के खिलाफ है। वो (अमेरिका) तनाव बढ़ा रहे हैं और इसे आतंकवाद का नाम देते हैं।”
अमेरिका के खिलाफ प्रदर्शन
मलेशिया में रहने वाले हजारों ईरानी नागरिकों ने सोमवार को अमेरिकी दूतावास के सामने विरोध प्रदर्शन किया। यहां करीब 10 हजार ईरानी नागरिक रहते हैं। अमेरिका ने जब ईरान पर प्रतिबंध लगाए थे तब भी मलेशिया ने इनका पालन नहीं किया। पिछले महीने हुई कुआलालंपुर समिट में भी ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी भी शामिल हुए थे। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने सऊदी दबाव की वजह से अंतिम समय में इस सम्मेलन में शामिल होने से इनकार कर दिया था। संयुक्त राष्ट्र में मलेशिया और तुर्की ही दो देश थे जिन्होंने कश्मीर मसले पर पाकिस्तान का समर्थन किया था। इसके बाद से ही भारत और मलेशिया के बीच राजनयिक तनाव है।
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