मॉस्को. रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने कहा है कि वे किसी भी नेता के असीमित समय तक के लिए राष्ट्रपति रहने के खिलाफ हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा सिस्टम सोवियत यूनियन में हुआ करता था। पुतिन का यह बयान विश्व युद्ध-2 के सैनिकों के साथ मुलाकात के दौरान आया। पुतिन खुद 16 साल से देश के राष्ट्रपति हैं। वे पहली बार 2000 में राष्ट्रपति बने थे। आठ साल तक यह पद संभालने के बाद वे 2008 से 2012 तक प्रधानमंत्री पद पर रहे। इसके बाद उन्होंने एक बार फिर राष्ट्रपति पद संभाला। उनका कार्यकाल अभी 2024 तक चलेगा। यानी 21वीं सदी के शुरुआती 24 सालों में ही वे 20 साल राष्ट्रपति रहेंगे।
पुतिन ने बुधवार को ही रूस के संविधान में बदलाव का प्रस्ताव रखा था। उन्होंने राष्ट्र के नाम संदेश में ऐलान किया था कि देश में राजनीतिक ताकतों का बंटवारा ज्यादा बेहतर तरीके से किया जाएगा। यह शक्तियां राष्ट्रपति से लेकर संसद, राज्य परिषद और अन्य सरकारी संस्थानों को भी दी जाएंगी। इसके बाद से ही अंदाजा लगाया जा रहा है कि पुतिन राजनीति में अपनी पकड़ और मजबूत करना चाहते हैं।
पूर्व सैनिक ने कहा- राष्ट्रपति बनने की सीमा नहीं होनी चाहिए, पुतिन बोले- यह गलत
पुतिन शनिवार को ही दूसरे विश्व युद्ध का हिस्सा रहे पूर्व सैनिकों के कार्यक्रम में पहुंचे थे। यहां एक वेटरन ने कहा कि रूस में राष्ट्रपति पद पर रहने की कोई सीमा नहीं होनी चाहिए। हालांकि, इस पर पुतिन ने कहा, “यह ठीक नहीं। 1980 जैसी स्थिति में पहुंचना काफी परेशानी बढ़ाने वाला होगा। क्योंकि तब लोग अपने जीवन के अंतिम दिनों तक राज करते थे।”
संविधान में बदलाव कर कैसे फायदा पा सकते हैं पुतिन?
व्लादिमीर पुतिन के संविधान में बदलाव के ऐलान के साथ ही रूस में प्रधानमंत्री दिमित्री मेदवेदेव के नेतृत्व वाले कैबिनेट ने इस्तीफा दे दिया था। इसके बाद पुतिन ने अपने करीबी और राजनीति में नए नाम मिखाइल वी. मिशुस्तिन को देश का प्रधानमंत्री बनाया। विशेषज्ञों का मानना है कि पुतिन राष्ट्रपति की ताकतें संसद और कैबिनेट को देना चाहते हैं। यानी वे सरकार को ज्यादा मजबूत बनाएंगे। इसके जरिए वे अगले कार्यकाल में राष्ट्रपति न रह कर प्रधानमंत्री बन सकते हैं।
दरअसल, रूस में कोई भी व्यक्ति लगातार दो बार ही राष्ट्रपति रह सकता है। पुतिन 2000 से 2008 तक राष्ट्रपति रहे थे। इसके बाद उन्होंने प्रधानमंत्री पद लिया। 2012 में वे एक बार फिर राष्ट्रपति बने। पहले उन्होंने राष्ट्रपति के कार्यकाल की अवधि 4 साल से बढ़ाकर 6 साल की। 2018 में हुए चुनाव में दोबारा जीत हासिल करने के बाद उनका कार्यकाल 2024 तक तय हो गया। हालांकि, 2024 में उन्हें पद छोड़ना पड़ेगा। माना जा रहा है कि पुतिन सीधे तौर पर राष्ट्रपति पद का कार्यकाल असीमित नहीं करना चाहते, बल्कि सरकार को मजबूत कर प्रधानमंत्री बनना चाहते हैं।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
No comments:
Post a Comment