इस्लामाबाद. अमेरिका ने पिछले हफ्ते ही पाकिस्तान को धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन करने वाले देशों की श्रेणी में रखने का ऐलान किया था। इस पर मंगलवार को इमरान सरकार ने ऐतराज जताया। पाकिस्तान के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर फैसले को एकतरफा और मनमाना करार दिया। साथ ही लिस्ट में भारत को न रखने के लिए अमेरिका को पूर्वाग्रह से ग्रसित बताया। पाकिस्तान ने रिपोर्ट की विश्वसनीयता और पारदर्शिता पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह जमीनी हकीकत से बिल्कुल अलग है।
अमेरिका ने पिछले हफ्ते लिस्ट जारी कर पाकिस्तान के साथ म्यांमार, चीन, इरीट्रिया, ईरान, उत्तर कोरिया, सऊदी अरब, तजिकिस्तान और तुर्कमेनिस्तान को कंट्रीज ऑफ पर्टिकुलर कंसर्न (सीपीसी) श्रेणी में रखा था। अमेरिकी विदेश विभाग हर साल अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता कानून 1998 के तहत अपनी सीपीसी लिस्ट तैयार करता है। इसमें उन देशों को रखा जाता है, जहां धार्मिक आधार पर स्वतंत्रता का उल्लंघन होता है। इस श्रेणी में रखे गए देशों पर अमेरिकी सरकार आर्थिक-वाणिज्यिक प्रतिबंध लगाती है।
यहां हर किसी को धर्म मानने की आजादी: पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय
पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता शाह फैसल ने रिपोर्ट को नकारते हुए कहा कि यह अमेरिका की चुनिंदा देशों को निशाना बनाने की नीति है। पाकिस्तान एक बहुधर्मी और बहुलतावादी देश है। यहां हर धर्म के व्यक्ति को संविधान के तहत धार्मिक आजादी मिली है। सरकार की हर शाखा-कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका पाकिस्तान के लोगों को अपने धर्म को मानने की पूरी आजादी देती है।
संयुक्त राष्ट्र ने भी माना- पाक में धार्मिक स्वतंत्रता खतरे में
संयुक्त राष्ट्र ने माना है कि पाकिस्तान में धार्मिक स्वतंत्रता की स्थिति लगातार खराब हो रही है। वहां के हिंदू और ईसाई समुदाय सबसे ज्यादा खतरे में हैं। इन दोनों समुदायों की महिलाओं और बच्चियों को अगवा कर धर्म परिवर्तन कराया जाता है। मुस्लिम युवकों से शादी होने के बाद उनके परिवार के पास लौटने की उम्मीद बहुत कम होती है। यूएन की कमीशन ऑन स्टेटस ऑफ वीमेन (सीएसडब्ल्यू) की रिपोर्ट के मुताबिक, इमरान खान सरकार अल्पसंख्यकों पर हमले के लिए कट्टरपंथी विचारों को बढ़ावा दे रही है। कमीशन ने 47 पन्नों की रिपोर्ट को 'पाकिस्तान: धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला' नाम दिया है।
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