रूस ने कहा है कि वह भारत के साथ पार्टनरशिप में कोविड-19 की वैक्सीन 'स्पुतनिक वी' का उत्पादन करना चाहता है। गुरुवार को रशियन डाइरेक्ट इंवेस्टमेंट फंड (आरडीआईएफ) के सीईओ किरिल मित्रीव ने इसकी जानकारी दी। 'स्पुतनिक वी' को रूस के गैमालेया रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबॉयोलॉजी ने आरडीआईएफ के साथ मिलकर बनाया है। इस वैक्सीन का फेज-3 या बड़े पैमाने पर क्लीनिकल ट्रायल नहीं किया गया है।
भारत पर भरोसा हैः रुस
किरिल ने एक ऑनलाइन प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा कि लैटिन अमेरिका, एशिया और मध्य एशिया के कई देशों ने वैक्सीन के उत्पादन में अपनी रुचि दिखाई है। उन्होंने कहा, "वैक्सीन का उत्पादन बड़ा महत्वपूर्ण मामला है। मौजूदा समय में हम भारत के साथ पार्टनरशिप करना चाहते हैं। हमें भरोसा है कि वे वैक्सीन के उत्पादन में सक्षम हैं, इससे हमारे पास अभी जो मांग आ रही है, उसे पूरा किया जा सकेगा।"
पांच से अधिक देशों में होगा उत्पादन
किरिल ने कहा, "हम न केवल रूस में बल्कि यूएई, सऊदी अरब, ब्राजील और भारत में भी क्लीनिकल ट्रायल करने जा रहे हैं। हम पांच से अधिक देशों में वैक्सीन का उत्पादन करने की योजना बना रहे हैं। हमारे पास एशिया, लैटिन अमेरिका, इटली और दुनिया के अन्य हिस्सों से बहुत अधिक मांग है।"
विवादों में है रूसी वैक्सीन
रूस की वैक्सीन विवादों में भी है। इसे साइंटिफिक जर्नल या डब्ल्यूएचओ से साझा नहीं किया गया। डब्ल्यूएचओ ने कहा, "रूस ने वैक्सीन बनाने के लिए तय दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया है।" रुस पर वैक्सीन से जुड़े सभी जरूरी ट्रायल पूरे न करने के आरोप लगे हैं। मात्र 42 दिन में इसके सभी ट्रायल पूरे किए गए हैं। साथ ही इस वैक्सीन के कई साइड इफेक्ट की भी बात सामने आई है। दस्तावेजों के मुताबिक, 38 वॉलंटियर्स में 144 तरह के साइड इफेक्ट देखे गए हैं।
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