चीन एक नया सुरक्षा संबंधी कानून लाने जा रहा है, जिससे वह हॉन्गकॉन्ग में देशद्रोह, आतंकवाद, विदेशी हस्तक्षेप और विरोध करने जैसी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगा सके। माना जा रहा है कि इक कानून का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और हॉन्गकॉन्ग में व्यापक तौर पर विरोध हो सकता है।
हॉन्गकॉन्ग में पिछले साल लोकतंत्र समर्थकों ने कई महीने प्रदर्शन किया था। शुक्रवार से शुरू हो रहे संसद सत्र में इस मुद्दे पर बहस होने वाली है। कोरोना के चलते सत्र देरी से शुरू हो रहा है। चीनी मीडिया ने कहा है कि इस कदम से राष्ट्रीय सुरक्षा का बचाव किया जा रहा है। हालांकि, विरोधियों का कहना है कि यह ‘हॉन्गकॉन्ग का अंत’ हो सकता है।
हॉन्गकॉन्ग के अंतिम ब्रिटिश गवर्नर क्रिस पैटेन ने इस कदम को ‘शहर की स्वायत्तता पर बड़ा हमला’ कहा है। वहीं, हॉन्गकॉन्ग की सिविक पार्टी की नेता तान्या चान ने इसे ‘देश के इतिहास का सबसे दुखद दिन’ कहा है। इस घोषणा के बाद गुरुवार को हॉन्गकॉन्ग डॉलर में भी गिरावट देखी गई।
‘चीन की एक देश दो सिस्टम की नीति में संशोधन की योजना’
नेशनल पीपुल्स कांग्रेस की प्रवक्ता जांग सुई ने कहा कि चीन एक देश दो सिस्टम की नीति में संशोधन करने की योजना बना रहा है। राष्ट्रीय सुरक्षा देश के स्थायित्व का आधार है। राष्ट्रीय सुरक्षा की रक्षा करने से चीन के लोगों समेत हॉन्गकॉन्ग के हमवतन के मौलिक हितों की रक्षा होती है।
चीन के पास हमेशा से कानून बनाने का अधिकार था
चीन के पास हमेशा से हॉन्गकॉन्ग के मूल कानून में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को लागू करने का अधिकार था, लेकिन वह अब तक ऐसा करने से परहेज करता रहा। हॉन्गकॉन्ग में सितंबर में चुनाव होने वाले हैं। पिछले साल जैसे लोकतंत्र समर्थकों को कामयाबी मिली, अगर वैसे ही जिला चुनाव में भी कामयाबी मिली तो फिर सरकार को बिल लाने में परेशानी हो सकती है।
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