पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने गिलगित-बाल्टिस्तान में केयरटेकर गवर्नमेंट बनाने और चुनाव कराने का आदेश जारी कर दिया है। पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने इससे संबंधित केंद्रीय कानून में संशोधन का आदेश दिया था। इस संशोधन के बाद यहां आम चुनाव कराए जा सकते हैं।
गिलगित-बाल्टिस्तान की विधानसभा 24 जून को अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा करेगी। राष्ट्रपति के आदेश में कहा गया कि निष्पक्ष और पारदर्शी चुनाव कराने के लिए गिलगित-बाल्टिस्तान में केयरटेकर सरकार सरकार की जरूरत है।
डॉन न्यूजपेपर की एक रिपोर्ट के अनुसार, गिलगित-बाल्टिस्तान में पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) के अध्यक्ष सैयद जफर शाह ने कहा कि गिलगित-बाल्टिस्तान विधानसभा चुनाव समय पर कराए जाएंगे। केयरटेकर सरकार दो महीने के भीतर चुनाव की व्यवस्था करेगी। विशेष परिस्थितियों में केयरटेकर सरकार के कार्यकाल को बढ़ाने के लिए एक कानून है। गिलगित-बाल्टिस्तान का मुख्यमंत्री, विपक्ष का नेता और कश्मीर मामलों के मंत्री ही केयरटेकर गवर्नमेंट का मुख्यमंत्री तय करेंगे।
जानिए गिलगित-बाल्टिस्तान ने ‘ऑर्डर ऑफ 2018’ को
पाकिस्तान में पीओके एक अलग संविधान है। यहां पाकिस्तान की एक कठपुतली सरकार चलती है, लेकिन गिलगित-बाल्टिस्तान सीधे इस्लामाबाद के नियंत्रण में रहा है। 2009 में यहां पहली बार चुनाव हुए, लेकिन यहां की असेंबली कोई कानून नहीं बना सकती। यहां एक काउंसिल बनाया गया था जो सारे फैसले लेता था। ‘ऑर्डर ऑफ 2018’ के तहत पाकिस्तान ने इसे अपने पांचवे प्रदेश के रूप में मान्यता देने की कोशिश की है। इसमें कहा गया है कि यहां वह सारे नियम कानून लागू होंगे जो पाकिस्तान में लागू होते हैं। इसके साथ ही यहां की असेंबली के भी अधिकार बढ़ाए गए हैं। नए कानूनों के तहत अब पहली बार चुनाव होने जा रहे हैं।
भारत जता चुका है कड़ा विरोध
भारत ने गिलगित-बाल्टिस्तान में चुनाव कराए जाने का कड़ा विरोध किया है। इस महीने की शुरुआत में भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि चूंकि गिलगित-बाल्टिस्तान भारत का अभिन्न हिस्सा है, लिहाजा पाकिस्तान इसे फौरन खाली कर दे। उसका यहां कब्जा गैरकानूनी है। हमने पाकिस्तान के एक सीनियर डिप्लोमैट को तलब कर उन्हें अपना पक्ष बता दिया है।’’
गिलगित-बाल्टिस्तान में डैम भी बना रहा पाकिस्तान
पाकिस्तान की सरकार गिलगित-बाल्टिस्तान में सिंध नदी पर दियामर बाशा बांध बना रही है। इसके लिए सरकार ने पिछले हफ्ते 442 अरब (पाकिस्तानी रुपए) का कॉन्ट्रैक्ट चीनी फर्म चाइना पॉवर और फ्रंटियर वर्क्स ऑर्गनाइजेशन (एफडब्ल्यूओ) के साथ साइन किया था। एफडब्ल्यूओ पाकिस्तानी सेना की कमर्शियल विंग है, जो बांध आदि का निर्माण करती है। इसमें चीन की चाइना पॉवर की 70 प्रतिशत, जबकि पाकिस्तान की फ्रंटियर वर्क्स ऑर्गनाइजेशन की 30 प्रतिशत हिस्सेदारी है।
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