चीन के वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी ने अपनी साइट से लैब में काम करते वैज्ञानिकों की तस्वीरें डिलीट कर दी हैं। डिलीट की गई तस्वीरोंसे साफ पता चलता है कि इंस्टीट्यूट मे बेहद लापरवाही से काम किया जाता था। वैज्ञानिक बिना किसी मेडिकल इक्विपमेंट के खतरनाक वायरसों पर काम करते थे। लैब में वायरसों को रखने की जगह भी खस्ताहाल है। अमेरिका समेत दुनियाभर के देशों के बढ़ते दबाव की वजह से इन फोटो को डिलीट कर दिया गया है।
डेली मेल की खबर के मुताबिक चीन ने इस्टीट्यूट की वेबसाइट से जिन तस्वीरों को हटाया है उन तस्वीरों में दिखता है कि किस तरह इंस्टीट्यूट का स्टाफ गुफाओं में जाकर चमगादड़ों का स्वाब इकट्ठा करता है और उस दौरान टीम पूरी तरह से मेडिकल इक्विपमेंट भी नहीं पहने हुए है।
तस्वीरोंमें दिख रहा है कि जिस प्रिज में 1500 विभिन्न प्रकार के वायरस रखे गए थे, उसकी सीलिंग मानकों के अनुरूप नहीं की गई है।
इंस्टीट्यूट ने अमेरिकी वैज्ञानिकों के विजिट को भी अपनी साइट की हिस्ट्री सेडिलीट कर दियाहै। मार्च 2018 में बीजिंग में अमेरकी दूतावास के साइंस एंड टेक्नोलॉजी एक्सपर्ट रिक स्विट्जर ने इस इस्टीट्यूट में विजिट किया था। इसके बाद स्विट्जर ने अमेरिकी गृह मंत्रालय को चमगादड़ों पर रिसर्च करने के खतरे के बारे में आगाह किया था। उन्होंने लिखा था- वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी में विजिट के दौरान हमने पाया कि वहां ट्रेंड टेक्नीशियन और शोधकर्ताओं की बहुत कमी है।
इंस्टीट्यूट ने खुद कहा था कि यहां खतरा बहुत ज्यादा है
वुहान का इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी खुद इस काम से जुड़े खतरों को स्वीकार करता है। संस्थान की वेबसाइट में एक कम्युनिस्ट झंडे के बगल में स्टाफ के सदस्यों की तस्वीरें लगी हुई हैं। साइट में लिखा है- ‘‘लैब में रोगजनक सूक्ष्मजीवों पर रिसर्च होती है। वायरस को इकट्ठा करने के लिए जब एक बार टेस्ट ट्यूब खोली जाती है तो यह एक पंडोरा बॉक्स (भानुमती का पिटारा) खोलने जैसा है। इसमें बहुत ज्यादा खतरा होता है। ’’
ट्रम्प ने कहा है कि उनके पास सुबूत हैं
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने गुरुवार को कहा था कि उनके पास ऐसे सुबूत हैं, जिनसे यह साफ पता चलता है कि कोरोनावायरस वुहान की लैब से ही निकला है। व्हाइट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ट्रम्प से वायरस के वुहान लिंक को लेकर सवाल किया गया तो उन्होंने कहा,‘‘मेरे पास इसके सबूत हैं, लेकिन मैं इसके बारे में आपको बता नहीं सकता। मुझे इसकी इजाजत नहीं है।’’ ट्रम्प ने इस दौरान चीन पर नए टैरिफ लगाने की भी बात कही थी।
वुहान इंस्टीट्यट को अमेरिका की भी मिलती थी फंडिंग
डेली मेल की खबर के मुताबिक वुहान इंस्टीट्यूट को अमेरिकी सरकार से तीन मिलियन पाउंड (28 करोड़ 28 लाख रुपये) की फंडिग भी मिलती थी। हालांकि, अब ट्रम्प ने इस फंडिंग को रोक दिया है। वुहान इंस्टीट्यूट में 1000 किलोमीटर दूर युन्नान प्रांत तक से पकड़कर लाए गए चमगादड़ों पर शोध होता था। चीन ने कहा हैकि इंस्टीट्यूट का वायरस से लिंक इसलिए जोड़ा जा रहा है, क्योंकि वह वुहान में स्थित है। यह दावा आधारहीन है कि वायरस इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलाजीसे निकला है।
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