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भारतवंशी इंजीनियर शशांक राय पर अमेरिका में कोरोना राहत कार्यक्रम की आड़ में धोखाधड़ी करने का मुकदमा दर्ज किया गया है। अमेरिका में कोरोना को देखते छोटे व्यापारियों को कर्ज देने की योजना शुरू की गई है। राय ने इसका फायदा उठाने की कोशिश की। असिस्टेंट अटॉर्नी जनरल ब्रायन बेंक्जवोस्की के मुताबिक, उसने गलत ढंग से 10 मिलियन डॉलर(करीब 75.40 करोड़ रु.) के कर्ज के लिए आवेदन दिया था। राय ने बैंक को सौंपे गए कर्ज के एप्लीकेशन में अपने बिजनेस के बारे में कई बातें छुपाई थी।
शशांक राय के खिलाफ टेक्सस के ब्यूमाउंट फेडरल कोर्ट में मुकदमा दायर किया गया। उस पर बैंक धोखाधड़ी और सरकारी एजेंसी को गलत जानकारी देने समेत कई आरोप लगाए गए हैं।
पीपीपी योजना के तहत मांगा था कर्ज
राय ने पे चेक प्रोटक्शन प्रोग्राम (पीपीपी) के तहत कर्ज मांगा था। इस योजना के तहत छोटे व्यापारियों को अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए लोन देने का प्रावधान है। अगर कंपनी के सभी कर्मचारियों को वेतन समय से मिलता रहा तो आठ सप्ताह के बाद कर्ज माफ हो जाती है। राय ने बैंक को बताया कि उसके पास 250 कर्मचारी काम करते हैं। इन कर्मचारियों को वह हर महीने 4 मिलियन डॉलर (करीब 301.60 लाख रु.) वेतन देता है। हालांकि, कोर्ट में पेश किए गए दस्तावेजों से इसकी पुष्टि नहीं हुई।
कर्ज की राशि दूसरे काम में निवेश की थी योजना
वकीलों ने कोर्ट को बताया कि राय ने दूसरे बैंक से भी 3 मिलियन डॉलर (करीब 22.62 करोड़ रु.) का कर्ज मांगा था। इसके लिए उसने अपनी कंपनी में 250 कर्मचारी और उन्हें 1.2 मिलियन डॉलर(करीब 9 करोड़ रु.) वेतन देने की बात कही थी। जांचकर्ताओं को उसके घर के कूड़े में हाथ से लिखा एक नोट मिला। इसमें करीब 22.62 करोड़ रु. का निवेश करने की रणनीति लिखी थी। यह रकम उसकी ओर से मांगी गई कर्ज की रकम के बराबर थी। इसके साथ ही राय की कंपनी के 250 कर्मचारियों को वेतन देने का भी रिकार्ड नहीं मिला। उसकी कंपनी ने पिछले साल की आखिरी तिमाही और इस साल की पहली तिमाही में कुछ भी कमाई नहीं की थी।
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