यरूशलम.इजराइल मेंएक बार फिर बेंजामिन नेतन्याहू बहुमत हासिल करने से चूक गए। इस बार चुनाव मेंउनको तीन सीटें कम मिली हैं।सप्ताह की शुरुआत में ही देश में संसदीय चुनाव हुए थे। परिणामों के मुताबिक, देश के दोनों मुख्य राजनीतिक संगठन कोगठबंधन सरकार बनाने के लिए पर्याप्त वोट नहीं मिले।
केंद्रीय चुनाव कमेटी द्वारा जारी किए गए अंतिम परिणाम में प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू की लिकुड पार्टी को 36 सीटें और उसकी (लिकुड पार्टी) अगुआई वाले राइट विंग संगठन को58 सीटें मिली हैं। मुख्य विपक्षी बेनी गांत्ज की ब्लू एंड व्हाइट पार्टीको 33 सीटें और उसकी (ब्लू एंड व्हाइट)अगुआई वाले वामपंथी गुट को 55 सीटें मिली हैं।
120 सीट वाली इजराइल की संसद में बहुमत के लिए 61 सीटों की जरूरत होती है। चुनाव में इन मुख्य पार्टियों के अलावा अन्य छोटी पार्टियों ने 15 सीटें हासिल की हैं, लेकिन वे काफी बंटी हुई हैं। उनके किसी भी संगठनके साथ आने की संभावना बेहद कम मानी जा रही है। इजराइल के राष्ट्रपति रियूवेन रिवलिन के सामने 10 मार्च को चुनाव परिणाम पेश होंगे। इसके बाद सात दिन में वे पार्टियों से चर्चा के बाद अगली सरकार बनाने का आमंत्रण देंगे।
भ्रष्टाचार के आरोपों में फंसे हैं नेतन्याहू
70 साल के नेतन्याहू इजराइल के सबसे लंबे समय तक रहने वाले प्रधानमंत्री हैं। उनके खिलाफ 17 मार्च से भ्रष्टाचार का मुकदमा शुरू हो रहा है। उन पर धोखाधड़ी, रिश्वत लेने और विश्वासघात के आरोप हैं। अगर वह सरकार बनाते हैं तो इजराइल के इतिहास में वे पहले ऐसे प्रधानमंत्री होंगे, जोभ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सरकार बनाने में कामयाब हुए। वहीं, 60 साल के गांत्ज ने अपना राजनितिक करियर दिसंबर 2018 में शुरूकिया था। इससे पहले वह 2011-15 के बीच इजराइल की मिलिट्री के चीफ रहे थे।
चुनावी इतिहास का सबसे बड़ा डेडलॉक
इजराइल में पिछले एक साल में तीन बार चुनाव हो चुके हैं। पिछले साल अप्रैल और सितंबर में हुए चुनाव में किसी भी पार्टी को बहुमत नहीं मिला था। इसे देश के चुनावी इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा डेडलॉक माना जा रहा है। कहा जा रहा है कि इस डेडलॉक की वजह से देश का पॉलिटिकल सिस्टम पैरालाइज्ड हो गया है।
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