नई दिल्ली.कोरोनावायरस (कोविड-19) का प्रकोप दुनियाभर में छाया हुआ है। आंकड़े बताते हैं कि अधिकतम 20° सेल्सियस तापमान वाले देशों में इसका सबसे ज्यादा असर है।पारा 30° होते ही वायरस का असर खत्म होने की उम्मीद की उम्मीद की जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि26° सेल्सियस से ज्यादा तापमान पर कोविड-19 काप्रभाव कम हो जाता है।कोविड-19 एक फ्लू वायरस है और सामान्य तौर पर ऐसे वायरस ठंडे और शुष्क माहौल में पनपते हैं। लोगों के छींकने और खांसने की बूंदेठंडे और शुष्क माहौल में ज्यादा फैलती हैं।30° सेल्सियस से ज्यादा तापमान पर ये वायरस नहीं पनपते हैं।
कोरोनावायरस से दुनिया के 110 देशों में 4,632 लोग मारे गए हैं और 1,26,200 व्यक्ति संक्रमित हैं।सबसे ज्यादा मामले चीन, इटली, ईरान, जापान, स्पेन और अमेरिका में आ चुके हैं।तापमान के लिहाज से देखें तो चीन में जनवरी, फरवरी में ठंड होती है।मार्च में चीन का अधिकतम तापमान 12 से 14°सेल्सियस रहता है। इटली में 13 से 16° सेल्सियस तो ईरान में अधिकतम तापमान 20°सेल्सियस तक नहीं पहुंच पाया है। वहीं, जापान और अमेरिका में अधिकतम तापमान 13 से 17° सेल्सियस ही है।
अफ्रीका के हालात
अफ्रीका महाद्वीप इस वायरस से लगभग अछूता है।जहां यूरोप के सभी 44 देश इस वायरस से संक्रमित हैं। वहीं, अफ्रीका के 54 देशों में केवल चार देशों में ही संक्रमण के मामले आए हैं।ऐसे में सवाल उठता है कि क्या ज्यादा तापमान वायरस को अफ्रीका में नहीं फैलने दे रहा?अफ्रीका में अभी तक अल्जीरिया, मिस्र,नाइजीरिया और दक्षिण अफ्रीकामें ही कोरोनावायरस के मामले आए हैं। दक्षिण अफ्रीका को छोड़करबाकी देश इस महाद्वीप के उत्तरी गोलार्ध में स्थित हैं। अफ्रीका उत्तरी और दक्षिणी दोनों गोलार्ध में है। इसलिए यहां पर गर्मी और ठंड एक ही समय होते हैं। मार्च में उत्तरी गोलार्ध में ठंडियों का मौसम होता है तो दक्षिणी गोलार्ध में गर्मियां पड़ती हैं। वहीं, जून में ठीक इसके उलट होता है।हालांकि, देश के अधिकांश हिस्से में साल भर गर्मी ही रहती है।
कनेक्टिविटी का भी असर
अफ्रीका के कई देशों की कनेक्टिविटी अन्य देशों से ज्यादा नहीं है।करीब 20 लाख चीनी नागरिक अफ्रीका में रहते हैं। इसके साथ अफ्रीकी नागरिक भी पढ़ाई और व्यावसाय के सिलसिले में चीन जाते रहते हैं। जब चीन में कोरोनावायरस फैला तो वहां से अफ्रीकीदेशों के बीच दिन की केवल आठ फ्लाइट ही संचालित थीं। हालांकि,दक्षिणी अफ्रीका में अन्य देशों की तुलना में ज्यादा कनेक्टिविटी है। अफ्रीका के दक्षिणी गोलार्ध में स्थित होने के बावजूद यहां संक्रमण के 17 मामले पाए गए हैं।
भारत मेंगर्मियां में कोरोना का प्रकोप खत्म होने की संभावना
अमेरिका के सीडीसी (सेंट्रल फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन) विभाग ने कहा है कि अभी इस बात का कोई पुख्ता सुबूत नहीं है कि तापमान वास्तव में इस वायरस पर कोई प्रभाव डालता है। हालांकि, तापमान बढ़ने से वातावरण इस वायरस के फैलने के अनुकूल नहीं होता है। वर्तमान में भारत में कई शहरों का अधिकतम तापमान 26° सेल्सियस से ऊपर ही है। अभी भारत में संक्रमण उस स्तर पर नहीं फैला है। अधिकतर संक्रमित लोग देश से बाहर ही इसकी चपेट में आए और वापस आने पर उनका पता चला। ऐसे में संभावना है कि गर्मियों के बढ़ने पर भारत में कोरोना का प्रकोप खत्म हो जाएगा।
सार्स पर तापमान का सकारात्मक असर पड़ा था
2003 में सार्स (सार्स सिवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम)वायरस के प्रकोप के समय पाया गया था कि हॉन्गकॉन्गमें तापमान 1° सेल्सियस बढ़ने पर संक्रमण के मामलों में 3.6% की कमी आती थी। सार्स का प्रकोप आठ महीनों तक चला था, लेकिन जैसे ही गर्मियां आईं तो वायरस का प्रसार थम गया। हालांकि, कोविड-19 सार्स से थोड़ाअलग है, लेकिन तापमान का इस परसमान असर ही है।
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