न्यूयॉर्क .अमेरिका के मैसाच्युसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी) के वैज्ञानिकों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) की मदद से पहली बार नया एंटीबायोटिक तैयार किया है। इससे दुनिया के खतरनाक और दवा को बेअसर कर देने वाले बैक्टीरिया को खत्म किया जा सकेगा। जर्नल सेल में प्रकाशित शोध के मुताबिक वैज्ञानिकों ने इस नए एंटीबायोटिक को हेलिसिन नाम दिया है। यह काफी ताकतवर है, जो ई-कोली जैसे बैक्टीरिया को भी आसानी से खत्म कर देता है।
बायोइंजीनियर और एमआईटी की रिसर्च टीम के जेम्स कॉलिन का कहना है कि हेलिसिन का इस्तेमाल फिलहाल चूहों पर हुआ है। जल्द ही इंसानों पर इसका ट्रायल किया जाएगा। बैक्टीरिया पर एंटीबायोटिक का असर घट रहा है, ऐसे में हम एआई की मदद से ऐसा प्लेटफॉर्म तैयार कर रहे हैं, जिससे नए किस्म की दवा खोजी जा सके।
शोधकर्ताओं का कहना है कि इंसान द्वारा किए जाने वाले काम के मुकाबले से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से काम कम समय में ज्यादा बेहतर किया जा सकता है। इससे कुछ ही दिनों में 10 करोड़ से अधिक ऐसे रसायनों की जांच की जा सकती है, जो बैक्टीरिया को खत्म कर सकते हैं। अब हम एल्गोरिदम बनाने जा रहे हैं। शोधकर्ता जोनाथन स्टोक्स के मुताबिक, हम एआई का इस्तेमाल करके दवाओं की कीमत को कम करने के साथ ऐसा मार्केट भी तैयार कर रहे हैं, जहां से जटिल बीमारियों का इलाज भी संभव हो सके।
शोधकर्ताओं का कहना है कि एल्गोरिदिम की मदद से नए एंटीबायोटिक कम्पाउंड को पहचानना आसान है, जो 30 दिन तक रेसिस्टेंस डेवलप नहीं होने देता। दरअसल, इस यौगिक को हमने डायाबिटीज के इलाज के लिए विकसित किया था, लेकिन हमने इसके जरिए कई तरह के संक्रमण का इलाज किया।
6 हजार यौगिकों के बीच परीक्षण के बाद हुई मालेक्यूल की पहचान
एमआईटी के वैज्ञानिकों ने एआई की मदद से पहले 800 प्राकृतिक उत्पादों का एक सेट बनाया और 2500 अणुओं पर इसे प्रशिक्षित किया। इसके बाद लगभग 6,000 यौगिकों के बीच इसका परीक्षण किया गया। अंत में एक मॉलेक्यूल की पहचान करने में मदद मिली, जो एंटीबायोटिक दवाओं से अलग एक रासायनिक संरचना थी।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
No comments:
Post a Comment