इंटरनेशनल डेस्क. पाकिस्तान के सैकड़ाें कट्टरपंथी मुस्लिमाें ने शुक्रवार शाम सिखों के पवित्र धर्मस्थल ननकाना साहिब गुरुद्वारे काे घेरकर पथराव किया। प्रदर्शनकारियों ने सिखों को भगाने और ननकाना साहिब का नाम बदलने की धमकी भी दी। सिखों के सबसे पवित्र धर्मस्थलों में से एक ननकाना साहिब में हालात इतने खराब हैं कि यहां पहली बार भजन-कीर्तन रद्द करना पड़ा है। पंजाब प्रांत में स्थित यह ननकाना साहिब लाहौर से करीब 80 किमी दूर स्थित है। 550 साल पहले सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक जी का यहां जन्म हुआ था। उन्होंने पहली बार यहीं उपदेश दिए थे। इसलिए यह सिखों के लिए सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में शामिल है।
खास बात यह है कि जिस जगह अब ननकाना साहिब है, उसे पहले मुस्लिम राजपूत मुखिया राय भोए का नाम दिया गया था। यह जगह लंबे समय तक राय भोए दी तलवंडी के नाम से जानी गई। हालांकि, राय भोए के पड़पोते और मुखिया राय बुलार भट्टी ने करीब 18,750 एकड़ जमीन गुरु नानक जी को दे दी थी। गुरुनानक जी 35 साल तक तलवंडी में रहे थे। इसके बाद वह सुल्तानपुर लोधी चले गए जो अब भारतीय पंजाब के कपूरथला जिले में है। गुरु नानक जी के जन्म स्थान से जुड़ा होने के बाद में इस जगह का नाम ननकाना साहिब प्रचलित हो गया।
ननकाना साहिब में गुरुद्वारा जन्मस्थान सहित 9 गुरुद्वारे हैं। माना जाता है कि यहां पहला गुरुद्वारा गुरुनानक जी के पोते बाबा धरम चंद ने 16वीं सदी में बनाया। मौजूदा गुरुद्वारा महाराजा रणजीत सिंह ने 19वीं सदी में तैयार करवाया। इसी जगह पर गुरु नानक जी की जयंती पर बड़ा मेला भी लगने लगा। ननकाना साहिब में मेले का सबसे पुराना रिकॉर्ड साल 1868 का है।
98 साल पहले अंग्रेजों ने किया था नरसंहार
करीब 98 साल पहले अंग्रेजों ने यहां भयानक नरसंहार को अंजाम दिया था, जिसमें 70 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी थी। बात 1921 की है, जब देश में अंग्रेज शासन के खिलाफ असहयोग आंदोलन शुरू ही हुआ था। ननकाना साहिब गुरुद्वारे में स्थानीय लोगों ने मिलकर शांतिपूर्ण ढंग से एक सभा का आयोजन किया था। सभा चल ही रही थी कि सैनिक यहां पहुंच गए और गोलियां चला दीं। सभा में मौजूद 70 लोगों की जान गई। इस गोलीबारी की बहुत निंदा हुई थी। जलियांवाला बाग हत्याकांड के 2 साल के अंदर ही हुए इस हत्याकांड के बाद अंग्रेज सरकार के खिलाफ प्रदर्शन और भी हिंसक हो गए।
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