तेहरान. डोनाल्ड ट्रम्प के आदेश पर गुरुवार देर रात अमेरिका ने ईरानी विशेष सेना के प्रमुख जनरल कासिम सुलेमानी को मार गिराया। इराक और सीरिया में आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट के खिलाफ लड़ने के लिए जनरल कासिम काफी चर्चित थे। पिछले साल जब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने ईरान को परमाणु संधि तोड़ने के लिए तबाही की धमकी दी, तो सबसे पहले जनरल कासिम ने ही उन्हें जवाब दिया। उन्होंने कहा था कि ट्रम्प ने युद्ध शुरू किया, तो हम खत्म करेंगे।
जनरल कासिम की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2018 में ईरान की पोलिंग एजेंसी ने अमेरिका की मैरीलैंड यूनिवर्सिटी के साथ एक सर्वे किया था। इसमें उनकी लोकप्रियता 83% के करीब थी, जो कि राष्ट्रपति हसन रूहानी और विदेश मंत्री जावेद जरीफ से भी ज्यादा थी। हालांकि, कुछ समय पहले जब उनसे पूछा गया कि क्या वे राष्ट्रपति बनेंगे, तो उन्होंने इससे इनकार किया था।
अपने बेस कैंप को बचाने के लिए अमेरिकी अफसरों ने भी की थी कासिम से संपर्क की कोशिश
जनरल कासिम सुलेमानी 1998 में ईरानी रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स की स्पेशलिस्ट एजेंट्स की टुकड़ी ‘कुद्स सेना’ के प्रमुख बने थे। अमेरिकी खुफिया विभाग के लीक दस्तावेजों के मुताबिक, कासिम पर आरोप लगा कि वे सीरिया और इराक में स्थानीय लड़ाकों को अमेरिकी सैनिकों के खिलाफ युद्ध की तकनीक सिखा रहे हैं। विकीलीक्स के मुताबिक, 2009 में अमेरिकी अफसरों ने बगदाद में अपने ठिकानों पर हमले रोकने के लिए जनरल कासिम से संपर्क करने की बात कही थी। तब कासिम ने अमेरिकी ठिकानों पर हमले की बात नकारी थी।
सुप्रीम लीडर के करीबी थे जनरल कासिम
कासिम सीरिया और इराक में आतंकी संगठन आईएसआईएस के खिलाफ मोर्चा लेने वाले अहम लोगों में शामिल थे। बीते सालों में उनकी कई तस्वीरें ईरान के सुप्रीम लीडर अयातोल्ला खमेनेई के साथ देखी गईं। दोनों की करीबी इतनी ज्यादा थी कि कासिम की बेटी की शादी को खुद सुप्रीम लीडर ने मंजूरी दी थी।
जनरल कासिम की मौत का दुनियाभर पर असर
जनरल कासिम की मौत के बाद इजराइली सेना हाई अलर्ट पर है। इजराइल ने आशंका जताई है कि ईरान की हिज्बुल्ला सेना हमास के जरिए गाजा से उसके खिलाफ युद्ध छेड़ सकता है। इजराइल ने दूसरे देशों में मौजूद अपने राजनयिकों को सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त रखने की अपील की है। प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने भी ग्रीस दौरे से तुरंत लौटने का फैसला किया है। दूसरी तरफ सीरियाई सरकार ने कासिम के मारे जाने को अमेरिका का धोखेबाजी भरा कदम बताया। लेबनान के हिज्बुल्ला समर्थित अखबार ने इसे युद्ध की घोषणा करार दिया। रूस ने भी अमेरिका के इस कदम को तनाव बढ़ाने वाला बताया।
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