इस्लामाबाद.पाकिस्तान में लोगों पर महंगाई की मार और तेज हो गई है। टमाटर की किल्लेत के बाद अब आटे और चीनी का संकट गहरा गया है। पिछले 5 महीने में ही आटे के दाम 43 रुपए किलो से बढ़कर 70 रुपए किलो तक पहुंच गए हैं। होलसेल बाजारों और दुकानों से आटा गायब होने की वजह से रोटी, नान और पाव की कीमतों भी भारी इजाफा देखा गया है। हालात इतने खराब हैं कि लोगों को गेहूं के दाने-दाने के लिए मोहताज होना पड़ रहा है। आटा मिलों के बाहर भी लोगों की कतारें देखी जा रही हैं।
उधर, बेकरी, नान और रोटी बनाने वालों ने सरकार से 150 ग्राम रोटी की कीमत 10 से बढ़ाकर 15 रुपए करने की इजाजत मांगी है, लेकिन सरकार ने इन्हें तय कीमत पर ही बेचने का फरमान जारी कर दिया है। खैबर पख्तूनख्वा के नान बनाने वालों ने तो हड़ताल पर जाने की चेतावनी तक दे दी है। उनका कहना है कि महंगा आटा खरीदने के बाद वे पहले वाली कीमतों पर नान और रोटी नहीं बेच सकते। कई दुकानदारों ने तो अपनी दुकानें तक बंद कर दी हैं।
महंगा गेहूं खरीदने के अलावा उसकी सफाई और पिसाई से भी लागत बढ़ी
पेशावर में 2013 में 170 ग्राम आटे के नान की कीमत 10 रुपए तय की गई थी, जो अभी तक नहीं बढ़ी है। चक्की एसोसिएशन ने कहा है कि सरकार ने समर्थित मूल्य पर गेहूं की खरीद नहीं की है। ऐसे में पुरानी दर पर आटा बेचना संभव नहीं है। महंगा गेहूं खरीदने के अलावा उसकी सफाई और पिसाई से भी लागत बढ़ी है। बढ़ते खाद्य संकट को देखते हुए सरकार ने तीन लाख टन गेहूं के आयात को मंजूरी दी है, लेकिन पहली खेप 15 फरवरी तक पहुंच पाएगी। इमरान विपक्षी दलों और अर्थशास्त्रियों के निशाने पर आ गए हैं। सरकार के गेहूं आयात करने के फैसले की जांच की मांग उठाई है। उनका कहना है कि पाकिस्ता न कृषि प्रधान देश है और पिछले साल के अंत तक गेहूं निर्यात कर रहा था। फिर अचानक गेहूं की किल्लत कैसे हो गई।
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