वॉशिंगटन. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प (रिपब्लिकन) और पूर्व राष्ट्रपति बिल क्लिंटन (डेमोक्रेट) में एक अनोखी समानता है। दोनों के लिए जब हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव (संसद के निचले सदन) में महाभियोग प्रस्ताव लाया गया तो उन्होंने मध्य पूर्व के एक देश में हमला करवा दिया। क्लिंटन ने तब इराक पर मिसाइल दागने के आदेश दिए थे। वहीं, ट्रम्प ने भी ईरान के सैन्य कमांडर को मारकर मध्य पूर्व में तनाव बढ़ा दिया है।
अमेरिका के 42वें राष्ट्रपति बिल क्लिंटन पर 1998 में महाभियोग प्रस्ताव लाया गया था। तब कहा गया था कि एयरस्ट्राइक का आदेश देकर वे रिपब्लिकन द्वारा अपने खिलाफ लाए गए महाभियोग प्रस्ताव से बचाव करना चाहते थे। हाल ही में ट्रम्प के खिलाफ भी महाभियोग प्रस्ताव लाया गया है। उन्होंने भी ईरान के विशेष सुरक्षा बल कुद्स के कमांडर कासिम सुलेमानी की हत्या करवाकर मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ा दिया है।
इराक पर बिना किसी चेतावनी के 24 घंटे तक 200 से ज्यादा मिसाइलें गिराई गईं
न्यूयॉर्क टाइम्स में 17 दिसंबर 1998 को इराक पर हुए एयर स्ट्राइक को लेकर एक खबर प्रकाशित हुई थी। इसके मुताबिक, उस दिन टेलीविजन पर बगदाद में हुए विस्फोटों की भयानक तस्वीर नजर आई। पूरा शहर आग की लपटों में घिरा था। अमेरिकी रक्षा विभाग पेंटागन ने कहा था कि इराक पर बिना रणनीति या किसी चेतावनी के 24 घंटे तक 200 से ज्यादा मिसाइलें गिराई गईं। रक्षा विभाग के मुताबिक, संयुक्त राष्ट्र के निरीक्षक ने रिपोर्ट दी थी कि तत्कालीन राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन फिर से निरीक्षकों के काम को विफल करने में लगे थे।
एसोसिएटेड प्रेस के मुताबिक, 17 दिसंबर को सद्दाम ने बगदाद में इराक के लोगों से कहा था कि हमें भगवान के दुश्मनों, राष्ट्र के दुश्मनों और मानवता के दुश्मनों से लड़ना है। भगवान केवल हमारे पक्ष में हैं। अभी और फैसले के दिन उनकी हार होगी। वहीं, इराक में किए गए हमले से उठे विवाद के बाद रिपब्लिकन नेताओं ने 17 दिसंबर को अमेरिकी इतिहास में दूसरे महाभियोग वोट के लिए बहस शुरू करने की अपनी योजनाओं को स्थगित कर दिया।
क्लिंटन के समय सीनेट ने महाभियोग प्रस्ताव खारिज किया
क्लिंटन पर एक व्यापक ज्यूरी के सामने झूठी गवाही देने और न्याय में बाधा डालने का आरोप था। उनपर उस समय व्हाइट हाउस में इंटर्न मोनिका लेंवेस्की से संबंध की बात भी सामने आई थी। क्लिंटन डमोक्रेटिक पार्टी से थे। हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव (प्रतिनिधि सभा) ने महाभियोग को मंजूरी दी थी। उस समय भी सीनेट पर रिपब्लिकन का नियंत्रण था। इसके बावजूद सीनेट ने महाभियोग प्रस्ताव खारिज कर दिया था।
आखिर ट्रम्प पर महाभियोग चलाया क्यों जा रहा है?
- अमेरिकी संसद के निचले सदन प्रतिनिधि सभा यानी हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव ने ट्रम्प के खिलाफ दो आरोप लगाए हैं।
- पहला आरोप सत्ता के दुरुपयोग का और दूसरा संसद के काम में अड़चन डालने का।
- पहले आरोप का प्रस्ताव 197 के मुकाबले 230 मतों से पास हुआ जबकि दूसरा प्रस्ताव 198 के मुकाबले 229 वोट से पास हुआ।
ट्रम्प पर आरोप है कि उन्होंने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडीमिर जेलेंस्की पर 2020 में डेमोक्रेटिक पार्टी के संभावित उम्मीदवार जो बाइडेन और उनके बेटे के खिलाफ भ्रष्टाचार की जांच के लिए दबाव बनाया। बाइडेन के बेटे यूक्रेन की एक ऊर्जा कंपनी में बड़े अधिकारी हैं। राष्ट्रपति पर आरोप है कि उन्होंने अपने राजनीतिक लाभ के लिए यूक्रेन को मिलने वाली आर्थिक मदद को रोक दिया था।
निचले सदन में महाभियोग प्रस्ताव पास
ट्रम्प के खिलाफ संसद के निचले सदन में महाभियोग प्रस्ताव पास हो गया है। अब रिपब्लिकन पार्टी की बहुमत वाली सीनेट में जांच शुरू होगी। यह जांच नेताओं की समितियां करेंगी। अगर समिति यह तय करती है कि ट्रम्प के खिलाफ आरोप तय किए जाएं तो इस पर सदन के सदस्य मतदान करेंगे। अगर ट्रम्प के खिलाफ दो तिहाई बहुमत के साथ अभियोग सिद्ध हो जाते हैं तो वह अमेरिकी इतिहास में महाभियोग की प्रक्रिया से पद से हटाए जाने वाले पहले राष्ट्रपति होंगे।
ट्रम्पसीनेट में महाभियोग प्रस्ताव लाया जाएगा
राष्ट्रपति ट्रम्प के खिलाफ अब सीनेट में महाभियोग प्रस्ताव लाया जाएगा। हालांकि, 100 सीटों वाले सीनेट में रिपब्लिकन पार्टी बहुमत में है। उसके 53 सांसद हैं और डेमोक्रेट पार्टी के पास 47 सांसद। उच्च सदन में ट्रम्प को हटाने के लिए डेमोक्रेट्स को दो-तिहाई बहुमत की जरूरत होगी। यानी ट्रम्प के खिलाफ करीब 67 सांसदों को वोट करना होगा, जो कि बेहद मुश्किल है।
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