इंटरनेशनल डेस्क. जर्मनी में रहने वाले एक भारतीय दंपति को वहां की एक अदालत ने जासूसी करने का दोषी पाते हुए सजा सुना दी। पति को जेल की सजा (निलंबित) सुनाई गई है, वहीं पत्नी पर जुर्माना लगाया गया है। आरोपों के मुताबिक ये दंपति भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के लिए वहां रहने वाले सिखों और कश्मीरी समूहों की जासूसी कर रहा था। इसके बदले में इन्हें भुगतान भी मिला था। इस मामले में मार्च में फ्रैंकफर्ट के हायर रीजनल कोर्ट में मुकदमा शुरू हुआ था।
इस मामले में 50 साल के मनमोहन एस. और 51 साल की उनकी पत्नी कंवलजीत के. को जासूसी करने का दोषी पाया गया। जिसके बाद कोर्ट ने मनमोहन को डेढ़ साल की जेल की सजा (निलंबित) सुनाई, वहीं उसकी पत्नी कंवलजीत पर उसकी 180 दिन की आय के बराबर जुर्माना लगाया। फिलहाल ये दोनों नॉर्थ राइन वेस्टफालिया राज्य के मोएंशनग्लाडबाख में रहते हैं। इस दंपति के दो बच्चे भी हैं। निजता कानूनों की वजह से दोषियों के सरनेम का खुलासा नहीं किया गया।
वाणिज्य दूतावास कर्मचारी तक पहुंचाते थे जानकारी
सुनवाई के दौरान बताया गया कि मनमोहन पिछले कई सालों से जर्मनी में रहने वाले सिख समुदाय और कश्मीर अभियान से जुड़े लोगों की जानकारियां भारत की खुफिया एजेंसी तक पहुंचा रहा था। वो फ्रैंकफर्ट स्थित भारतीय वाणिज्य दूतावास में काम करने वाले एक कर्मचारी को ये जानकारी देता था।
काम के बदले दंपति को मिले करीब 5.68 लाख रुपए
आरोपों के मुताबिक मनमोहन ने अपनी जासूसी गतिविधियों की शुरुआत जनवरी 2015 में की थी, इसके बाद जुलाई 2017 से उनकी पत्नी भी इस काम में उनका साथ देने लगी। रिपोर्ट के मुताबिक इस काम के बदले दंपति को रॉ से 7200 यूरो (करीब 5.68 लाख रु) का भुगतान भी किया गया। ट्रायल के दौरान दंपति ने रॉ के हैंडलिग अधिकारी तक सूचना पहुंचाने के लिए उसके साथ नियमित बैठकें करने की बात को भी स्वीकार किया।जर्मनी में सिख समुदाय के लोगों की आबादी करीब 10 से 20 हजार के बीच है। यूरोप में ब्रिटेन और इटली के बाद सिख समुदाय के सबसे ज्यादा लोग जर्मनी में रहते हैं।
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