पेरिस.आग से तबाह हुए विश्व प्रसिद्ध नोट्रे-डेम चर्च को फ्रांस दोबारा हूबहू बना रहा है। संसद ने इसके लिए कानून बनाया है। इसके तहत 5 साल में नोट्रे-डेम का पुनर्निर्माण पूरा होगा। इस पर 16330 करोड़ रु. खर्च होंगे। राष्ट्रपति इमैनुअल मैक्रों ने कहा है कि पेरिस में 2024 में समर ओलिंपिक होंगे। वे चाहते हैं कि तब दुनियाभर से आए लोग दोबारा बने नोट्रे-डेम चर्च को देख सकें। आर्किटेक्ट फिलिप विलेन्यूवे इस प्रोजेक्ट को लीड कर रहे हैं।
वैज्ञानिक मलबे के हर टुकड़े की जांच कर रहे हैं, ताकि चर्च को मूल स्वरूप में बनाने में मदद मिले। पर इसमें सबसे बड़ी चुनौती वैसी लकड़ियां जुटाना है, जैसी चर्च में लगाई गई थीं। चर्च 850 साल पहले बना था। तब इसमें बलूत के 1300 पेड़ों की लकड़ियों का इस्तेमाल हुआ था। फ्रांस में अब ऐसे मजबूत पेड़ नहीं हैं। ऐसे में अफ्रीकी देश घाना की वोल्टा झील में 54 साल से डूबे पेड़ों की लकड़ियों का इस्तेमाल किया जाएगा, ये पत्थर जैसे मजबूत हैं।
दुनिया ने 7 महीने में 7825 करोड़ की मदद की, कई देशों के विशेषज्ञ जुड़े
- अक्टूबर तक नोट्रे-डेम के पुनर्निर्माण के लिए दुनियाभर से 7825 करोड़ रु. की मदद मिली।
- एयर फ्रांस, केरिंग ग्रुप और लॉरियल आदि कंपनियों ने मदद की पेशकश की है। रूस, ब्रिटेन, चीन के विशेषज्ञ भी मदद कर रहे हैं।
फिक्र: चर्च की छत पर ग्रीनहाउस बनाया जाएगा
देश के लोगों ने चर्च की इमारत के एक हिस्से की छत पर स्वीमिंग पुल और ग्रीनहाउस बनाने की सलाह दी है। इस ग्रीन हाउस में बच्चों को पढ़ाने का प्रस्ताव है।
यादें: 55% लोग चाहते हैं कि हूबहू दिखे नोट्रे डेम
एक सर्वे के मुताबिक फ्रांस के 55% लोग चाहते हैं कि पुनर्निर्माण में नोट्रे-डेम चर्च का मूल स्वरूप कायम रहे। ताकि परंपरा और यादें जिंदा रहें।
वोल्टा झील: दुनिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित झील में हजारों पेड़ हैं
नोट्रे-डेम के लिए घाना सरकार ने केटे क्राची टिंबर कंपनी को इन पेड़ों को काटने की छूट दी है। वोल्टा झील दुनिया की सबसे बड़ी मानव निर्मित झील है। 1965 में वोल्टा नदी पर अकोसोंबो बांध बनाया गया। इससे बाढ़ आ गई थी। फिर 8500 वर्ग किमी की झील बनानी पड़ी। इसमें आबनूस और सागौन के हजारों पेड़ डूब गए।
नोट्रे-डेम: यूनेस्को के विश्व धरोहर में शामिल, 15 अप्रैल को आग से जला था
- नोट्रे-डेम यूनेस्को की विश्व धरोहर की सूची में शामिल है। चर्च में इसी साल 15 अप्रैल को आग लग गई थी। करीब नौ घंटे में आग पर काबू पाया जा सका था। पर इस बीच चर्च का गुंबद और छत जल चुके थे।
- राष्ट्रपति मैक्रों चर्च के लिए पेड़ काटना नहीं चाहते। क्योंकि फ्रांस कार्बन उत्सर्जन कम करने का वादा कर चुका है। लेकिन उन पर चर्च को मूल स्वरूप फिर लाने का दबाव है। इसलिए उन्होंने घाना सरकार से बात की।
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