इस्लामाबाद. फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) ने इमरान सरकार को 150 सवाल भेजकर अब तक आतंकवाद के खिलाफ हुई कार्रवाई का ब्यौरा मांगा है। यह जानकारी पाकिस्तान सरकार की उस अनुपालन रिपोर्ट के बाद मांगी गई है, जिसमें एफएटीएफ द्वारा पहले पूछे गए 22 सवालों के जवाब दिए गए हैं। वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने भी इसकी पुष्टि की है। सरकार को 8 जनवरी तक जवाब भेजने हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एफएटीएफ ने पाकिस्तानी अधिकारियों से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि आतंकी संगठनों से जुड़े व्यक्ति दोषी ठहराया जाएं।वहीं, मदरसों को नियमित करने के लिए क्या कानूनी कदम उठाए, उसकी जानकारी भी मांगी है।
पाकिस्तान को टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर जानकारी देनी होगी
पाकिस्तान को एफएटीएफ को टेरर फंडिंग, मनी लॉन्ड्रिंग और सीमा पार नोटों की तस्करी रोकने के लिए उठाए गए कदमों की जानकारी देनी होगी।इस संबंध में पाकिस्तान सरकार ने 7 दिसंबर को भी एक अनुपालन रिपोर्ट भेजी थी। इसमें संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित आतंकी समूहों और उन्हें कोर्ट द्वारा दी गई सजा की जानकारी दी गई थी।
पाकिस्तान को उम्मीद 27 सूत्रीय योजना की डेडलाइन 4 महीने बढ़ जाएगी
इससे पहले 2018 में एफएटीएफ ने पाकिस्तान को 27 सूत्रीय योजना को क्रियान्वित करने के लिए 15 महीने की डेडलाइन दी गई थी, जो सितंबर 2019 में समाप्त हो गई। इसके बादअक्टूबर में संस्था की बैठक हुई, जिसमेंपाकिस्तान को एक और मौका देते हुए फरवरी 2020 तक 'ग्रे-लिस्ट' में रखने का फैसला किया था। हालांकि, पाकिस्तान 27 सूत्रीययोजना को पूरा करने की मियाद को कम मान रहा है। उसे उम्मीद हैटेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग पर नजर रखने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्थाकी आगामी समीक्षा बैठक में यह डेडलाइन फरवरी 2020 से बढ़ाकर जून कर दी जाएगी।
अगर संस्था को लगता है कि पाकिस्तान ने एक्शन प्लान को सही तरीके से लागू नहीं किया तो उसे ब्लैक लिस्ट में डाल दिया जाएगा।
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