तीसरी और आखिरी प्रेसिडेंशियल डिबेट के दौरान डोनाल्ड ट्रम्प के पास आखिरी मौका था, जब वे फिर राष्ट्रपति बनने के लिए अपनी रणनीति में बदलाव करते। उन्होंने इसकी कोशिश भी की। वे यह दिखाने की कोशिश करते रहे कि जैसे ट्रम्प हैं, वैसे न दिखें। यानी वैसा बर्ताव न करें, जिसके लिए वे कथित तौर पर बदनाम हैं या जाने जाते हैं। इसमें भी कोई दो राय नहीं कि वे कुछ हद तक सफल रहे और सही मायनों में सियासतदान नजर आए। उन्होंने पहली डिबेट की तरह बाइडेन के साथ टोकाटाकी नहीं की। अंत में मॉडरेटर का भी मुस्कराहट के साथ शुक्रिया अदा किया।
सलाहकारों की बात मानी
ट्रम्प के सलाहकार उन्हें इस बात के लिए मनाते आए हैं कि वे अनुशासित व्यवहार करें। बाइडेन के सामने झुंझलाहट न दिखाएं। आखिरी दौर में ऐसी कोशिश होनी भी चाहिए। बाइडेन की टीम यह दिखाने की कोशिश कर रही है कि ट्रम्प महामारी के मुद्दे पर फंस गए हैं। अब तक वे इस मामले में दो टूक जवाब देते आए हैं। लेकिन, इस डिबेट में उन्होंने माना कि कोविड-19 पर काबू पाने या इसे खत्म करने के मामले में काफी काम बाकी है। शायद ये उन पोल्स की वजह से हुआ जिनमें उनके लगातार पिछड़ते बताया जा रहा है। बाइडेन को उन्होंने बिग मैन कहा।
रणनीति में बदलाव
अश्वेतों की बात निकली तो बाइडेन ने तीखे हमले किए। ट्रम्प ने शांत रहने की कोशिश की। इसके साथ ही अब्राहम लिंकन का जिक्र किया। ये भी बताया कि उन्होंने अश्वेतों के लिए कितना काम किया। खुद के संक्रमित होने की बात मानते हुए बाइडेन पर तंज कसा कि वे बेसमेंट में छिपने वालों में से नहीं हैं। मान लीजिए, अगले महीने वे चुनाव हार जाते हैं तो एक बात माननी होगी कि 2020 का कैम्पेन अलग था, लेकिन डोनाल्ड ट्रम्प वही थे। बाइडेन के बेटे पर उन्होंने गंभीर आरोप लगाए। जबकि, उनके कुछ सहयोगी ऐसा नहीं चाहते थे। ट्रम्प जानते हैं कि इस चुनाव में काफी लोग मतदान कर चुके हैं। लेकिन, अब भी काफी बहुत बड़ी तादाद में लोग मतदान करने वाले हैं। ट्रम्प की नजर इन्हीं मतदाताओं पर है।
बाइडेन के जवाब
हेल्थ बिल पर जब ओबामाकेयर की बात निकली तो बाइडेन ने बाइडेनकेयर का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि वे लगभग 50 साल से वॉशिंगटन में काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि ट्रम्प महामारी पर काबू पाने में नाकाम रहे और इसलिए वे इस पद के लायक ही नहीं हैं। बाइडेन ने कहा- ट्रम्प कहते हैं कि वायरस के साथ रहना सीखिए। मुझे लगता है कि जैसे वे कह रहे हैं कि इसके साथ मर जाना सीख लीजिए। इमीग्रेशन के मुद्दे पर भी टकराव हुआ। बाइडेन कहते हैं कि ट्रम्प ने 545 बच्चों को पैरेंट्स से अलग कर दिया। जबकि राष्ट्रपति का दावा है कि बच्चों के बेहतर तरीके से देखभाल हो रही है।
पिछले चुनाव में भी यही हुआ था
ट्रम्प कई बार अपने बुने जाल में ही फंस जाते हैं। 2016 के चुनाव में भी वे देखा गया कि वे कुछ भी बोल देते हैं। आखिरी डिबेट में उन्होंने गलतियां कीं। लेकिन, सलाहकारों की बात मानी और आखिरी 10 दिन में अनुशासन दिखाया। ट्रम्प बिजनेसमैन रहे हैं और कई मौकों पर उनका बर्ताव और भाषा वैसी ही होती है। उन पर महाभियोग की नौबत भी इसीलिए आई। उन्होंने बाइडेन के बेटे पर गंभीर आरोप लगाए। बाइडेन के परिवार और खासतौर पर बेटे पर आरोप हैं कि उन्होंने वाइस प्रेसिडेंट के नाम का बेजा इस्तेमाल किया था। कुछ मीडिया हाउस भी इन आरोपों को हवा दे रहे हैं। बाइडेन भी 1972 में पहली पत्नी और बेटी की कार एक्सीडेंट में मौत और फिर 2015 में बेटे की ब्रेन कैंसर से मौत का जिक्र करते रहे हैं।
गुस्से को काबू में रखा
डिबेट के कई दिन पहले से इस तरह की खबरें मिल रहीं थीं कि ट्रम्प के सलाहकारों ने उन्हें गुस्से पर काबू रखने और बाइडेन पर हमलावर न होने की सलाह दी है। क्योंकि, अगर वे ऐसा करते हैं तो वोटर्स यह नहीं समझ पाएंगे कि किस मुद्दे पर उनकी राय क्या है। पहली डिबेट के बाद कुछ करीबी लोगों ने उन्हें यह बताया कि गुस्से की वजह से उन्हें नुकसान हो रहा है। ट्रम्प ने कुछ दिनों पहले कहा था- कुछ नेता सिर्फ बातें करते हैं। मैं उस तरह का नेता नहीं हूं। कम से कम एक रात और एक डिबेट के लिए ही सही, ट्रम्प में बदलाव तो दिखा।
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