संयुक्त राष्ट्र (यूएन) में उत्तर प्रदेश में महिलाओं के साथ हिंसा होने का मुद्दा उठाने पर भारत ने सोमवार को नाराजगी जाहिर की। भारत में यूएन की रेसिडेंट कॉर्डिनेटर रेनाटा लोक डेसैलियान ने यह मुद्दा उठाया था। इस पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव (एमईए) ने कहा कि भारत में यूएन की रेसिडेंट कॉर्डिनेटर ने भारत में महिलाओं के साथ हुई हिंसा की कुछ घटनाओं पर गैर जरूरी टिप्पणियां की। उन्हें यह पता होनी चाहिए कि सरकार ने इन मामलों को बेहद गंभीरता से लिया है। अभी इनकी जांच चल रही है। ऐसे में किसी बाहरी एजेंसी को ऐसे मामलों पर टिप्पणी करने से बचना चाहिए।
श्रीवास्तव ने कहा कि भारत का संविधान सभी नागरिकों को बराबरी का हक देता है। एक लोकतंत्र के तौर पर हमने समय-समय पर समाज के सभी वर्क के लोगों को न्याय देकर यह साबित किया है। हमारे मामलों में इस तरह की टिप्पणियां ठीक नहीं हैं।
क्या कहा था यूएन ऑफिशियल ने
इससे पहले यूएन की अफसर ने कहा था कि उत्तरप्रदेश के हाथरस और बलरामपुर में कथित दुष्कर्म और हत्या के मामले सामने आए हैं। यह इस बात की ओर ध्यान दिलाता है कि भारत में अब भी दलित वर्ग की लड़कियों के साथ लिंग के आधार पर भेदभाव का खतरा है। हालांकि, इस मामले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभी तक कोई टिप्पणी नहीं की है। यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ट्वीट कर जानकारी दी कि इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री से उनकी चर्चा हुई। प्रधानमंत्री ने दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। हम इसका समर्थन करते हैं।
15 सितंबर से शुरू हुआ है यूनजीए सेशन
यूएनजीए का 75वां सेशन इस साल महामारी को देखते हुए ऑनलाइन हो रहा है। इसकी शुरुआत 15 सितंबर से हुई है। दुनियाभर के नेता इसमें अपना भाषण रिकॉर्ड करके भेज रहे हैं। भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 26 सितंबर को भाषण दिया था। उन्होंने 22 मिनट की स्पीच में संयुक्त राष्ट्र संघ की अहमियत पर सवाल उठाए थे। कोविड-19 का जिक्र किया था। कहा था कि भारत दुनिया को इस महामारी से उबारेगा और वैक्सीन का सबसे बड़ा उत्पादक देश बनेगा। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत की स्थाई सदस्यता का भी जिक्र किया था। कहा था कि भारत कब तक इंतजार करता रहेगा।
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