नेपाल की फौज अपने वेलफेयर फंड से बड़े प्रोजेक्ट्स में इनवेस्टमेंट करके मुनाफा कमाना चाहती है। इसके लिए उसने सरकार से बड़े कमर्शियल प्रोजेक्ट्स में इंवेस्टमेंट की मंजूरी मांगी है। नेपाली फौज ने मौजूदा आर्मी एक्ट में बदलाव का मसौदा भी सरकार को सौंपा है। दरअसल, नेपाली फौज चाहती है कि उसे बिजनेस प्रमोटर का रोल भी मिले।
नेपाली सेना कई साल से बिजनेस में दखल बढ़ाने की कोशिशों में जुटी है। हालांकि, मौजूदा आर्मी एक्ट की वजह से ये संभव नहीं है। अगर सरकार से मसौदे को मंजूरी मिलती है तो आर्मी हाइड्रोपावर जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स में निवेश कर सकेगी।
फिलहाल, बड़े प्रोजेक्ट्स में निवेश नहीं कर सकती सेना
नेपाल आर्मी एक्ट (2006) के तहत सेना कंपनियों, इंटरप्राइजेस और इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स में इनवेस्टमेंट नहीं कर सकती। हालांकि, लोअर और मीडियम लेवल बिजनेस में उसकी कुछ हिस्सेदारी है। फिलहाल गैस स्टेशन, स्कूल, मेडिकल कॉलेज, इमल्शन प्लांट और बोतलबंद पानी जैसे कुछ प्रोजेक्ट्स उसके पास हैं। उसने काठमांडू-तराई एक्सप्रेस-वे और कुछ दूसरे कंस्ट्रक्शन प्रोजेक्ट्स भी पूरे किए हैं। इसके लिए उसकी आलोचना भी हो रही है।
मुनाफा कमाने के आरोपों से इनकार
नेपाल के रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक, फौज को बिजनेस में भागीदारी नहीं बढ़ानी चाहिए। उसका काम देश की सुरक्षा है। अगर फौज बिजनेस में उतरती है तो इसका असर उसके मुख्य काम पर पड़ना तय है। नेपाल के कुछ सिविल एक्टिविस्ट का कहना है कि मुश्किल वक्त में सेना को कुछ सड़क बनाने की जिम्मेदारी दी गई थी। लेकिन, तब यह वक्त की जरूरत थी। अब हालात बदल गए हैं, फिर भी सेना बड़े प्रोजेक्ट्स हथियाना चाहती है। दूसरी तरफ सेना का कहना है कि उसका मकसद मुनाफा हासिल करना नहीं बल्कि लोगों की भलाई करना है।
नेपाली आर्मी का वेलफेयर फंड
नेपाल आर्मी का वेलफेयर फंड 1975 में बनाया गया था। मौजूदा वक्त में फंड में 3436 हजार करोड़ रु. हैं। ये अलग अलग बैंकों में डिपॉजिट हैं। कुल 430 करोड़ रुपए उसने निवेश कर रखे हैं। उसे संयुक्त राष्ट्र के पीस कीपिंग मिशन से भी काफी फंड मिलता है।
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