Thursday, June 25, 2020

कोरोना वैक्सीन जल्द बनाने का दबाव डालने से बड़ा खतरा, 65 साल पहले जल्दबाजी में बने पोलियो टीके से 70 हजार बच्चे दिव्यांग हो गए थे June 24, 2020 at 09:49PM

जेन ई ब्रॉडी. कोरोनावायरस की वैक्सीन को लेकर दुनियाभर मेंकई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। लोगों को उम्मीद है कि कोविड-19 की वैक्सीन मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग की जरूरत को खत्म कर देगी और वे पहले की तरह जिंदगी जी पाएंगे। दुनियाभर के वैज्ञानिक जल्द से जल्द वैक्सीन बनाने में लगे हुए हैं। हालांकि, मेडिकल एक्सपर्ट्सइस जल्दबाजी को लेकर चिंतित भी हैं।

जल्दबाजी ठीक नहीं

एक्सपर्ट्स चेतावनी देते हैं कि समय से पहले वैक्सीन रिलीज करना फायदे से ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है। 1955 में ओरिजिनल साल्क पोलियो की वैक्सीन को बनाने में जल्दबाजी दिखाई गई थी,लेकिनइससे कोई अच्छे परिणाम नहीं मिले। बड़े स्तर पर वैक्सीन के निर्माण में हुई गड़बड़ी के कारण 70 हजार बच्चे पोलियो की चपेट में आ गए थे।10 बच्चोंकी मौत हो गई थी।

राजनीतिक दबाव ठीक नहीं

  • एनवाययू लैंगोन मेडिकल सेंटर एंड बेलव्यू हॉस्पिटल में पीडियाट्रिक रेसिडेंट डॉक्टर ब्रिट ट्रोजन के मुताबिक, कोरोनावायरस वैक्सीन के साथ भी ऐसी ही घटना लोगों के वैक्सीन के विकास को लेकर संदेह बढ़ा सकता है।इससे डॉक्टर्स के प्रति भरोसा भी कम हो सकता है।
  • ट्रोजन कहते हैं किहर कोई वैक्सीन को चांदी की गोली की तरह चाहता है, जो हमें इस संकट से बाहर निकालेगी, लेकिन साइंस के तैयार होने से पहले वैक्सीन रिलीज करने के राजनीतिक और लोगों के दवाब के गंभीर परिणाम हो सकते हैं।

वैक्सीन के असर की भी चिंता

  • एक्सपर्ट्स वैक्सीन के असरदार होने की उम्मीदों को लेकर भी चिंतित हैं। कोई भी वैक्सीन मरीज के 100%बीमारी को ठीकनहीं करती,जैसा फ्लू की वैक्सीन के साथ है कि जिन लोगों को वैक्सीन दी गई, उन्हें कुछ बीमारी हो सकती है।
  • वैक्सीन डेवलपमेंट मेंवर्ल्ड लीडर डॉक्टर पॉल ए ऑफिट के अनुसार, टेस्ट की जा रही वैक्सीन में से एक कई गंभीर संक्रमण के मामलों को रोकने में मदद कर सकती हैं। यहां तक कि गंभीर बीमारियों को रोकने में 50% असरदार वैक्सीन भी स्वीकार की जा सकती हैं।

कुछ लोगों पर टेस्टिंग काफी नहीं

  • यह जानना काफी नहीं है कि संदिग्ध लोगों में यह एंटीबॉडी रिस्पॉन्स पैदा करता है या सैकड़ों वॉलंटियर्स में इसका कोई दुष्प्रभाव नजर नहीं आता। जब तक वैक्सीन लाखों लोगों पर टेस्ट नहीं की जाती, डॉक्टर्स यह नहीं कह सकते कि या सुरक्षित और असरदार है।
  • सामान्य हालात में इस प्रोसेस को पूरा होने में कई साल लग जाते हैं। हालांकि यह हालात सामान्य नहीं है, इसलिए कोरोनावैक्सीन की टेस्टिंग महीनों तक आ गई। ऐसे में गलतियां होने का जोखिम ज्यादा बढ़ गया है। हालांकि नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ के डायरेक्टर डॉक्टर फ्रांसिस कॉलिन्स बताते हैं कि लोगों को असरदार वैक्सीन देने की जल्दी में हम सुरक्षा के साथ समझौता नहीं करेंगे।

कैसे तैयार होती है वैक्सीन?

  • एक संभावित वैक्सीन को लैब के जानवरों पर टेस्ट किया जाता है, जो आमतौर पर कोविड 19 से ग्रस्त होते हैं। यह देखने के लिए कि क्या यह बीमारी होने से रोकता है। इसे "प्रूफ ऑफ कॉन्सेप्ट" कहा जाता है, जिसमें पता लगता है कि यह वैक्सीन काम कर सकती है या नहीं।
  • इसके बाद फेज 1 और 2 के ट्रायल्स में शायद 100 से 1000 इंसान होते हैं। शोधकर्ता इस सबूत को तलाशते हैं कि क्या वैक्सीन सेफ है। इसके बाद वे सबसे बेहतर रिजल्ट्स के लिए दूसरे वैक्सीन डोज को टेस्ट करते हैं।
  • फिर बड़ा टेस्ट फेज 3 आता है। इस प्लेसबो कंट्रोल्ड ट्रायल्स में लाखों लोगों पर वैक्सीन की सुरक्षा और प्रभाव को टेस्ट किया जाता है। फेज 3 ट्रायल में 20 हजार लोग शामिल होंगे, जिन्हें एक्स्पेरिमेंटल वैक्सीन और प्लेस्बो कंट्रोल ग्रुप के 10 हजार लोग दिए जाएंगे।
  • यह ट्रायल्स पहले से या संभावित हॉटस्पॉट इलाकों में किए जाएंगे। यह इस बात पर निर्भर करता है कि इन गर्मियों में जहां ट्रायल किए जाने हैं, वहां वायरस कैसे फैला हुआ है। यह वैक्सीन बीमारी को कितनी अच्छी तरह से रोक रहा है, इस बात का पता करने में महीनों और साल भी लग सकते हैं।
  • डॉक्टर ऑफिट कहते हैं कि यह जानने का एकमात्र तरीका है कि पहले के ट्रायल्स में इम्यून रिस्पॉन्स वास्तविक दुनिया में सुरक्षित है या नहीं। अगर गर्मियों में छोटी बीमारी भी आती है तो परेशानी हो सकती है। हमें लोगों को तब तक भर्ती करते रहना होगा, जब तक प्लेस्बो ग्रुप में वैक्सीन मिले लोगों की तुलना में पर्याप्त बीमार नहीं हो जाते। हम प्रक्रिया को शॉर्ट सर्किट नहीं कर सकते।

गंभीर बीमारी को रोकने पर ही वैक्सीन स्वीकृत होगी
डॉक्टर ऑफिट उम्मीद करते हैं कि वैक्सीन को बड़े स्तर पर उपयोग के लिए 70 फीसदी असरदार होने जरूरी होता है। हम आने वाले कईमहीनों तक यह नहीं जान पाएंगे कि इम्युनिटी कितनी लंबी चलेगी। वैक्सीन को तब ही स्वीकार किया जाएगा, जब यह वैक्सीन ज्यादातर नहीं, लेकिन कुछ गंभीर बीमारियों और उन संक्रमणों को रोक लेगी, जिनमें लक्षण नजर नहीं आते।

अमेरिकीसरकार के "ऑपरेशन वॉर्प स्पीड" के तहत फैक्ट्रियां असरदार वैक्सीन के करोड़ों डोज बानाने की तैयारी कर रही हैं, ताकि अगर एक या दो अप्रूव हो गईं तो वैक्सीन भेजने में और देरी न हो। यही तरीका 1950 में तैयार हुई साल्क वैक्सीन बनाने में अपनाया गया था। अब कोविड वैक्सीन के डेवलपर्स जल्दबाजी के कारण हुई गलतियों से बचने की कोशिश कर रहे हैं।



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Pressure for Covid vaccine can cause major losses, 70 years ago, hasty polio vaccine made 70 thousand children with disabilities

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