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चीन के संसद ने हॉन्गकॉन्ग में विवादास्पद राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को लागू करने की मंजूरी दे दी। इसे मंजूरी मिलने के साथ ही हॉन्गकॉन्ग से सेमी- ऑटोनमस( अर्ध-स्वायत्त) क्षेत्रहोने का दर्जा छिन सकता है। बीते गुरुवार को चीन की संसद में इस कानून का मसौदा पारित हुआ था। हालांकि लोगों के विरोध की वजह से इसे पारित नहीं कराया जा सका था। इस नए कानून को लाने में हॉन्गकॉन्ग के संसद को चीन सरकार ने नजरअंदाज कर दिया।
चीन सरकार ने जब से नया सुरक्षा कानून लाने की घोषणा की थी तब से ही इसका विरोध हो रहा था। बीते रविवार को कोरोना से जुड़ी पाबंदियों के बावजूदविवार हॉन्गकाॅन्ग में इस कानून के खिलाफ प्रदर्शनहुआ था। इसके बाद 360 प्रदर्शनकारियों को हिरासत में लिया गया था। पुलिस को लोगों को हटाने के लिए आंसू गैस के गोले दागने पड़े थे।
क्या है चीन का नया सुरक्षा कानून?
चीन के नया सुरक्षा कानून में हॉन्गकॉन्ग में देशद्रोह, आतंकवाद, विदेशी दखल और विरोध करने जैसी गतिविधियां रोकने का प्रावधान होगा। इसके तहत चीनी सुरक्षा एजेंसियां हॉन्कॉन्ग में काम कर सकेंगे। फिलहाल हॉन्कॉन्ग में चीन की सुरक्षा एजेंसियां काम नहीं कर सकती।कई मानवाधिकार संगठनों और अंतराष्ट्रीयसरकारों ने भी इस कानून का विरोध किया था।
अमेरिका हॉन्गकॉन्ग से विशेष व्यापार का दर्जा वापस लेगा
अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने कहा है कि हॉन्गकॉन्ग को अब पहले की तरह व्यापार का विशेष दर्जा नही मिलेगा। पहले इसे अमेरिकी कानून के ब्रिटिश रूल (जुलाई 1997 से पहले) के तहत वॉरंट स्पेशल ट्रीटमेंट का फायदा मिलता था,लेकिन अब ऐसा नहीं होगा। अब यह मुख्य वित्तीय केंद्र नहीं रहेगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका को उम्मीद थी कि हॉन्गकॉन्ग आजादी से काम करके चीन के लिए उदाहरण पेश करेगा। हालांकि अब यह स्पष्ट हो चुका है कि चीन हॉन्कॉन्ग को अपने मॉडल पर ढाल रहा है।
चीन के पास हमेशा से कानून बनाने का अधिकार था
हॉन्गकॉन्ग के लोगों का मानना है किराष्ट्रीय सुरक्षा देश के स्थायित्व का आधार है। इसमें छेड़छाड़ से उनके मौलिक अधिकारों का हनन होगा। चीन के पास हमेशा से हॉन्गकॉन्ग के मूल कानून में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून को लागू करने का अधिकार था, लेकिन वह अब तक ऐसा करने से परहेज करता रहा। हॉन्गकॉन्ग में सितंबर में चुनाव होने वाले हैं। पिछले साल जैसे लोकतंत्र समर्थकों को कामयाबी मिली, अगर वैसे ही जिला चुनाव में भी कामयाबी मिली तो फिर सरकार को बिल लाने में परेशानी हो सकती है।
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