चीन की सरकारी मीडिया सीजीटीएन ने माउंट एवरेस्ट को तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र का हिस्सा बताया। दरअसल, टीवी चैनल ने अपने आधिकारिक ट्विटर से 2 मई को माउंट एवरेस्ट की कुछ तस्वीरें ट्वीट कीं। साथ ही लिखा दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट चोमोलुंगमा पर सूर्य की रोशनी का शानदार नजारा। इसे माउंट एवरेस्ट भी कहा जाता है।
इसके बाद भारत और नेपाल के लोगों ने चीन को ट्रोल करना शुरू कर दिया। सोशल मीडिया पर #BackOffChina ट्रेंड करने लगा। नेपाल के एक यूजर ने ट्वीट किया- माउंट एवरेस्ट नेपाल में स्थित है न कि चीन में। फर्जी खबरें फैलाना बंद करो।
एक यूजर ने लिखा- यह हमारा माउंट एवरेस्ट है। हम आपको इसे अपना बताने नहीं देंगे। नेपाल सरकार को इस पर कार्रवाई करनी चाहिए। ऐसी हरकतें बर्दाश्त नहीं की जा सकती।
ट्विटर यूजर्स ने कहा- यह हमारा है और हमेशा नेपालियों का गौरव रहेगा। कुछ यूजर्स ने चीनी राष्ट्रपति शि जिनपिंग का मेमे भी साझा किया और नेपाल सरकार को टैग भी किया।
काठमांडू के एक यूजर ने कहा, ‘‘डियर सीजीटीएनऑफिशियल माउंट एवरेस्ट नेपाल में है। चीन के तिब्बत में नहीं। इसलिए फेक न्यूज फैलाना बंद को।’’
##एक यूजर ने #FreeTibet के साथ लिखा- चीन को ऐसी धारणाओं को छेड़ना चाहिए।
##1960 में माउंट एवरेस्ट को दो भागों में बांटा गया था
विशेषज्ञों के मुताबिक, नेपाल और चीन ने 1960 में सीमा विवाद के समाधान को लेकर समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसके अनुसार यह फैसला लिया गया था कि माउंट एवरेस्ट को दो भागों में बांटा जाएगा। इसका दक्षिणी भाग नेपाल और उत्तरी भाग तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र का होगा। इस पर चीन अपना दावा करता है।
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