कोरोनावायरस से लड़ने के लिए भारत में इस समय लॉकडाउन का तीसरा फेज चल रहा है। जिस चायना से कोरोनावायरस पूरी दुनिया में फैला, वहां के कई शहर अब लॉकडाउन से मुक्त होकर सामान्य हो गए हैं। चीन के फुजीयन प्रांत के जियामीन शहर में रहने वाले डॉ. सोहन सिंह यादव मूल रूप से भारत के यूपी के ललितपुर जिले के हैं। वह चीन की जियामीन यूनिवर्सिटी में सॉफ्टवेयर स्कूल में लेक्चरर हैं। जानिए चीन के जियामीन शहर में लॉकडाउन की कहानी डॉ. सोहन की जुबानी...
डा. सोहन बताते हैं- "चीन में लॉकडाउन 23 जनवरी को शुरू हुआ था। मैं उस समय इंडोनेशिया में था। 29 जनवरी को में जकार्ता से डायरेक्ट फ्लाइट लेकर जियामीन पहुंचा। वहां एयरपोर्ट पर पूरा फिल्मी सीन था। स्वास्थ्य कर्मी पीपीई पहनकर स्क्रीनिंग कर रहे थे। वहां से करीब तीन घंटे के बाद जब निकला तो जिस एरिया में रहता हूं, वहां के लोकल स्क्योरिटी ब्यूरो में रिपोर्ट करना पड़ा था। उन लोगों ने भी मोबाइल नंबर से मुझे ट्रैक कर बुलाया और दोबारा स्क्रीनिंग की।"
"जियामिन में 18 मार्च तक लॉकडाउन रहा। मैं 45 दिन में सिर्फ 6 बार घर से निकला। वह भी खाने-पीने की चीजें खरीदने। किसी को बाहर निकलने की इजाजत नहीं थी। जिन जियांयु रोड पर हजारों वाहन प्रति सेकेंड निकलते थे, वहां टोटल सूनसान था। चेंग गोंग ब्रिज पर पहला मौका था, जब वहां रफ्तार का शोर नहीं सन्नाटा पसरा था। मैज्जिओ बीच पर लोगों की चहल-पहल नहीं, सिर्फ लहरों का संगीत सुनाई दे रहा था। डेक्स्यू रोड से रौनक गायब थी, यहां लजीज व्यंजनों की महक की जगह सिर्फ सिक्योरिटी फोर्सेस का पहरा था।"
"चीन सरकार ने एलान कर दिया था कि कोई बाहर नहीं जाएगा तो कोई भी बाहर निकला भी नहीं। कोई बाहर निकला तो सिक्योरिटी फोर्स उसे टोकते और वापस भेजते थे। बिल्डिंग से निकलने पर सिक्योरिटी गार्ड भी टोकाता था। सोसाइटी में आने-जाने से पहले थर्मल स्कैनिंग होती थी।"
"भारत से ऐसी रिपोर्टें आई, जिसमें पता लगा कि लोग तफरी लेने निकल रहे हैं। लेकिन, चीन में लॉकडाउन का कड़ाई से पालन कराया गया। कोई भी बिना काम के घर से नहीं निकला। ऐसी रिपोर्ट मीडिया में आई कि कुछ लोग जानबूझ कर लिफ्ट के बटनों में थूक लगा रहे हैं। इस रिपोर्ट के बाद सरकार ने कानून पास कर दिया था कि कोई भी जानबूझकर कोरोना फैलाएगा उसके लिए जेल भेजा जाएगा। इसके बाद ऐसी घटना नहीं हुई।"
चीन इस महामारी से इन तीन फैसलों के बल पर लड़ा
- स्वास्थ्य कर्मियों की सुरक्षा: सभी स्वास्थ्य कर्मियों के पास पीपीई किट और मास्क आदि थे। मेडिकल शिफ्ट तय की थी। शिफ्ट खत्म होते ही दूसरी शिफ्ट तैयार होती थी। बैकअप भी तैयार था, ताकि अगर कोई डॉक्टर, नर्स या अन्य स्वास्थ्य कर्मी बीमार हो तो उनकी जगह दूसरा व्यक्ति काम संभाल ले।
- फूड सप्लाई की चेन नहीं टूटने दी: फूड सप्लाई चेन सरकार ने संभाल ली थी। सरकार ने खुद सप्लाई की या अपनी देखरेख में प्राइवेट सप्लायर से कराई। सप्लाई बराबर हुई। सप्लाई चेन सरकार ने टूटने नहीं दी। दूध-फल-सब्जी-मीट सब मांग की अनुरूप सप्लाई हुआ। किसी को इसकी दिक्कत नहीं हुई।
- सरल भाषा में बनाए नियम, सोशल मीडिया की निगरानी की: लोगों की सुरक्षा के लिए सरल भाषा में नियम बनाए। उन्हें बदला नहीं गया। जो बदलाव आए भी वह लोगों को अच्छी तरीके से समझाए गए। सरकारी न्यूज एजेंसियां पूरी तरह एक्टिव रहीं। वॉलिंटियर की फौज तैयार की। ताकि किसी को कोई दिक्कत न हो। सोशल मीडिया पर पूरी निगरानी की, अफवाह फैलाने वाले को जेल भेजा गया। लोगों ने बात मानी और कोई निकला नहीं।
लोगों ने सरकार का साथ दिया, इसलिए राहत मिली
"लोगों ने सरकार के बनाए नियमों का बखूबी पालन किया। अब स्कूल-कॉलेज खुल गए। मेट्रो चालू हो गई है। शॉपिंग मॉल खुल गए हैं। मास्क पहनना अभी भी जरूरी है। हालांकि, एहतियातन अभी भी सरकार ने 1 से 5 तक के स्कूल, जिम, सिनेमाघर बंद ही रखे हैं।"
शाकाहार अपना रहे चायनीज
"चायनीज कम्युनिटी अब शाकाहार की ओर बढ़ रहा है। सरकार भी लोगों को योग और शाकाहार अपनाने के लिए कह रही है। सरकार लोगों को बता रही है कि योग और शाकाहार से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।"
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