चीन ने शुक्रवार को यूनाइटेड नेशंस के मेंबर देशों से अपना बकाया चुकाने को कहा है। उसने खासकर अमेरिका का नाम लेते हुए कि उस पर 2 अरब डॉलर ( 151 अरब 75 करोड़ रुपये) से ज्यादा का बकाया है।
चीन ने यूएन के सेक्रेटरी जनरल ऑफिस की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा,‘‘14 मई तक यूएन के नियमित बजट का 1.63 अरब डॉलर और पीसकीपिंग बजट का 2.14 अरब डॉलर बकाया है।’’ चीन ने कहा कि इसमें कई देशों के कई सालों का बकाया शामिल है। अमेरिका के ऊपर सबसे ज्यादा बकाया है। उसे नियमित बजट में 1.165 अरब और पीसकीपिंग बजट में 1.332 अरब डॉलर का भुगतान करना है। चीन के इस बयान पर अमेरिका ने पलटवार करते हुए कहा है कि चीन कोविड-19 पर अपनी लापरवाही से दुनिया का ध्यान हटाने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रहा है। यह भी उसी का हिस्सा है।अमेरिका ने कहा- हमनेहाल ही में पीसकीपिंग बजट के लिए 72.6 करोड डॉलर दिए हैंऔर साल के अंत में बाकीभुगतान किया जाएगा।
यूएन के पीसकीपिंग मिशन में जब सदस्य देश फंड देने में देरी करते हैं तो इसका सीधा असर उन देशों पर पड़ता है, जहां के सैनिक यूएन के मिशन में तैनात होते हैं। ऐसे में यूएन उन देशों को सैनिकों की तैनाती के बदले में भुगतान नहीं कर पाता है। 11 मई की एक रिपोर्ट में सेक्रेटर जनरल एंतोनियो गुतेरस ने भी इस बारे में चेताया था।
अमेरिका सबसे ज्यादा हिस्सेदारी देता है
यूएन के टोटल बजट में सबसे बड़ा हिस्सा अमेरिका ही देता है। अमेरिका यूएन की वार्षिक लागत का 22 प्रतिशत (तीन अरब डॉलर) भुगतान करता है। इसके साथ ही यूएन के पीसकीपिंग मिशन में अमेरिका 25 प्रतिशत (6 अरब डालर) की हिस्सेदारी देता है। हालांकि, पहले अमेरिका पीसकीपिंग बजट में 27.89 प्रतिशत की हिस्सेदारी देता था, लेकिन 2017 में अमेरिकी कांग्रेस ने इसमें कटौती का फैसला लिया था। इसके चलते यह घटकर 25 प्रतिशत हो गया है। इससे अब अमेरिका को साल में 20 करोड़ डॉलर कम देने पड़ते हैं।
अमेरिका के बाद चीन का नंबर आता है
गुरुवार को यूएन के 193 में से करीब 50 देशों ने पूरे बकाए का भुगतान कर दिया है।, इसमें चीन भी शामिल है। अमेरिका के बाद चीन सबसे ज्यादा हिस्सेदारी देता है। हालांकि, अमेरिका की तुलना में उसकी हिस्सेदारी बहुत कम है। यह यूएन की लागत का करीब 12 प्रतिशत और पीसकीपिंग बजट की करीब 15 प्रतिशत हिस्सेदारी चुकाता है।
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प का प्रशासन वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेसन की फंडिंग बहाल करने के लिए तैयार है। फॉक्स न्यूज ने मुताबिक अमेरिका अब उतनी ही फंडिंग देगा, जितनी चीन देता है। अमेरिका डब्ल्यूएचओ में सबसे ज्यादा फंडिंग देता है। अगर अमेरिका चीन के जितनी फंडिंग देगा तो यह उसकी पहले दी जाने वाली फंडिंग का मात्र 10 प्रतिशत होगा। 14 अप्रैल को ट्रम्प ने कोविड-19 को लेकर डब्ल्यूएचओ पर फर्जीवाड़े का आरोप लगाते हुए फंडिंग रोक दी थी। अमेरिका हर साल 40 करोड़ डॉलर की फंडिंग करता रहा है।
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