दावा है कि कोरोनावायरस चीन के वुहान शहर से फैला। महामारी चमगादड़ों से फैली या लैब से। इस पर विवाद है। करीब एक करोड़ की आबादी वाले इस शहर को सील किए जाने के दौरान हुए घटनाक्रम को ‘वुहान डायरी’ के जरिए स्थानीय लेखिका फेंग फेंग सामने लाईं। मामला जब तक चीन में था, ठीक था। जैसे ही, वुहान डायरी दूसरे मुल्कों तक पहुंची तो फेंग को जान से मारने की धमकियां मिलने लगीं।चीन के नागरिक फेंग पर आरोप लगा रहे हैं कि उन्होंने देश को शर्मसार किया। 64 साल की फेंग इस आरोप को सिरे खारिज करती हैं।
23 जनवरी से 8 अप्रैल तक बेहद सख्त लॉकडाउन
वुहान में पहला मामला पिछले साल दिसंबर में सामने आया। 23 जनवरी को यहां बेहद सख्त लॉकडाउन किया गया। यह 8 अप्रैल तक चला। अब तथाकथित राहत है। इसी दौरान फेंग ने वुहान डायरी की शुरुआत की। लोगों के डर, गुस्से और छोटी आशाओं की कलम से तस्वीर उकेरी। दिल छू लेने भाषा में फेंग ने बताया कि शहर की झील कितनी शांत और इसका पानी कितना उदास है। उनका कमरा किरणों से कैसे रोशन हो रहा है, पड़ोसी कैसे मदद करते हैं।
दिक्कत कहां हुई?
फेंग जब तक रोजमर्रा की और हल्की बातों का जिक्र कर रहीं थीं, तब तक सब ठीक था। जैसे ही उन्होंने सरकारी बदइंतजामी बताई, बवाल शुरू हो गया। फेंग ने बताया- अस्पतालों में जगह नहीं है, यहां मरीज भगाए जा रहे हैं। मास्क और उपकरणों की कमी है। फेंग के मुताबिक, “एक डॉक्टर दोस्त ने बताया- हमने अपने अफसर से कहा कि यह बीमारी बहुत तेजी से इंसान से इंसान में फैल रही है। लेकिन, कुछ नहीं हुआ।”
अब धमकियां
चीन में बेहद सख्त मीडिया सेंसरशिप है। अमेरिका समेत कई देशों ने चीन की तरफ उंगलियां उठाना शुरू किया। इसके बाद फेंग की दिक्कतें बढ़ गईं। यहां ट्विटर की तरह वीबो प्लेटफॉर्म है। कुछ लोगों ने फेंग को साहसी बताया। कुछ उन्हें देश विरोधी बता रहे हैं। आरोप लग रहा है कि फेंग ने दूसरे देशों के हाथों में चीन के खिलाफ इस्तेमाल होने वाला हथियार थमा दिया। पैसे के लिए देश के सम्मान को बेचने का भी आरोप है। फेंग ने हालिया इंटरव्यू में कहा- मैंने सच्चाई सामने रखी। अब मुझे जान से मारने की धमकियां दी जा रही हैं।
अमेरिकी पब्लिशर के पास अधिकार
चीन के बाहर वुहान डायरी के कुछ अंश ऑनलाइन मौजूद हैं। अमेरिकी पब्लिशर कंपनी हार्पर कॉलिन्स इसको किताब की शक्ल दे रही है। जून में यह बाजार में आएगी। चीन के सरकारी अखबारों में इसका विरोध शुरू हो गया। फेंग कहती हैं, “किताब का विरोध क्यों? लोग इसे ठीक से पढें। मैंने बताया है कि चीन ने इस बीमारी से कितने कारगर तरीके से निपटा। मैं किताब की रॉयल्टी कोरोना से मारे गए लोगों के परिवारों की सहायता में खर्च करूंगी।”
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