यहां सरकार ने मंगलवार को आंशिक लॉकडाउन 1 जून तक बढ़ाने का ऐलान किया। इसकी वजह कोविड-19 मामलों में लगातार हो रहा इजाफा है। लॉकडाउन बढ़ाने की घोषणा प्रधानमंत्री ली हेइन लूंग ने देश के नाम चौथे संबोधन में की। कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में कहा गया है कि स्थानीय स्तर पर तो संक्रमण काबू में आ रहा था लेकिन प्रवासी मजदूरों की वजह से दिक्कतें बढ़ती गईं।
लॉकडाउन बढ़ने का क्या असर?
सिंगापुर में दुनिया की कई बड़ी कंपनियों के दफ्तर हैं। ये अब एक जून तक नहीं खुल सकेंगे। हालांकि, इस दौरान जरूरी सेवाएं पहले की तरह जारी रहेंगी।
प्रधानमंत्री ने क्या कहा?
पीएम ली के मुताबिक, देश में कुछ हॉटस्पॉट जैसे बाजार परेशानी बने हुए हैं। यहां तमाम आदेशों के बाद भी लोग पहले की तरह जुट रहे हैं। उन्होंने कहा, “लॉकडाउन बढ़ाना मजबूरी है। हम जानते हैं कि इससे कारोबार और कर्मचारियों को बहुत नुकसान होगा। मुझे उम्मीद है कि लोग वर्तमान हालात को समझेंगे। यह कदम इसलिए भी उठाया गया है ताकि भविष्य में हम अपनी इकोनॉमी को ज्यादा मजबूत कर सकें।”
कम्युनिटी ट्रांसमिशन का खतरा
ली ने माना कि देश में कुछ संक्रमित ऐसे पाए गए हैं जिनका कोई लिंक नहीं है। अगर सावधानी नहीं बरती गई तो यहां किसी भी वक्त कम्युनिटी ट्रांसमिशन हो सकता है। प्रधानमंत्री ने मंगलवार के पहले 3 अप्रैल को राष्ट्र को संबोधित किया था। तब सोशल डिस्टेंसिंग को तरजीह देने की अपील की थी। स्थानीय लोगों में तो मामले कम हो गए लेकिन डोरमेट्रीज में रहने वाले दूसरे देशों से आए मजदूरों में संक्रमण तेजी से बढ़ा। संक्रमण से ठीक होने वाले कुछ मजदूरों को शिप्स में ठहराया गया है। ली ने कहा, “मैं प्रवासी मजदूरों को भरोसा दिलाता हूं कि उनका ख्याल भी यहां के आम नागरिकों की तरह रखा जाएगा।”
फौरन फैसले की वजह क्या?
सोमवार तक ये माना जा रहा था कि सिंगापुर में लॉकडाउन में ढील दी जाएगी। मंगलवार को अचानक इसे बढ़ाने का फैसला सामने आया। दरअसल, मंगलवार सुबह हेल्थ मिनिस्ट्री ने 1111 नए मरीजों की पुष्टि की। इनमें 20 सिंगापुर के मूल निवासी हैं। 11 मौतों के साथ कुल संक्रमित 9125 हो गए। इसके बाद प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन बढ़ाने का ऐलान कर दिया।
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