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इस्लामाबाद. कोरोनावायरस का संक्रमण दुनियाभर में तेजी से फैल रहा है। इसी बीच,पाकिस्तान ने देश के संक्रमितों को पीओके (पाक अधिकृत कश्मीर) में भेजने की तैयारी शुरू कर दी है। हालांकि, पीओके में इस बात का विरोध भी हो रहा है। शनिवार को आई न्यूज एजेंसी एएनआई की रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ, जो उन्होंने ओमान में रहने वाले मीरपुर निवासी इफ्तिखार खान से बातचीत के आधार पर तैयार की।
दरअसल, पाकिस्तान में कोरोनावायरस के संक्रमण के हर दिन 100 से ज्यादा मामले आ रहे हैं। यहां अब तक 666 संक्रमित मिल चुके हैं। इनमें 3 लोगों की मौत भी हो चुकी है।
पीओके के लोगों ने मंगला ब्रिज को जाम कर दिया
इफ्तिखार ने बताया किपाकिस्तान देश के दूसरे हिस्सों मुल्तान, डेरा गाजी खान, झेलम, पेशावर से संक्रमितों को निकालकर मीरपुर में रखना चाहता है। यहां के मुख्य सचिव जो मुजफ्फराबाद में हैं, वे खुद यहां क्वारैंटाइन सेंटर बनवाना चाहते हैं। इस बात से नाराज स्थानीय लोगों नेपाकिस्तान-मीरपुर को जोड़ने वाले मंगला ब्रिज को जाम कर दिया है। उनका कहना है कि कोई भी पाकिस्तानी अब पीओके में नहीं आएगा।
पाकिस्तान कश्मीरियों को हाशिए पर लाना चाहता है
पीओके के लोगों का कहना है कि अगर क्वारैंटाइन सेंटर बनाने ही हैं तो रावलपिंडी जैसी जगहों पर बनाएं। जहां ज्यादा संक्रमित हैं। यहां तो 163 में सेकेवल 16 कश्मीरी ही संक्रमित पाए गए हैं। ऐसे में यहां संक्रमितों को रखकर सबकी जान खतरे में न डालें। इफ्तिखार ने बताया किमुख्य सचिव के आदेश पर अधिकारियों ने इस क्षेत्र की इमारतों को क्वारैंटाइन सेंटर में बदलने के लिए उन पर कब्जा कर लिया है। हालांकि, लोग लगातार इस कदम का विरोध कर रहे हैं। वे किसी भी पाकिस्तानी को यहां नहीं आने देंगे। यह कश्मीरियों को हाशिए पर लाने का प्रयास है।
डॉक्टरों ने कहा- सुरक्षा उपकरण नहीं दिए तो हड़ताल करेंगे
वहीं, पाकिस्तान के क्वारैंटाइन सेंटरों के हालात भयावह हैं। वहां मेडिकल संसाधनों और दवाइयों की भारी कमी हैं। एक टेंट में 5 लोग रहने को मजबूर हैं। साफ पानी तक उपलब्ध नहीं है। डॉन न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस में डॉक्टरों ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की। उन्होंने कहा कि वर्तमान हालात में हमारे लिए काम करना कठिन है। किसी भी डॉक्टर के पास कोई उपकरण नहीं है। ऐसे में उनको संक्रमण का खतरा ज्यादा है। ऐसी स्थिति में काम करना आत्महत्या करने के बराबर हैं। इस दौरान, चार सरकारी अस्पतालों के डॉक्टरों ने चेतावनी दी है कि यदि उन्हें सुरक्षा उपकरण नहीं मिले तो वे 24 मार्च से काम बंद कर देंगे।
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