नई दिल्ली. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प अपने पहले दौरे में भारत आ रहे हैं। इसमें भारत को व्यापारिक सहूलियतें मिलने की उम्मीद है। पिछले साल अमेरिका के कुछ तरह के स्टील और एल्युमीनियम उत्पादों पर कस्टम ड्यूटी बढ़ाने के बाद भारत और अमेरिका के बीच खटास बढ़नी शुरू हुई थी। इसके अलावा अमेरिका ने भारत को जनरलाइज्ड सिस्टम ऑफ प्रिफ्रेंसेज (जीएसपी) प्रोग्राम से भी बाहर कर दिया था। इस प्रोग्राम के तहत अमेरिका विकासशील देशों को निर्यात में छूट देता है। इस प्रोग्राम के तहत भारत ने अमेरिका को करीब 600 करोड़ डॉलर के उत्पादों का निर्यात किया था।
अमेरिका के इस कदम के बाद भारत ने जून 2019 में बादाम, अखरोट, सेब और स्टील समेत 28 प्रोडक्ट्स पर टैरिफ बढ़ा दिया था। इससे अखरोट पर ड्यूटी 120%, काबुली चने और कुछ दालों पर ड्यूटी 70% बढ़ गई। ट्रम्प ने हार्ले डेविडसन मोटरबाइक पर ज्यादा टैरिफ का भी मुद्दा उठाया था। अमेरिका को आईटी प्रोडक्ट्स पर लगने वाली ड्यूटी पर आपत्ति है। मेडिकल उपकरणों की कीमत नियंत्रण पर भी अमेरिका को ऐतराज है। डेटा लोकलाइजेशन को लेकर अमेरिकी कंपनियां लगातार शिकायत कर रही हैं।
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक तनाव की प्रमुख वजहें
- जीएसपी से हटाना :जीएसपी प्रोग्राम से हटाने के बाद भारत और अमेरिका के व्यापारिक रिश्तों में तनाव आया। इस प्रोग्राम के तहत अमेरिका 129 विकासशील देशों को व्यापार में छूट प्रदान करता है। 2018 में इस प्रोग्राम से फायदा लेने वाले देशों में भारत पहले नंबर पर था।
- पोल्ट्री : अमेरिकी से आयातित चिकन पर प्रतिबंध लगाने से दोनों देशों के बीच खटास बढ़ी।
- स्टील और एल्यूमीनियम टैरिफ मुद्दा :अमेरिका ने भारत समेत 12 देशों से आयातित स्टील और एल्यूमीनियम प्रोडक्ट्स पर टैरिफ बढ़ाया। अमेरिका के इस कदम के खिलाफ भारत डब्ल्यूटीओ पहुंचा।
- भारत की व्यापारिक नीतियां :अमेरिका के टैरिफ बढ़ाने के बाद भारत ने भी 28 अमेरिकी प्रोडक्ट पर टैरिफ बढ़ा दिया। इससे विवाद को और बढ़ावा मिला।
- वीसा मुद्दा :अमेरिका ने एच1-बी वीसा देने पर शिकंजा कसा है। वीसा फीस को दोगुना करने के साथ योग्यता के लिए सालाना आय को भी बढ़ा दिया गया है। इससे भारतीयों के लिए अमेरिका में अवसर कम हुए हैं।
- सोलर विवाद :अमेरिका का कहना है कि सोलर उपकरणों के लोकल सोर्सिंग पर भारत डब्ल्यूटीओ निर्णय का नहीं मान रहा है। नेशनल सोलर मिशन के तहत भारत ऊर्जा सेक्टर में अपनी स्थिति मजबूत करना चाहता है।
- निर्यात सब्सिडी :भारत की निर्यात सब्सिडी पर अमेरिका ने डब्ल्यूटीओ में विरोध जताया है। अमेरिका कहा कहना है कि कमजोर विकासशील देशों द्वारा दी जाने वाली निर्यात सब्सिडी योजना में भारत नहीं आता। अमेरिका को भारत के न्यूनतम समर्थन मूल्य सब्सिडी पर भी आपत्ति है।
- विकासशील देशों का मुद्दा :ब्यूनस आयर्स में डब्ल्यूटीओ की बैठक में अमेरिका ने कहा था भारत और चीन विकासशील देशों को दी जाने वाली सुविधाओं के हकदार नहीं हैं। भारत ने इस पर कड़ी आपत्ति जताई थी।
- डेटा लोकजाइजेशन :डिजिटल क्षेत्र में भारत डेटा लोकलाइजेशन को लेकर विदेशी आईटी कंपनियों पर लगातार दबाव बना रहा है। गूगल, अमेजन, फेसबुक, फ्लिपकार्ट समेत सभी बड़ी कंपनियां भारत के इस कदम का विरोध कर रही हैं।
अमेरिका और भारत के बीच व्यापार
चीन के बाद अमेरिका भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। अमेरिका के लिए भारत नौंवा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है। गुड्स और सर्विसेज में अमेरिका और भारत के बीच 2018 में 142.6 अरब डॉलर का व्यापार हुआ। भारत ने अमेरिका को 83.9 अरब डॉलर का निर्यात किया जबकि 58.7 अरब डॉलर का आयात किया। अमेरिकी कॉमर्स डिपार्टमेंट के अनुसार भारत को गुड्स और सर्विसेज के निर्यात से अमेरिका में 1.97 लाख नौकरियां पैदा होती हैं।
भारत को अमेरिकी निर्यात
क्या निर्यात किया | कीमत(अरब डॉलर में) |
सर्विसेज | 25.2 |
कीमती धातुएं और स्टोन | 7.9 |
खनिज ईंधन | 6.7 |
एयरक्राफ्ट | 2.9 |
मशीनरी | 2.2 |
आर्गनिक केमिकल्स | 1.6 |
(कृषि क्षेत्र में अमेरिका भारत को नट्स, कपास, ताजे फल, डेयरी प्रोडक्ट्स और रेडी टू ईट फूड का निर्यात करता है)
अमेरिका को भारतीय निर्यात
क्या निर्यात किया | कीमत(अरब डॉलर में) |
सर्विसेज | 29.6 |
कीमती धातुएं और स्टोन | 11 |
फार्मास्यूटिकल्स | 6.3 |
मशीनरी | 3.3 |
खनिज ईंधन | 3.2 |
वाहन | 2.8 |
(कृषि क्षेत्र में भारत ने अमेरिका को मसालों, चावल, एसेंशियल ऑयल, प्रॉशेज्ड फलों और सब्जियों का निर्यात किया)
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