म्युनिख. ईरान के विदेश मंत्री जवाद जरीफ ने अपने कमांडर कासिम सुलेमानी की हत्या के 34 दिन बाद कहा है कि अमेरिका के दबाव सेहमार कुछ नहीं बिगड़ेगा। अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रम्प को उनके सलाहकारों से गलत सलाह मिल रही है। उन्हें समझाया जा रहा है कि अमेरिका के दबाव से ईरान की सरकार गिर जाएगी। अगर ट्रम्प सोच रहे हैं कि अमेरिका के दबाव से ईरान की सरकार गिर जाएगी तो वे गलत हैं। इससे ईरान का कुछ नहीं बिगड़ेगा। मुझे लगता है कि ट्रम्प के सलाहकार अच्छे नहीं है। जरीफ ने रविवार को म्युनिख में चल रहे यूरोपियन यूनियन के सुरक्षा सम्मेलन में यह बात कही।
जरीफ ने कहा, अमेरिका न्यूक्लियर डील के मुद्दे पर ईरान से बात नहीं करना चाहता। ट्रम्प सोचते हैं कि एक गिरती हुई सरकार से क्यों बात की जाए। वह में 2018 में डील से अलग होने के बाद लगातार ईरान पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने ईरान के न्यूक्लियर परियोजनाओं को लेकर कई प्रकार की पाबंदियां लगा दी।
नया परमाणु समझौता करने से ईरान का इनकार
जरीफ ने ट्रम्प की पेशकश के मुताबिक, नया परमाणु समझौताकरने से भी साफ इनकार किया। उन्होंने कहा कि 2015 में हुआ परमाणु समझौता के आधार पर ही ईरान के न्यूक्लियर प्रोग्राम पर बात हो सकती है। जरीफ ने कहा कि एक ही समझौता बार-बार करने का कोई मतलब नहीं है। क्या आप एक ही चीज दो बार खरीदते हैं क्या? अगर यूरोपियन यूनियन अमेरिका की तरफ लगाई गई आर्थिक प्रतिबंध में राहत दिलाए तो ईरान 2015 के न्यूक्लियर समझौते की शर्तों का पालन करेगा।
ईरान ने परमाणु समझौते की पाबंदिया मानने से इंकार कर दी थी
ईरान ने अपने सैन्य कमांडर कासिम सुलेमानी की मौत के तीन दिन बाद परमाणु समझौते के किसी भी प्रतिबंध का पालन नहीं करने की घोषणा की थी। ईरान ने कहा था कि वह परमाणु संवर्धन की क्षमता, उसका स्तर, संवर्धन सामग्री के भंडारण या अनुसंधान और विकास करने पर लगी पाबंदी नहीं मानेगा। जर्मनी की चांसलर एंजेला मर्केल, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों और ब्रिटेन के प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन ने संयुक्त बयान जारी कर ईरान से यह फैसला वापस लेने की अपील की थी
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