नई दिल्ली. यूनाइटेड नेशंस (संयुक्त राष्ट्र) ने 2019-20 में भारत की जीडीपी ग्रोथ का अनुमान 7.6% से घटाकर 5.7% कर दिया। हालांकि, यह सरकार और आरबीआई के 5% के अनुमान से 0.7% ज्यादा है। संयुक्त राष्ट्र ने अगले वित्त वर्ष (2020-21) में 6.6% ग्रोथ की उम्मीद जताई है, पिछला अनुमान 7.4% का था। भारत समेत दुनियाभर में आर्थिक गतिविधियों में सुस्ती की वजह से यूएन ने ग्रोथ अनुमान कम किया है। 2020 में चीन की ग्रोथ का अनुमान 6.1% से घटाकर 6% किया है। इस बीच चीन ने शुक्रवार को सालाना ग्रोथ के आंकड़े भी जारी कर दिए। अमेरिका से ट्रेड वॉर के असर की वजह से चीन की जीडीपी ग्रोथ 2019 में 6.1% रही, यह 30 साल में सबसे कम है। फिर भी भारत की अनुमानित सालाना ग्रोथ (5%) के मुकाबले 1.1% ज्यादा है।
जीडीपी ग्रोथ 11 साल में सबसे कम रहने का अनुमान
संस्था/एजेंसी | पिछला अनुमान | मौजूदा अनुमान |
यूनाइटेड नेशंस | 7.6% | 5.7% |
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (सीएसओ) | * | 5% |
आरबीआई | 6.1% | 5% |
एसबीआई | 6.1% | 5% |
वर्ल्ड बैंक | 6% | 5% |
एशियन डेवलपमेंट बैंक | 6.5% | 5.1% |
मूडीज | 5.8% | 5.6% |
नॉमूरा | 5.7% | 4.9% |
*सीएसओ ने अभी पहला अनुमान ही जारी किया है, दूसरा अनुमान फरवरी में आएगा।
- ग्रोथ रेट 5% रहती है तो यह 11 साल में सबसे कम होगी, इससे कम 3.1% ग्रोथ 2008-09 में दर्ज की गई थी।
- 2018-19 में देश की जीडीपी ग्रोथ 6.8% रही थी, यह 5 साल में सबसे कम।
- जुलाई-सितंबर तिमाही में ग्रोथ सिर्फ 4.5% रही थी, यह 26 तिमाही में सबसे कम।
जीडीपी ग्रोथ में गिरावट क्यों?
- ऑटो सेक्टर में पिछले साल मंदी छाई रही। वाहनों की बिक्री में 19 साल की सबसे तेज गिरावट दर्ज की गई। देश की जीडीपी में ऑटो इंडस्ट्री का 7% और मैन्युफैक्चरिंग जीडीपी में 49% शेयर है।
- सितंबर में कॉर्पोरेट टैक्स में कटौती जैसे बड़े कदम के बावजूद देश में औद्योगिक गतिविधियों में सुस्ती बनी हुई है। अगस्त, सितंबर और अक्टूबर में इंडेक्स ऑफ इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन (आईआईपी) में लगातार गिरावट दर्ज की गई। सितंबर में आईआईपी 4.3% घट गया। यह 8 साल में सबसे तेज गिरावट थी। अक्टूबर में 3.8% कमी आई। हालांकि, मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर की गतिविधियों में सुधार की वजह से नवंबर में औद्योगिक उत्पादन में 1.8% तेजी आई।
- अर्थशास्त्रियों के मुताबिक नॉन बैंकिंग फाइनेंस कंपनियों (एनबीएफसी) का नकदी संकट भी जीडीपी ग्रोथ में गिरावट की मानी जा रही है।
खुदरा महंगाई दर साढ़े पांच साल में सबसे ज्यादा
दिसंबर में खुदरा महंगाई दर 7.35% रही। यह जुलाई 2014 के बाद सबसे ज्यादा है। सब्जियों खासकर प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी की वजह से दिसंबर में महंगाई दर ज्यादा प्रभावित हुई। सब्जियां दिसंबर में 60.5% महंगी हुईं। दालों की कीमतों में 15.44% इजाफा हुआ।
बेरोजगारी दर 45 साल में सबसे ज्यादा, 2017-18 में 6.1% थी
जनवरी 2019 में राष्ट्रीय सांख्यिकी आयोग के दो सदस्यों पीसी मोहनन और जीवी मीनाक्षी ने इस्तीफा दे दिया था। दोनों ने सरकार द्वारा बेरोजगारी रिपोर्ट जारी नहीं करने के विरोध में इस्तीफा दिया था। कुछ ही दिन बाद नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) की रोजगार से जुड़ी एक रिपोर्ट लीक हुई। इसमें बताया गया कि 2017-18 में बेरोजगारी दर 45 साल में सबसे ज्यादा 6.1% के स्तर पर पहुंच गई। ग्रामीण क्षेत्रों में यह 5.3% और शहरी क्षेत्र में सबसे ज्यादा 7.8% रही। इनमें नौजवान बेरोजगार सबसे ज्यादा थे, जिनकी संख्या 13% से 27% थी। 2011-12 में बेरोजगारी दर 2.2% थी। 2016 की नोटबंदी के बाद रोजगार से जुड़ा यह पहला सर्वे था। हालांकि, तब नीति आयोग ने इन आंकड़ों को अपुष्ट बताया था। लोकसभा चुनाव में भाजपा की जीत और नई सरकार बनने के बाद केंद्र ने मई ने बेरोजगारी के यही आंकड़े जारी किए थे।
पिछले वित्त वर्ष के मुकाबले इस साल 16 लाख रोजगार घटेंगे: एसबीआई
एसबीआई की रिसर्च रिपोर्ट ईकोरैप में यह आशंका जताई गई है। इसके मुताबिक 2018-19 के मुकाबले इस साल, यानी 2019-20 में रोजगार के करीब 16 लाख अवसर घटने वाले हैं। अर्थव्यवस्था में लगातार आ रही गिरावट के कारण रोजगार प्रभावित हो रहे हैं।
शेयर बाजार रिकॉर्ड स्तर पर
सेंसेक्स पहली बार 42,000 के ऊपर है। पिछले दिनों कुछ बड़ी गिरावटों के बावजूद सेंसेक्स बीते डेढ़ महीने में 1000 अंक के फायदे में रहा है। 27 नवंबर को 41000 पर था। विश्लेषकों के मुताबिक विदेशी निवेशकों की खरीदारी से बाजार में तेजी आ रही है। इस महीने विदेशी निवेशकों ने अब तक करीब 524 करोड़ रुपए का नेट इन्वेस्टमेंट किया है। अंतरराष्ट्रीय स्तर परअमेरिका-चीन के बीच टैरिफ वॉर थमने और घरेलू मोर्चे पर बजट में बड़ी घोषणाओं की उम्मीद से निवेशक खरीदारी कर रहे हैं।
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