दावोस. स्विटजरलैंड में दावोस वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की 50वीं समिट मंगलवार से शुरू हो गई है। आजअमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और स्वीडन की जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग आमने-सामने होंगे। पिछले साल ट्रम्प इस सम्मेलन में शामिल नहीं हुए थे। थनबर्ग जलवायु परिवर्तन को लेकर संदेश दे सकती हैं।
21 से 24 जनवरी तक आयोजित सम्मेलन में शामिल होने के लिए दुनियाभर के राजनीतिज्ञ, शीर्ष उद्योगपती और नामी चेहरे दावोस पहुंचेहैं। भारत की ओर से केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल शामिल हो रहे हैं। सम्मेलन में पर्यावरण और आर्थिक संकट पर चर्चा की जाएगी।
ट्रम्प जलवायु पर नेताओं को संबोधित करेंगे
ट्रम्प जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर हमेशा संशयवादी रहे हैं। मंगलवार सुबह दावोस सम्मेलन में पहली बार इस मुद्दे पर नेताओं को संबोधित करेंगे। वहीं, सीनेट में मंगलवार को ट्रम्प के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव पर सुनवाई भी शुरू होगी।इसी समय, ग्रेटा भी मंच पर एक बैठक में शामिल होंगी। जहां वह दुनिया भर के लाखों लोगों को जलवायु परिवर्तन को लेकर संदेश दे सकती हैं। जहां सरकारें जलवायु परिवर्तन को लेकर लोगों को जगाने में विफल रही हैं, वहीं थनबर्ग युवाओं के लिए प्रेरणा बनकर उभरीहैं।
ग्रेटा-ट्रम्प के बीच ट्विटर वॉर
हालांकि, इसकी आधिकारिक जानकारी नहीं है कि ट्रम्प और थनबर्ग आपस में मिलेंगे। पिछले दिनोंदोनों के बीच ट्विटर पर नोक-झोंक भी हुई। ग्रेटा को अमेरिका की टाइम मैगजीन ने 2019 का ‘पर्सन ऑफ द ईयर’ चुना था। इसके बाद ट्रम्प ने ट्वीट किया था- बेहद हास्यास्पद, ग्रेटा को अपने गुस्से पर काबू पाना चाहिए और दोस्तों के साथ पुरानी फैशनेबल मूवी देखनी चाहिए। चिल ग्रेटा, चिल ग्रेटा।
ट्रम्प के ट्वीट के बाद ग्रेटा ने अपने ट्विटर का बायो बदला दिया और लिखा- अपने एंगर मैनेजमेंट पर काम कर रही एक टीनएजर। फिलहाल चिल कर रही हूं और एक दोस्त के साथ पुरानी फैशनेबल मूवी देख रही हूं।पिछले साल महासभा की वार्षिकबैठक के दौरान संयुक्त राष्ट्र (यूएन) के मुख्यालय में जब ट्रम्प और उनकी टीम सभा में आई थी तब ग्रेटा नाराज नजर आई थी। उनकीयह तस्वीर काफी वायरल हुई थी।
अभिनेत्री दीपिका पादुकोण को दावोस में होने वाली वार्षिक बैठक में क्रिस्टल अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। मेंटल हेल्थ को लेकर किए गए सराहनीय कार्य के लिए उन्हें यह अवॉर्ड दिया गया।
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरमकी शुरुआत 1971 में हुई
वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरमकी शुरुआत 1971 में हुई थी। इसका उद्देश्य दुनिया के व्यवसाय, राजनीति, शैक्षिक और अन्य क्षेत्रों के नेताओं को एक मंच पर लाकर औद्योगिक दिशा तय करना है।पिछले सप्ताह प्रकाशित फोरम की ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट में चेतावनी दी गई थी कि सदी के अंत तक तापमान में कम से कम तीन डिग्री सेल्सियस तक की बढ़ोतरी हो सकती है।
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