Sunday, January 5, 2020

ईरान ने अमेरिकी हमले का जवाब दिया तो तीसरे विश्वयुद्ध की आशंका; इजराइल, सऊदी अरब और चीन पर भी असर होगा January 04, 2020 at 09:20PM

वॉशिंगटन. अमेरिका ने शुक्रवार को सुबह बगदाद के अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट पर ड्रोन से हमला कर ईरान की कुद्स फोर्स के प्रमुख जनरल कासिम सुलेमानी की हत्या कर दी। इसके बाद ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अल-खामनेई ने सही समय आने पर इसका बदला लेने की बात कही है। अगर ईरान अमेरिका पर कोई भी जवाबी कार्रवाई करता है तो इससे तीसरे विश्वयुद्ध का खतरा उत्पन्न हो सकता है।

खामनेई के नेतृत्व में हमले का जवाब देने के लिए ईरान के राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की तेहरान में बैठक चल रही है। ईरान के पास दुनिया की 13वीं सबसे बड़ी सेना है। ईरान के साथ मध्य पूर्व में फैले मिलिशिया समूह, लेबनान के हिजबुल्लाह, यमन के हौथी विद्रोही और सीरिया के बशर अल-असद जैसे सहयोगी संगठन भी शामिल हैं।

ईरान द्वारा इराक और सीरिया में अमेरिकी सैनिकों और सैन्य ठिकानों, गोलान हाइट्स में इजराइली सुरक्षाबलों, होर्मुज में टैंकरों और सऊदी अरब के तेल के बुनियादी ढांचों पर हमला करने की संभावना है। रूस ने सीरिया में अपनी सेना तैनात की है जो राष्ट्रपति बशर अल-असद और ईरान का समर्थक है। वहीं, देश के उत्तरी इलाके में तुर्की सुरक्षाबल लड़ रहे हैं। तुर्की नाटो के सदस्य होने के साथ-साथ रूस और ईरान के करीब है।

अमेरिका, चीन, रूस और इजराइल सभी के पास परमाणु हथियार

चीन ने भी गल्फ ऑफ ओमान में अपना जहाज तैनात किया है। रूस और ईरान के साथ हाल ही में संयुक्त सैन्य अभ्यास किया है। अमेरिका-ईरान के बीच अगर विवाद बढ़ता है तो ये देश भी युद्ध में शामिल हो सकते हैं। उधर, सऊदी अरब यमन में ईरान समर्थित हाउथी विद्रोहियों से लड़ रही है और अगर ईरान द्वारा कोई कार्रवाई की जाती है तो रियाद इसका पूरी तरह जवाब देगा। अमेरिका, चीन, रूस और इजराइल सभी के पास परमाणु हथियार हैं। तीन के पास अगली पीढ़ी की हाइपरसोनिक मिसाइलें हैं जो सभी रक्षा प्रणालियों को तोड़ने में सक्षम हैं।

इजरायल भी परमाणु हथियारों से लैस है और किसी भी ईरानी हमलों के लिए तैयार है। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू और आईडीएफ खुद का बचाव करने में संकोच नहीं करेंगे। हाल ही में तुर्की ने सीरिया में ईरान समर्थित हिज्बुल्लाह बलों पर हमला किया है।

ईरान होर्मुज जलडमरूमध्य को अवरुद्ध कर सकता है

इस बीच अगर ईरान ने होर्मुज जलडमरूमध्य को अवरुद्ध करने का फैसला किया, जैसा कि वह पहले भी कई बार इसकी धमकी दे चुका है। होर्मुज जलडमरूमध्य एक अहम रास्ता है जो मध्य-पूर्व के तेल उत्पादक देशों को एशिया, यूरोप और उत्तरी अमेरिका और उससे भी आगे के बाजारों से जोड़ता है। अगर इसे कोई भी नुकसान होता है तो यूरोपीय देश एकजुट होकर ईरान पर कार्रवाई कर सकते हैं। अगर, युद्ध जैसे हालात पैदा होते हैं, तो पूरी दुनिया को इसका खामियाजा भुगतना पड़ सकता है।

ईरान:

  • 8.2 करोड़ की आबादी वाले ईरान में करीब पांच लाख सैनिक देश की सुरक्षा में लगे हैं।
  • ईरानी सेना के पास बैलिस्टिक मिसाइलें, टैंक, लड़ाकू हेलिकॉप्टर, फास्ट जेट और कई हथियार हैं।
  • भूगोल की बात करें तो यह तीन ओर से पहाड़ों से घिरा है। एक ओर समुद्र है। देश के मध्य में विशाल मरुस्थल है।
  • इस वजह से अमेरिकी सेना के लिए जमीनी स्तर पर युद्ध करना एक बड़ी चुनौती है।
  • परमाणु समझौते से ट्रम्प के हटने के बाद ईरान ने यूरेनियम भंडार सीमा का उल्लंघन किया औरलगातार अपनी ऊर्जा क्षेत्र के स्तर पर वृद्धि कर रहा है।

मध्यपूर्व के देशों में ईरान के पास सबसे ज्यादा मिसाइल: रिपोर्ट

  • पिछले दिनों अमेरीकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन ने एक रिपोर्ट में बताया था कि मध्यपूर्व के देशों में ईरान के पास सबसे ज्यादा मिसाइलें हैं।
  • ईरान के पास क्लोज रेंज, कम दूरी तक मार करने वाली, मध्यम दूरी तक मार करने वाली और लंबी दूरी तक मार करने वाली बैलिस्टिक मिलाइलें हैं।
  • ये मिसाइलें 2000 किलोमीटर की दूरी तक सटीक मार करने में सक्षम हैं।

अगर ऐसा होता है तो अमेरिका अपने युद्धपोतों, बमवर्षक विमानों और क्रूज मिसाइलों का इस्तेमाल कर सकता है। इसके पहले भी कई बार ऐसा करने की योजना बना चुका है। अमेरिका के ड्रोन हमले से निपटने के लिए ईरान एंटी-मिसाइल एयरक्राफ्ट का इस्तेमाल कर सकता है। जैसा कि ईरान ने पिछले साल जून में किया था।

साइबर हमलाभी किया जा सकताहै

साइबर हमला भी युद्ध का एक लोकप्रिय तरीका बन गया है। ईरान, अमेरिका और इसके सहयोगी इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। स्टक्सनेट वायरस की सहायता से ईरान के परमाणु सुविधाओं पर हमला किया जा सकता है। पहले भी सफलता पूर्वक इस वायरस से हमले को अंजाम दिया जा चुका है। इसमें संचार उपकरण, रडार, बिजली नेटवर्क और अन्य प्रमुख बुनियादी ढांचे ध्वस्त किए जा सकते हैं। 2008 में हुए साइबर हमले में ईरान के 30000 हजार कम्प्यूटर्स प्रभावित हुए थे।


इराक:

  • इराक के आसपास लगभग पांच हजार अमेरिकी सैनिक तैनात हैं।
  • सभी अमेरिकी सैनिक शिया मिलिशिया संगठन के निशाने पर हैं। यह संगठन ईरान की ओर से लड़ेंगे।
  • 2003 में इराक में अमेरिकी हमले के बाद जनरल सुलेमानी ने आतंकी समूहों को अमेरिकी सैनिकों और उनके ठिकानों पर हमले के लिए प्रेरित करना शुरू किया था।
  • कुद्स बल जिसे सोलेमानी ने लगभग दो दशकों तक नियंत्रित किया। अपने नेता की मौत का बदला लेने के लिए सीधे तौर भी युद्ध में शामिल हो सकता है।

सीरिया:

  • राष्ट्रपति बशर अल-असद इरान के बेहद करीबी हैं। 2011 में जब रूस के साथ चल रहे गृह युद्ध में बशर हार के करीब थे तो सुलेमानी की कुद्स फोर्स ने ही उनका समर्थन किया।
  • हालांकि, अगर युद्ध होता है तो असद के सीधे तौर पर लड़ने की संभावना नहीं है।
  • लेकिन, अमेरिकी सैनिकों और कुर्दों पर ईरान-समर्थक आतंकियों द्वारा हमला किया जाता है तो, वह इस पर चुप्पी साध सकताहै।
  • ईरान ने अपना काफी समय मिलिट्री इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित करने में बिताया है। ईरान ने कई मिसाइल बेस बनाए हैं।

इजराइल ने पहले कहा था कि वह इसका उपयोग अपने क्षेत्र के खिलाफ कर सकता है। यदि तेहरान ने अमेरिकी सहयोगी पर हमला करने का फैसला करता है तो संभवतः गोलान हाइट्स पर भी मिलाइल गिराए जा सकते हैं। हालांकि तेल अवीव ने इसे लेकर चेतावनी जारी की है। अगर इस क्षेत्र में युद्ध होता है तो रूस की सेना भी इसमें शामिल हो सकती है। वहीं, तुर्की की सेना पहले से ही उत्तर में लड़ रही है। आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट भी इस स्थिति का फायदा उठाने की कोशिश करेगा और दोनों पक्षों को एक-दूसरे के खिलाफ लड़वा सकता है। इससे वह फिर से अपना खोया हुआ क्षेत्र वापस ले सकता है।

अमेरिका:

  • अमेरिका के पास मध्य पूर्व और पर्सियन गल्फ में भारी संख्या में सेना तैनात हैं और कई सैन्य ठिकानें हैं।
  • दुबई में स्थित एफ22 रैप्टर फाइटर बेस, क्रूज मिसाइल-आर्म्ड ओहियो क्लास की पनडुब्बियां, विमान वाहक और अमेरिकी विशेष सुरक्षाबल हैं जो अभी भी उत्तरी इराक और सीरिया में तैनात हैं।
  • बी2 स्टेल्थ बमवर्षक विमान से अमेरिका हमला कर सकता है। अमेरिका दुनिया में कहीं भी परमाणु हथियारों से हमला कर सकता है।

रूस:

  • बशर अल-असद के शासन के समर्थन में सीरिया में हजारों रूसी सेना और लड़ाकू विमान तैनात हैं।
  • इनमें विशेष बल और एस400 विमानभेदी मिसाइल शामिल हैं। इनमें दुनिया की सबसे उन्नत मिसाइल प्रणाली है।
  • यदि संघर्ष बढ़ता है तो रूस अपने सहयोगी या ईरान का बचाव करने के लिए मजबूर हो सकता है।
  • अगर रूस के सैनिक मरते हैं तो भी वह युद्ध में शामिल हो सकता है।
  • रूस युद्ध में लंबी दूरी की मिसाइलों और लंबी दूरी के बमवर्षक विमानों और भूमध्यसागरीय क्षेत्र में तैनात जहाजों और पनडुब्बियों का इस्तेमाल कर सकता है।

इजराइल:
अगर ईरान द्वारा इजराइल पर हमला किया जाता है तो वह जरूर इसका जवाब देगा। उसके पास परमाणु हथियार और एडवांस्ड फाइटर जेट है जो सीरिया में ईरान और ईरानी बलों पर हमले शुरू करने में सक्षम है। जैसा कि उसने पहले भी किया है। इजराइल की विशेष सुरक्षा बल भी दुनिया की सबसे ताकतवर आर्मी में से एक है, जो पूरे क्षेत्र में तैनात है।



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